
Lakhimpur Kheri : लखीमपुर खीरी के निघासन तहसील क्षेत्र में अवैध बालू खनन एक बार फिर खुलेआम परवान चढ़ रहा है। नदी से बिना किसी वैध अनुमति के दिन-रात बालू उठाने का खेल इतना बेलगाम हो चुका है कि खुद ट्रैक्टर चालक ही स्वीकार कर रहे हैं कि खनन बिना परमिशन और प्रशासन की नजरों से बचाकर किया जा रहा है। इन बयानों ने तहसील प्रशासन, खनन विभाग और स्थानीय पुलिस की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
“एक–दो ट्रैक्टर ऐसे ही निकाल लेते हैं” मांझा क्षेत्र में ट्रैक्टर चालक का इकबाल
मांझा क्षेत्र में बालू लदे एक ट्रैक्टर को रोके जाने पर चालक खुलकर कहता मिला कि वह शरीफ नामक व्यक्ति का ट्रैक्टर लेकर नदी से बालू निकाल रहा है और इसके लिए कोई अनुमति नहीं है। चालक का साफ कहना था कि “एक-दो ट्रैक्टर ऐसे ही निकाल लेते हैं” और ट्रॉली 2000 रुपये तक में बाजार में बेच दी जाती है। उसके मुताबिक दो-तीन चालक मिलकर चार ट्रैक्टर तक एक साथ चलाते हैं ताकि काम तेजी से हो सके।
कोलार घाट पर भी जारी चोरी “परमिशन नहीं, सीधे 2000 में बेच देते हैं”
मोतीपुर गांव की जौराहा नदी के कोलार घाट पर, अल्लू पुरवा निवासी रंजीत नामक चालक ने बताया कि वह बिना किसी अनुमति के बालू निकालकर पड़िया गांव ले जाता है और ट्रॉली 2000 रुपये में बेच देता है। उसके मुताबिक इस क्षेत्र से रोजाना दर्जनों ट्रैक्टर बिना रोक-टोक नदी का सीना चीरकर निकलते हैं।
स्थानीयों की शिकायत: “रात में 10–15 ट्रैक्टर गुजरते हैं, कोई रोकता तक नहीं”
ग्रामीणों का कहना है कि रात में 10–15 और दिन में भी कई ट्रॉलियां नदी किनारे से निकल जाती हैं। मौके पर न खनन विभाग का अमला दिखाई देता है, न पुलिस की मौजूदगी। ग्रामीणों का आरोप है कि विभागीय टीमों की चुप्पी और तहसील-स्तरीय अधिकारियों की ढिलाई ही इस नेटवर्क को मजबूती दे रही है।
डीएम की सख्ती के बावजूद तहसील प्रशासन सुस्त, कार्रवाई की गति पर सवाल
डीएम दुर्गा शक्ति नागपाल की तैनाती के बाद लोगों को सख्त कार्रवाई की उम्मीद थी। शुरुआती कार्रवाई के बाद अब हालात फिर पुराने ढर्रे पर लौटते दिख रहे हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि जब तहसील प्रशासन के एसडीएम, खनन विभाग और पुलिस स्तर पर ही मिलीभगत के आरोप लग रहे हों, तो जिलाधिकारी के अकेले प्रयास सीमित हो जाते हैं।
पर्यावरण से लेकर राजस्व तक नुकसान प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की मांग
अवैध खनन से नदियों का प्राकृतिक प्रवाह बिगड़ रहा है, कटान बढ़ रहा है और गांवों की सड़कों को नुकसान पहुंच रहा है। साथ ही सरकारी राजस्व को करोड़ों का घाटा लग रहा है। इन सबके बावजूद बालू माफिया दिन-रात धंधा चला रहे हैं और प्रशासन की पकड़ बेहद कमजोर नजर आ रही है। ग्रामीणों ने मांग की है कि निघासन व आसपास के घाटों पर बड़े स्तर पर संयुक्त अभियान चलाया जाए और तहसील प्रशासन व विभागीय अधिकारियों की भूमिका पर उच्चस्तरीय जांच हो। फिलहाल स्थिति यह है कि खनन माफियाओं के हौसले बुलंद हैं, और निगरानी की जिम्मेदारी जिन विभागों की है, उन्हीं पर उंगली उठ रही है।










