दिल्ली धमाके के बाद UP में अलर्ट: अवैध मदरसों में छात्रों की जांच तेज

Lucknow : दिल्ली के लाल किले के पास हुए घातक बम विस्फोटों के बाद उत्तर प्रदेश में जांच एजेंसियों की नजर अब अवैध मदरसों और उनमें रहने वाले बाहरी छात्रों पर टिक गई है। इस विस्फोट में कम से कम 12 लोगों की मौत हुई थी और जांच में जम्मू-कश्मीर स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का हाथ सामने आया है।

लखनऊ और प्रदेश के अन्य शहरों से इस कांड का कनेक्शन मिलने के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और यूपी एटीएस ने व्यापक छापेमारी शुरू कर दी है। सूत्रों के मुताबिक, प्रदेश में करीब 13,000 से अधिक अवैध मदरसे संचालित हैं, जिनमें से 111 अकेले राजधानी लखनऊ में हैं। इन पर प्रशासन का कोई नियंत्रण नहीं है, और अब इनकी फंडिंग, छात्रों की पृष्ठभूमि तथा गतिविधियों की गहन जांच की जा रही है।

दिल्ली विस्फोट की जांच में ‘व्हाइट कॉलर टेरर नेटवर्क’ का खुलासा होने के बाद यूपी में अलर्ट बढ़ा दिया गया है। जांचकर्ताओं ने पाया कि विस्फोट एक आकस्मिक घटना थी, जब आतंकवादी घबराहट में विस्फोटक सामग्री को संभाल रहे थे। इसमें शामिल संदिग्धों में कई डॉक्टर भी हैं, जैसे कानपुर की जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की पूर्व शिक्षिका डॉ. शाहीन सईद, जिनकी गिरफ्तारी ने इलाके को स्तब्ध कर दिया। एनआईए और यूपी एटीएस ने अमरोहा जिले के दो गांवों में मध्यरात्रि छापेमारी कर दो संदिग्धों सलमान और एक अन्य को हिरासत में लिया। जांच में 2,900 किलोग्राम विस्फोटक सामग्री जब्त की गई, जो बहु-राज्यीय टेरर मॉड्यूल का हिस्सा लगती है। पूर्व डीजीपी एके जैन ने कहा, “दिल्ली घटना में लखनऊ कनेक्शन आने के बाद संस्थाओं पर सख्त निगरानी जरूरी है। जहां भी समूह में संदिग्ध लोग एकत्र हों, वहां 24 घंटे चौकसी बरतनी होगी।”

प्रदेश में अवैध मदरसों की समस्या पुरानी है। 2022 में किए गए सर्वे में 25,000 मदरसों में से 8,449 को गैर-मान्यता प्राप्त पाया गया, जिसके बाद विशेष जांच दल (एसआईटी) ने 13,000 अवैध मदरसों की पहचान की। एसआईटी की रिपोर्ट में कहा गया कि ये मदरसे आतंकी संगठनों से फंडिंग प्राप्त कर रहे हैं, लेकिन फंड के स्रोत और दानदाताओं का खुलासा नहीं करते। इनमें से कई मदरसे नेपाल सीमा से सटे जिलों जैसे लखीमपुर खीरी, पीलीभीत, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, महाराजगंज और बलरामपुर में हैं, जहां संदिग्ध गतिविधियां पहले भी पाई गई हैं। मई 2025 में नेपाल सीमा के पास 225 अवैध मदरसों को ध्वस्त किया गया, और उनके छात्रों को सरकारी स्कूलों में दाखिला दिया गया।

पिछले घटनाक्रमों ने चिंता बढ़ाई है। 5 मई को श्रावस्ती में जिला प्रशासन की छापेमारी में कई लैपटॉप, इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स और आपत्तिजनक साहित्य बरामद हुए। जांच में पता चला कि यहां बच्चों को धार्मिक कट्टरता की शिक्षा दी जा रही थी। सिद्धार्थनगर और महाराजगंज के 602 मदरसों में से 15 में संदिग्ध गतिविधियां मिलीं। हाल ही में बलरामपुर में जलालुद्दीन उर्फ छांगुर प्रकरण ने सनसनी फैला दी, जहां अवैध मदरसे में आतंकी ट्रेनिंग का शक हुआ। पिछले साल लखनऊ के दुबग्गा इलाके में जमीयतुल कासिम अल इस्लामिया मदरसे से 21 बच्चों को मुक्त कराया गया, जो बिहार से लाए गए थे और उन्हें कट्टरपंथी शिक्षा दी जा रही थी।

इससे पहले जुलाई 2021 में काकोरी के सीता विहार कॉलोनी में एटीएस ने एक मदरसे से अल-कायदा के संदिग्ध को गिरफ्तार किया। 2017 में इसी इलाके में आईएस आतंकी सैफुल्ला को मुठभेड़ में मार गिराया गया। हाल ही में बहरीच में एक अवैध मदरसे से 40 नाबालिग लड़कियां (9-14 साल) बरामद की गईं, जो कमरों में बंद थीं। बिहार के सारण जिले में एक मदरसे में छात्रों को बम बनाना सिखाया जा रहा था, जहां एक मौलाना की मौत और छात्र की चोट के बाद खुलासा हुआ।

अक्टूबर 2023 में यूपी सरकार ने मदरसों की विदेशी फंडिंग की जांच के लिए एसआईटी गठित की, जो अवैध गतिविधियों जैसे आतंकवाद या जबरन धर्मांतरण पर फोकस कर रही है। जांच में पाया गया कि कई मदरसे अलग-अलग धार्मिक संगठनों द्वारा संचालित हैं, जिनकी फंडिंग अपारदर्शी है। छात्रों की संख्या, पते और रजिस्टर अस्पष्ट हैं, तथा मुख्य रूप से धार्मिक शिक्षा दी जाती है। जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी सोम कुमार ने बताया, “अवैध मदरसों के नियंत्रण के लिए नई नियमावली बनाई जा रही है। शासन के दिशा-निर्देशों के बाद कार्रवाई होगी।”

सरकार ने गैर-पंजीकृत मदरसों पर 10,000 रुपये प्रतिदिन का जुर्माना लगाने का प्रावधान किया है, यदि वे दस्तावेज जमा नहीं करते। मुस्लिम संगठनों ने इन कार्रवाइयों को मुस्लिम समुदाय को लक्षित करने वाला बताया है, लेकिन सरकार का

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