क्या नीतीश ही बनेंगे बिहार के CM? 30 दिन में दिए 10 बयानों ने खोल दी पूरी कहानी

बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं और तस्वीर अब बिल्कुल साफ हो चुकी है. एनडीए को 202 सीटों के साथ स्पष्ट बहुमत मिला है, यानी जनता ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व पर भरोसा जताया है. लेकिन जैसे ही आंकड़े स्थिर हुए, सबसे बड़ा सवाल उभरकर सामने आ गया कि क्या नई सरकार में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर फिर से नीतीश कुमार ही बैठेंगे?

क्योंकि नतीजों के बाद जिस तरह के बयान सामने आ रहे हैं, उनसे सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है. एनडीए जीत चुका है, लेकिन सत्ता का नेतृत्व किसके हाथ में होगा इस पर चर्चाएं तेज हैं. भाजपा हाईकमान पहले ही कई बार संकेत दे चुका है कि “नीतीश ही सीएम होंगे”, लेकिन कुछ बयानों ने इस संभावना पर नए सवाल खड़े कर दिए हैं. ऐसे में पिछले 30 दिनों के कुछ बड़े बयानों को पढ़कर ही दूध का दूध और पानी का पानी समझा जा सकता है.

विनोद तावड़े का बयान – चिंगारी यहीं से उठी

नतीजों के बाद जब भाजपा प्रभारी विनोद तावड़े से पूछा गया कि सीएम कौन होगा, तो उनका जवाब एकदम राजनीतिक अंदाज़ में आया, “समय आने पर सब पता चल जाएगा.” यह बयान जितना छोटा था, उतना ही भारी. इसका मतलब यह भी निकाला गया कि भाजपा नेतृत्व पर फिर से विमर्श चाहती है. यह बयान उन सभी बयानों के बीच आया जिनमें पहले नीतीश के नेतृत्व को मंजूर बताया गया था, इसलिए हलचल बढ़ना स्वाभाविक था.

तावड़े ने आगे कहा, “हमने चुनाव नीतीश के नेतृत्व में लड़ा है, लेकिन फैसला चार अन्य साथियों के साथ मिलकर लिया जाएगा.” यहां उन्होंने विशेष तौर पर एनडीए की पांच पार्टियों का नाम लिया, भाजपा, जेडीयू, हम (जीतन राम मांझी), आरएलएसपी/रालोसपा (उपेंद्र कुशवाहा) और एलजेपी(रामविलास) चिराग पासवान. इस बयान से यह संकेत मिला कि भाजपा अब पहले की तरह स्वतः ‘नीतीश ही सीएम’ कहने से बच रही है. यानी नीतीश की कुर्सी पर पहली बार गंभीर सवाल उठे.

दोनों मिलकर बिहार को आगे ले जाएंगे

30 अक्टूबर को छपरा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, “बिहार के नौजवानों, मैं गारंटी देता हूं. आपका सपना मेरा संकल्प है… नरेंद्र और नीतीश दोनों मिलकर बिहार को आगे ले जाएंगे.” यह कथन गठबंधन में स्थिर नेतृत्व के वादे जैसा था. मोदी ने यहां ‘डबल इंजन’ की बात नहीं, बल्कि ‘डबल लीडरशिप’ की बात की थी जो इशारा बहुत साफ था.

मोदी ने कई रैलियों में कहा, “बिहार की यात्रा सुशासन से समृद्धि की है.” और ‘सुशासन’ शब्द लंबे समय से नीतीश कुमार की राजनीतिक पहचान रहा है. यह संकेत देता है कि भाजपा नेतृत्व लगातार नीतीश के कार्यकाल को अपनी उपलब्धियों में जोड़कर पेश कर रहा था.

