
वंदे भारत एक्सप्रेस आज भारत की सबसे तेज, आधुनिक और तकनीकी रूप से उन्नत ट्रेनों में शामिल है। ऐसे में इस ट्रेन को चलाने वाले लोको पायलट की जिम्मेदारी भी बेहद महत्वपूर्ण होती है। चमचमाती, तेज रफ्तार से दौड़ती वंदे भारत को चलाने का सपना अब लाखों युवाओं के मन में है। लेकिन इसके लिए सही योग्यता, ट्रेनिंग और कड़ी चयन प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। यदि आप भी वंदे भारत के पायलट बनने की तैयारी कर रहे हैं, तो यह जानकारी आपके बेहद काम की है।
कौन बन सकता है वंदे भारत ट्रेन का लोको पायलट?
वंदे भारत जैसी हाई-स्पीड ट्रेन चलाने के लिए पहले भारतीय रेलवे में असिस्टेंट लोको पायलट (ALP) के पद पर चयन होता है। इसके लिए न्यूनतम योग्यताएँ इस प्रकार हैं:
- 10वीं पास होना अनिवार्य
- किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से आईटीआई (ITI)
- इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल, फिटर या मोटर मैकेनिक ट्रेड वाले उम्मीदवारों को खास प्राथमिकता मिलती है
ALP के रूप में नियुक्ति मिलने के बाद अनुभव, प्रदर्शन और ट्रेनिंग के आधार पर पदोन्नति मिलती है। यही उम्मीदवार आगे चलकर सीनियर लोको पायलट और फिर वंदे भारत जैसी प्रीमियम ट्रेनों के ड्राइवर बनते हैं।
चयन प्रक्रिया कैसी होती है?
लोको पायलट बनने के लिए रेलवे भर्ती बोर्ड (RRB) द्वारा आयोजित परीक्षा से गुजरना होता है। यह प्रक्रिया तीन चरणों में होती है:
- लिखित परीक्षा (CBT)
- गणित
- रीजनिंग
- सामान्य विज्ञान
- सामान्य ज्ञान
- मेडिकल टेस्ट
- आंखों की रोशनी
- रिफ्लेक्स
- फिटनेस
- रेलवे ट्रेनिंग
चयनित उम्मीदवारों को रेलवे के प्रशिक्षण संस्थान में कई महीनों की गहन ट्रेनिंग दी जाती है।
ट्रेनिंग के बाद क्या जिम्मेदारियाँ मिलती हैं?
ट्रेनिंग पूरी करने के बाद नए लोको पायलट को पहले मालगाड़ी चलाने की जिम्मेदारी मिलती है ताकि इंजन की प्रक्रिया और ट्रैक की समझ विकसित हो सके। कुछ वर्षों के अनुभव और अच्छे व्यवहारिक प्रदर्शन के बाद ही उन्हें सवारी गाड़ियाँ (Passenger Trains) सौंपी जाती हैं।
बेहतरीन रिकॉर्ड वाले लोको पायलट्स को ही वंदे भारत, तेजस, राजधानी एक्सप्रेस जैसी हाई-स्पीड प्रीमियम ट्रेनों को चलाने का मौका मिलता है।















