
Hardoi : सरकारें भले ही किसानों को अन्नदाता बताकर उनकी भलाई के लिए योजनाएं लाती हों, लेकिन जमीनी हकीकत कई बार इसके उलट दिखाई देती है। हरदोई जिले में घटी एक घटना ने किसानों के बीच आक्रोश और मायूसी दोनों बढ़ा दी है। मामला इस बात का सबूत है कि जिन मिलों और अधिकारियों को किसान अपनी मेहनत की उपज सौंपते हैं, कई बार वही लोग संकट की घड़ी में संवेदनहीनता दिखा देते हैं।
शनिवार सुबह करीब 6:30 बजे जतुली पुलिया के पास किसान श्रीश चंद्र अपनी गन्ने से भरी ट्रॉली लेकर हरियांवां चीनी मिल जा रहे थे। रास्ते में एक जानवर को बचाने के प्रयास में उनका ट्रैक्टर अनियंत्रित होकर लगभग 20 फीट गहरी खाई में गिर गया। हादसा गंभीर था, मगर किसान बाल-बाल बच गए।
घटना की जानकारी तुरंत हरियावां चीनी मिल के जनरल मैनेजर संदीप सिंह को दी गई। किसानों को उम्मीद थी कि मिल प्रबंधन तुरंत मदद करेगा, लेकिन जीएम घटनास्थल पर करीब चार घंटे बाद पहुंचे। सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि मौके पर पहुँचकर उन्होंने न तो किसान की कोई सहायता करवाई और न ही क्रेन बुलाने की पहल की। उल्टा, घायल और सदमे में पड़े किसान को ताने सुनाने लगे।
मौके पर पहुंचे मिल के अधिकारी किसान को सांत्वना के दो शब्द तो नहीं बोल पाए लेकिन किसान को हतोत्साहित जरूर कर दिया। मौके पर मौजूद किसानों ने बताया की मिल के एक देवेंद्र सिंह नाम के अधिकारी ने किसान से संवेदना व्यक्त करते हुए आश्वासन दिया और हर संभव मदद की बात कही।
किसान श्रीश चंद्र के अनुसार, जीएम संदीप सिंह ने उनकी मेहनत से तैयार की गई गन्ने की फसल को “मिट्टी” बताते हुए कहा—
“मिट्टी जैसी फसल मिट्टी में मिल गई।”
किसानों का कहना है कि यह बयान न केवल अपमानजनक है बल्कि उस मेहनत का अपमान है जिसके सहारे ही चीनी मिलें चलती हैं और हजारों लोगों की रोजी-रोटी निर्भर है। किसानों ने सवाल उठाया है कि क्या मिल प्रबंधन का किसान से सरोकार केवल गन्ने की खरीद तक ही सीमित है?
क्या बोलीं जिला गन्ना अधिकारी
इस बाबत पर जब जनपद हरदोई की जिला गन्ना अधिकारी निधि गुप्ता से बात की गयी और उनको हुई घटना से अवगत कराया तो उन्होंने घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा की किसान के साथ ऐसा बर्ताव करना बेहद संवेदनहीन है। वह इसकी जानकारी कर के जवाबदेही तय करेंगी।
इस घटना के बाद क्षेत्र के किसानों में जबरदस्त नाराज़गी है। उनका कहना है कि यदि मिल के जिम्मेदार अधिकारी ही ऐसी संवेदनहीनता दिखाएँगे, तो किसान अपनी फसल और जीवन की सुरक्षा को लेकर किस पर भरोसा करे?
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