
देवरिया। जल जीवन मिशन के तहत पेयजल की गुणवत्ता जांचने के लिए विभाग को उपलब्ध कराई गई टेस्टिंग किटों में गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है। विभागीय कार्यालय में लाखों रुपये मूल्य की एक्सपायरी टेस्टिंग किटें पड़ी मिली हैं, जिससे मिशन के तहत चल रही जल गुणवत्ता जांच की प्रक्रिया लंबे समय से ठप होने के संकेत मिलते हैं।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, मिशन के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से पानी की नियमित जांच के लिए टेस्टिंग किटें वितरित की गई थीं। प्रत्येक क्षेत्र में समय-समय पर जल गुणवत्ता का परीक्षण किया जाना निर्धारित था, ताकि किसी भी प्रकार के संदूषण की स्थिति में समय रहते कार्रवाई की जा सके। लेकिन वास्तविक स्थिति इसके विपरीत दिखती है। जिन किटों से पानी की जांच होनी थी, वे समय पर उपयोग न होने के कारण एक्सपायरी हो चुकी हैं। कार्यालय में पड़े एक्सपायरी किटों का यह बड़ा स्टॉक विभागीय लापरवाही की ओर इशारा करता है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि नियमित जांच हुई होती तो वे पेयजल गुणवत्ता को लेकर अनिश्चितता और संभावित स्वास्थ्य जोखिम से बच सके होते।

अधिकारियों की चुप्पी बढ़ा रही शंकाएँ
मामले में जब विभागीय अधिकारियों से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया। ग्रामीण अब इस मामले में प्रशासन की कड़ी कार्रवाई की अपेक्षा कर रहे हैं।
प्रशासनिक हस्तक्षेप की प्रतीक्षा
देवरिया जनपद की जिलाधिकारी दिव्या मित्तल तक मामला पहुँचने की चर्चाएँ तेज हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि डीएम द्वारा की गई निष्पक्ष जांच ही यह स्पष्ट करेगी कि लापरवाही किस स्तर पर हुई है और जिम्मेदारों पर क्या कार्रवाई होनी चाहिए। नगर व ग्रामीण स्तर पर लगातार उठ रही आवाजों के बीच अब सबकी निगाहें प्रशासन पर टिकी हैं कि वह इस गंभीर विषय पर क्या कदम उठाता है।
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