नीतीश को बताया था नेतृत्व का स्तंभ

8 नवंबर पूर्णिया के बनमनखी में अमित शाह ने रैली में कहा था, “इस चुनाव में दो खेमे हैं- एक तरफ बिखरा हुआ ठगबंधन, दूसरी तरफ पांच पांडवों जैसा एनडीए… नीतीश और मोदी के नेतृत्व में बिहार आगे बढ़ेगा.” यहां वह स्पष्ट रूप से नीतीश को नेतृत्व का स्तंभ बता चुके थे.शाह का यह बयान चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा की आधिकारिक लाइन थी.

मोदी जी और नीतीश जी की जोड़ी होगी हिट

4 नवंबर को बीजेपी बिहार के सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया गया जिसमें लिखा गया कि 14 नवंबर की तारीख है फिट, मोदी जी और नीतीश जी की जोड़ी होगी हिट! इससे पता चल रहा था कि इस बार एनडीए नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ रही है.

कोई दो राय नहीं: अमित शाह

एक टीवी इंटरव्यू में अमित शाह ने स्पष्ट कर दिया था कि इस बार एनडीए नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ रही है. उन्होंने कहा था, हमने स्पष्ट कर दिया है कि हम नीतीश कुमार जी के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ रहे हैं, इसमें कोई कंफ्यूजन नहीं है.”

चिराग ने भी किया था क्लियर

28 अक्टूबर को पटना में केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने एनडीए के मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर कहा, “…एक ही बात की घोषणा कितनी बार की जाती है. नीतीश कुमार मुख्यमंत्री हैं. उनके नेतृत्व में ही हम चुनाव लड़ रहे हैं. एक सामान्य प्रक्रिया का जिक्र गृहमंत्री के द्वारा किया गया कि विधायक आएंगे और विधायक ही चुनेंगे, यही होता है…”

पीएम-सीएम की कुर्सी खाली नहीं

30 अक्टूबर को अमित शाह ने एक सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि जब तक मोदी जी और नीतीश जी हैं पीएम-सीएम की कुर्सी खाली नहीं है!

नीतीश ही आगे

8 नवंबर को जेपी नड्डा ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा, “हम नीतीश जी के नेतृत्व में चुनाव लड़ रहे हैं. चाहे किसकी सीट ज्यादा आए, लेकिन सरकार उन्हीं के नेतृत्व में बनेगी.” यह बयान चुनाव के सबसे मजबूत आश्वासनों में से था. यानी भाजपा शीर्ष स्तर पर नीतीश को ही आगे रखने की बात कर चुकी थी.

नीतीश के नेतृत्व को विकास से जोड़ा

7 नवंबर को गोविन्दगंज विधानसभा क्षेत्र में आयोजित जनसभा में नड्डा ने कहा, “मोदी जी के मार्गदर्शन और नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार लालटेन युग से LED युग में आया है.” उन्होंने एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, राष्ट्रीय एक्सप्रेस-वे, दो एम्स जैसी उपलब्धियां गिनाते हुए यह भी संकेत दिया कि नेतृत्व की निरंतरता ही विकास की शर्त है. यानी भाजपा के मंच से कई बार नीतीश के नेतृत्व को ‘मान्यता’ दी गई थी.

प्रदेश अध्यक्ष ने किया था क्लियर

17 अक्टूबर को पटना में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने कहा था, “महागठबंधन ने चुनाव शुरू होने से पहले ही अपना चरित्र दिखा दिया…प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार आगे बढ़ रहा है…” यह बयान भाजपा के राज्य नेतृत्व की तरफ से था और इसमें भी नीतीश को ही नेतृत्व दिया गया था.

हाईकमान पहले ही कह चुका है

दिल्ली में रणनीतिक बैठकों के दौरान भाजपा नेताओं ने साफ कहा था, “अगर बहुमत आया तो सीएम नीतीश ही होंगे.” यह स्थिति नतीजों से पहले तक बिल्कुल साफ थी. लेकिन नतीजे आ जाने के बाद तावड़े का बयान इस आधिकारिक लाइन से अलग दिखा—और यहीं से राजनीतिक विमर्श का मोड़ शुरू हुआ.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें