
हरिद्वार (उत्तराखंड) . देवभूमि हरिद्वार स्थित मिश्री मठ में चल रहे पंचदिवसीय पूर्णिमा महोत्सव (साधक महासम्मेलन) एवं देवभूमि रजत महोत्सव के अवसर पर, मुख्य अतिथि के रूप में पधारे श्री चक्रपाणि जी महाराज ने अपने दिव्य प्रवचन से साधकों के हृदयों में श्रद्धा, भक्ति और आत्मबोध की ज्योति प्रज्वलित की।
अपने सारगर्भित उद्बोधन के प्रारंभ में महाराज जी ने पूज्य करौली शंकर महादेव जी के चरणों में नमन करते हुए कहा कि
“उनके सान्निध्य में आत्मा को परमानंद की अनुभूति होती है, और हर संवाद आत्मा की सेवा या ‘सर्विसिंग’ के समान है।”
उन्होंने कहा कि करौली सरकार जी से मिलने या उनसे संवाद करने मात्र से ही तन-मन हल्का हो जाता है, चिंताओं का नाश होता है और साधक पुनः ऊर्जावान और संतुलित हो जाता है।
महाराज जी ने कहा कि केवल वही सौभाग्यशाली साधक ऐसे महापुरुष के चरणों तक पहुँच पाते हैं, जिनसे आत्मिक शक्ति और दिव्यता का संचार होता है। उन्होंने कहा
“यह एक ऐसी सरकार है जो कभी गिर नहीं सकती, क्योंकि यह अध्यात्म की, सत्य की और मोक्ष की सरकार है।”
अपने प्रवचन में श्री चक्रपाणि जी ने करौली सरकार जी के प्रति अपनी आस्था और स्नेह के अनुभव साझा करते हुए कहा कि उनकी शरण में आने वाला व्यक्ति न केवल सांसारिक शांति प्राप्त करता है, बल्कि मुक्ति का मार्ग भी पाता है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक साधक का धर्म है कि वह “ज्योति से ज्योति जलाने” का कार्य करे, अपने अनुभवों की दिव्यता को दूसरों तक पहुँचाए।
उन्होंने सनातन धर्म के तीन चरणों, अवलोकन, निरीक्षण और स्वीकृति की व्याख्या करते हुए बताया कि व्यक्ति पहले देखता है, फिर अनुभव करता है और अंततः सत्य को स्वीकार करता है।
श्री चक्रपाणि जी महाराज ने आज के युग की नकारात्मक शक्तियों के प्रति चेताया और कहा कि जहाँ एक ओर विनाशकारी प्रवृत्तियाँ बढ़ रही हैं, वहीं करौली सरकार जी जैसी दिव्य शक्ति विश्व में सकारात्मकता और संतुलन लाने का कार्य कर रही हैं। उन्होंने कहा
“साधक को वर्तमान में जीना चाहिए, क्योंकि वर्तमान ही सच्चा जीवन है। सुमिरन और गुरु की आज्ञा पालन से व्यक्ति सांसारिक मोह-माया से ऊपर उठ जाता है।”
अपने प्रवचन में महाराज जी ने एक प्रेरक कथा भी सुनाई जिसमें एक गुरु ने करुणा और क्षमा का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया। यह कथा इस सत्य को उजागर करती है कि जब गुरु और शिष्य दोनों ही निष्ठावान होते हैं, तब कोई भी शक्ति सनातन धर्म को झुका नहीं सकती। उन्होंने कहा कि करौली सरकार जी जैसे पूर्ण गुरु जिस साधक को स्पर्श करते हैं, वह स्वयं में गुरुत्व ग्रहण कर लेता है और दूसरों के जीवन में प्रकाश फैलाता है।
प्रवचन के समापन में श्री चक्रपाणि जी महाराज ने कहा
“यदि भारत पुनः विश्वगुरु बनेगा, तो वह राजनीति या धन से नहीं, बल्कि ऐसे संतों की तपस्या और साधकों के समर्पण से बनेगा।”
उन्होंने सभी उपस्थित साधकों को आशीर्वाद देते हुए कहा कि करौली सरकार जी का यह आध्यात्मिक शासन केवल इस धरती पर आनंद नहीं देता, बल्कि आत्मा को मुक्ति और शाश्वत शांति की ओर भी ले जाता है।















