एम्स भोपाल में उन्नत फार्माकोविजिलेंस प्रशिक्षण से मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में मरीज़ सुरक्षा को नई मजबूती

एम्स भोपाल के फार्माकोलॉजी विभाग ने मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के लिए आठवाँ उन्नत फार्माकोविजिलेंस प्रशिक्षण और कोऑर्डिनेटर्स मीटिंग आयोजित की। कार्यक्रम में 17 मेडिकल कॉलेजों के कोऑर्डिनेटर, डिप्टी कोऑर्डिनेटर और फार्माकोविजिलेंस एसोसिएट शामिल हुए और मरीज़ों की सुरक्षा तथा दवाईयों के सुरक्षित उपयोग पर विशेष चर्चा हुई। विशेषज्ञों ने दवाई से होने वाले दुष्प्रभावों की रोकथाम, ईको-फार्माकोविजिलेंस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित सिग्नल डिटेक्शन और त्वचा संबंधी दुष्प्रभावों के प्रबंधन जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर उपयोगी जानकारियाँ साझा कीं। कार्यक्रम में डब्ल्यूएचओ कॉज़ेलिटी असेसमेंट स्केल और नारंजो एल्गोरिदम जैसे वैज्ञानिक टूल्स की मदद से केस आधारित प्रशिक्षण दिया गया।

आई.पी.सी. गाजियाबाद द्वारा वित्तपोषित इस कार्यक्रम में एम्स भोपाल के विशेषज्ञों ने फार्माकोविजिलेंस गतिविधियों, रिपोर्टिंग प्रक्रियाओं और सुरक्षित दवा उपयोग पर जागरूकता बढ़ाने पर जोर दिया। एम्स भोपाल ने मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के लिए फार्माकोविजिलेंस के क्षेत्र में क्षमता बढ़ाने के उद्देश्य से आठवाँ उन्नत स्तर का फार्माकोविजिलेंस प्रशिक्षण एवं कोऑर्डिनेटर्स मीटिंग का सफल आयोजन किया। यह कार्यक्रम फार्माकोलॉजी विभाग द्वारा आयोजित किया गया, जो फार्माकोविजिलेंस प्रोग्राम ऑफ इंडिया (PvPI) के अंतर्गत एक रीजनल ट्रेनिंग सेंटर-सह-एडवर्स ड्रग रिएक्शन मॉनिटरिंग सेंटर है। इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य आम नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और दवाईयों के दुष्प्रभावों की जागरूक रिपोर्टिंग को बढ़ावा देना था।

कार्यक्रम का उद्घाटन डॉ. रजनीश जोशी (डीन- अकादमिक) ने किया। उन्होंने कहा कि सही तरीके से प्रिस्क्रिप्शन लिखना और मरीज़ों का संपूर्ण इतिहास लेना दवाईयों से होने वाले प्रतिकूल प्रभावों को रोकने में अहम भूमिका निभाता है। उन्होंने सभी प्रतिभागियों को दवा सुरक्षा के विषय में सक्रिय योगदान देने के लिए प्रेरित किया। फार्माकोलॉजी विभाग के प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष, डॉ. बालाकृष्णन एस ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की और प्रतिभागियों को भारतीय जनसंख्या आधारित सुरक्षा डेटा तैयार करने के लिए अधिक से अधिक दुष्प्रभावों की रिपोर्टिंग करने के लिए प्रोत्साहित किया। इस कार्यक्रम में मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के 17 मेडिकल कॉलेजों के कोऑर्डिनेटर, डिप्टी कोऑर्डिनेटर और फार्माकोविजिलेंस एसोसिएट शामिल हुए। यह आयोजन आई.पी.सी. गाजियाबाद द्वारा वित्तपोषित था, जो फार्माकोविजिलेंस प्रोग्राम ऑफ इंडिया का राष्ट्रीय समन्वय केंद्र है।

कार्यक्रम के दौरान विभिन्न विशेषज्ञों ने उपयोगी और महत्वपूर्ण विषयों पर जानकारी दी। श्री विपिन शर्मा (सीनियर फार्माकोविजिलेंस एसोसिएट, फार्माकोविजिलेंस प्रोग्राम ऑफ इंडिया) ने भारत में फार्माकोविजिलेंस की वर्तमान स्थिति पर जानकारी दी। डॉ. सुरेंद्र कुमार बौद्ध (प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, फार्माकोलॉजी, गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज दतिया) ने मरीज़ों की सुरक्षा पर विस्तृत जानकारी प्रदान की।
इसके अलावा नए विषयों में ईको-फार्माकोविजिलेंस की आवश्यकता और इसके नियामक पहलुओं पर एलएनएमसी भोपाल के डॉ. निकेत राय ने चर्चा की। एआई आधारित सिग्नल डिटेक्शन की भूमिका पर एम्स रायपुर के डॉ. पुगझेंथन टी. ने महत्वपूर्ण बिंदु साझा किए। आर.डी. गार्डी मेडिकल कॉलेज उज्जैन की डॉ. रुचि बघेल ने डब्ल्यूएचओ कॉज़ेलिटी असेसमेंट स्केल और नारंजो एल्गोरिदम की सहायता से केस आधारित प्रशिक्षण दिया, जिससे प्रतिभागी दुष्प्रभावों के कारण का वैज्ञानिक आकलन कर सके। डॉ. प्रशंसा जयसवाल (एसोसिएट प्रोफेसर, डर्मेटोलॉजी, एम्स भोपाल) ने त्वचा संबंधी दवा दुष्प्रभावों की पहचान और प्रबंधन पर जानकारी दी। फार्माकोविजिलेंस एसोसिएट सुश्री दीपिका चौधरी ने एम्स भोपाल में चल रही फार्माकोविजिलेंस गतिविधियों का सार प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम में प्रतिभागियों के लिए क्विज का आयोजन डॉ. भावना (सीनियर रेजिडेंट, फार्माकोलॉजी) ने किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. चिराग अग्रवाल (जूनियर रेजिडेंट) और डॉ. भावना ने किया। कार्यक्रम का समापन एम्स भोपाल के डॉ. केविन जैन (जूनियर रेजिडेंट, फार्माकोलॉजी) द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें