
नई दिल्ली : हाई ब्लड शुगर यानी हाइपरग्लाइसीमिया की समस्या आजकल आम होती जा रही है, लेकिन यह सेहत के लिए गंभीर खतरा पैदा करती है। जिन लोगों का शुगर लेवल लगातार सामान्य से अधिक रहता है, उनमें हृदय रोग, किडनी की समस्याएं और मेटाबॉलिज्म संबंधी दिक्कतें देखने को मिलती हैं।
डॉक्टरों के अनुसार, हाई ब्लड शुगर केवल डायबिटीज का संकेत नहीं है, बल्कि यह शरीर के कई अंगों को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाती है। लंबे समय तक शुगर अधिक रहने से नसें कमजोर होती हैं, रक्त प्रवाह प्रभावित होता है और कई जानलेवा बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए डॉक्टर नियमित जांच और शुगर को नियंत्रित करने के उपाय अपनाने की सलाह देते हैं। जिनके परिवार में पहले से डायबिटीज रही है, उन्हें और सतर्क रहने की जरूरत है।
घर पर भी ग्लूकोमीटर की मदद से शुगर की जांच की जा सकती है। लेकिन सवाल यह है कि शुगर की जांच करने का सबसे अच्छा समय कब है – सुबह या शाम? एंडोक्रिनोलॉजिस्ट डॉ. शेखर साहिनी बताते हैं कि डायबिटीज के मरीजों के लिए फास्टिंग शुगर (सुबह नाश्ते से पहले) और पोस्ट मील शुगर (भोजन के 1-2 घंटे बाद) जांच करना जरूरी है। फास्टिंग शुगर से यह पता चलता है कि शरीर रातभर ग्लूकोज का प्रबंधन कैसे करता है, जबकि पोस्ट मील शुगर से भोजन के बाद ब्लड शुगर पर प्रभाव का अंदाजा मिलता है।
शुगर के लेवल पर निगरानी केवल रीडिंग देखने तक सीमित नहीं है। इसे एक फीडबैक टूल की तरह देखा जाना चाहिए, जो शरीर की स्थिति समझने, सही भोजन विकल्प चुनने और हृदय, किडनी व नसों से जुड़ी समस्याओं से बचने में मदद करता है। अगर शुगर लेवल लगातार सामान्य से अधिक रहता है, तो समय रहते डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है। जल्दी इलाज शुरू करने से डायबिटीज से होने वाले जटिलताओं का खतरा कम हो जाता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, फास्टिंग शुगर का लेवल 80-100 मिग्रा/डीएल और भोजन के बाद शुगर 140 मिग्रा/डीएल से कम होना चाहिए। इसके अलावा, HbA1c टेस्ट हर तीन महीने में कराना चाहिए, जिसका स्तर 7% से कम होना चाहिए। विशेषकर मोटापे वाले, दिनभर बैठकर काम करने वाले या जिनके माता-पिता को डायबिटीज है, उन्हें नियमित शुगर जांच की सलाह दी जाती है।
जहां तक ग्लूकोमीटर और HbA1c टेस्ट की तुलना है, ग्लूकोमीटर रोजाना शुगर लेवल जानने के लिए उपयोगी है, जबकि HbA1c टेस्ट डायबिटीज की स्थिति की सटीक जानकारी देता है और पिछले तीन महीनों का औसत शुगर स्तर बताता है। डॉक्टर डायबिटीज मरीजों को हर तीन महीने में HbA1c टेस्ट कराने की सलाह देते हैं।















