
New Delhi : भारत की ऊर्जा सुरक्षा और स्वच्छ रसोई अभियान को नई ताकत मिली है। केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सोमवार को घोषणा की कि भारत ने पहली बार अमेरिका के साथ संरचित रूप से बड़ी मात्रा में लिक्विफाइड पेट्रोलियम गैस (LPG) आयात का अनुबंध हस्ताक्षरित किया है। सार्वजनिक क्षेत्र की तीन प्रमुख तेल कंपनियां इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IOC), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPCL) 2026 के पूरे वर्ष के लिए अमेरिकी गल्फ कोस्ट से 2.2 मिलियन टन प्रति वर्ष (MTPA) LPG आयात करेंगी।
यह मात्रा भारत की कुल वार्षिक LPG आयात का लगभग 10 प्रतिशत है, जो देश को मध्य पूर्व पर निर्भरता से मुक्ति और वैश्विक कीमतों के उतार-चढ़ाव से सुरक्षा प्रदान करेगी। पुरी ने कहा, “यह डील प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY) की 10 करोड़ से अधिक लाभार्थी महिलाओं हमारी माताओं और बहनों को सस्ती और सुरक्षित गैस सुनिश्चित करेगी। भले ही अंतरराष्ट्रीय कीमतें 60% बढ़ें, हमारा संकल्प अटल है।” आइए, विस्तार से जानते हैं इस ऐतिहासिक समझौते के हर आयाम को।
अनुबंध की प्रमुख बातें: 2.2 MTPA आयात, माउंट बेलव्यू बेंचमार्क पर मूल्य निर्धारण
यह एक वर्षीय अनुबंध 1 जनवरी 2026 से प्रभावी होगा, जिसमें अमेरिकी गल्फ कोस्ट (टेक्सास और लुइसियाना क्षेत्र) से LPG की आपूर्ति होगी। मूल्य निर्धारण माउंट बेलव्यू (Mount Belvieu) इंडेक्सन वैश्विक LPG का प्रमुख बेंचमार्क पर आधारित होगा, जो पारदर्शिता और बाजार-आधारित दरें सुनिश्चित करेगा। मंत्री पुरी ने X पर पोस्ट करते हुए बताया कि IOC, BPCL और HPCL की एक संयुक्त टीम ने पिछले कई महीनों में अमेरिका का दौरा किया और प्रमुख उत्पादकों जैसे एंटरप्राइज प्रोडक्ट्स, एनर्जी ट्रांसफर और टार्गा रिसोर्सेज के साथ विस्तृत वार्ता की, जो अब सफलतापूर्वक संपन्न हो गई है।
भारत की सालाना LPG खपत लगभग 30 मिलियन टन है, जिसमें से 50-60% (लगभग 20-22 मिलियन टन) आयात होती है। वर्तमान में 80% से अधिक आयात सऊदी अरामको, कतर गैस और UAE जैसे मध्य पूर्वी स्रोतों से आता है। यह डील स्रोत विविधीकरण की दिशा में मील का पत्थर है, जो भू-राजनीतिक जोखिमों (जैसे हॉर्मुज स्ट्रेट संकट) से बचाव करेगी। पुरी ने कहा, “यह भारत-अमेरिका ऊर्जा साझेदारी का नया अध्याय है, जो दोनों देशों के बीच रणनीतिक संबंधों को मजबूत करेगा।”
उज्ज्वला उपभोक्ताओं को सीधी राहत: 40,000 करोड़ की सब्सिडी, कीमतें स्थिर रहेंगी
यह समझौता विशेष रूप से PMUY की लाभार्थियों के लिए वरदान साबित होगा। योजना के तहत 2016 से अब तक 10.3 करोड़ गरीब परिवारों मुख्य रूप से ग्रामीण महिलाओं को मुफ्त LPG कनेक्शन दिए गए हैं। पिछले वित्त वर्ष में वैश्विक LPG कीमतों में 60% से अधिक की वृद्धि के बावजूद, सरकार ने 40,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी देकर उज्ज्वला उपभोक्ताओं को 500-550 रुपये प्रति 14.2 किलो सिलेंडर पर गैस उपलब्ध कराई, जबकि बाजार मूल्य 1,100-1,200 रुपये तक पहुंच गया था।
पुरी ने जोर देकर कहा, “अमेरिकी आयात से कीमतें 5-8% तक कम हो सकती हैं, जो सब्सिडी बोझ को घटाएगी और उपभोक्ताओं को सीधी राहत देगी।” स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, उज्ज्वला से घरेलू धुंए से होने वाली सांस की बीमारियां 35% घटी हैं, और यह डील स्वच्छ ईंधन को और सुलभ बनाएगी। ग्रामीण क्षेत्रों में रिफिल रेट 90% से ऊपर पहुंच गया है, जो महिलाओं के सशक्तिकरण का प्रमाण है।
ऊर्जा सुरक्षा और विविधीकरण: मध्य पूर्व से मुक्ति, अमेरिका नया प्रमुख स्रोत
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा LPG उपभोक्ता है, और खपत सालाना 7-8% की दर से बढ़ रही है। मध्य पूर्व पर अत्यधिक निर्भरता जोखिमपूर्ण है 2022 के यूक्रेन युद्ध में कीमतें दोगुनी हो गई थीं। अमेरिका, जो शेल गैस क्रांति के बाद दुनिया का सबसे बड़ा LPG उत्पादक (सालाना 60 MTPA से अधिक) बन चुका है, अब भारत का रणनीतिक साझेदार बनेगा।
यह डील भारत-अमेरिका iCET (Initiative on Critical and Emerging Technology) और QUAD ऊर्जा सहयोग का हिस्सा है। भविष्य में अनुबंध को 5-10 वर्षों के लिए विस्तारित करने की योजना है। ICRA रेटिंग्स के अनुसार, इससे आयात लागत में 3-5% की बचत होगी, जो सालाना 2,000-3,000 करोड़ रुपये का मतलब है। पर्यावरणीय लाभ भी हैं LPG का बढ़ता उपयोग कोयले/लकड़ी पर निर्भरता कम कर कार्बन उत्सर्जन घटाएगा, जो भारत के नेट-जीरो 2070 लक्ष्य से मेल खाता है।
विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया: ‘ऊर्जा स्वावलंबन की दिशा में मील का पत्थर’
ऊर्जा विशेषज्ञों ने डील की सराहना की है। TERI के डायरेक्टर जनरल विभा धवन ने कहा, “यह स्रोत विविधीकरण ऊर्जा सुरक्षा का मजबूत कदम है, जो महिलाओं के स्वास्थ्य और सशक्तिकरण को बढ़ावा देगा।” CRISIL के एनालिस्ट्स ने अनुमान लगाया कि इससे घरेलू LPG कीमतें स्थिर रहेंगी, भले ही ब्रेंट क्रूड 100 डॉलर प्रति बैरल पार कर जाए। अमेरिकी दूतावास ने भी बयान जारी कर कहा, यह साझेदारी दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं और पर्यावरण के लिए लाभकारी है।















