बिहार 2025 : नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए को बढ़त, सत्ता में वापसी तय

बिहार 2025 : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के परिणाम आने लगे हैं और एक बार फिर राज्य में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनती दिख रही है। इस तरह बिहार में बीते 20 वर्षों की तर्ज पर नीतीश कुमार सत्ता की कुर्सी पर काबिज होने जा रहे हैं। 2005 के अंत से शुरू हुआ उनका शासन अब अगले पांच वर्षों तक जारी रह सकता है।

2005: दो बार चुनाव और सत्ता की जटिल स्थिति
1990, 1995 और 2000 के चुनावों में लालू प्रसाद यादव बिहार की सत्ता पर रहे। 2005 में स्थितियां बदल गईं और सात महीने के भीतर राज्य में दो बार चुनाव हुए। फरवरी 2005 में बिहार और झारखंड के अलग होने के बाद पहली बार चुनाव हुए। राजद ने 215 उम्मीदवार उतारे, लेकिन उसे 75 सीटें मिलीं। जदयू और भाजपा गठबंधन ने 138 सीटों पर चुनाव लड़ा, जिसमें जदयू ने 55 और भाजपा ने 37 सीटें जीती। किसी को बहुमत नहीं मिला, और लोजपा 29 सीटों के साथ किंगमेकर बनी, लेकिन शर्तों के कारण सरकार नहीं बन सकी। अंततः नए सिरे से चुनाव हुए और अक्टूबर-नवंबर 2005 में एनडीए को स्पष्ट बहुमत मिला। जदयू को 88 और भाजपा को 55 सीटें मिलीं, और नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने।

2010: मजबूत जनाधार और एकतरफा जीत
नीतीश कुमार ने महिलाओं, मुस्लिमों और पिछड़ों के लिए आरक्षण और कल्याणकारी योजनाओं के जरिए अपना नया जनाधार बनाया। 2010 के विधानसभा चुनाव में जदयू-भाजपा गठबंधन ने 206 सीटें जीतकर सत्ता में मजबूत स्थिति बनाई। जदयू ने 115 और भाजपा ने 91 सीटें जीती। राजद सिर्फ 22 सीटों पर सिमट गई, कांग्रेस को चार और लोजपा को तीन सीटें मिलीं।

2010-2015: सुशासन और गठबंधन बदलना
नीतीश ने अपने दूसरे कार्यकाल में बिहार के बुनियादी ढांचे और बिजली व्यवस्था में सुधार किया, जिससे उनकी ‘सुशासन बाबू’ छवि बनी। जून 2013 में उन्होंने भाजपा से गठबंधन तोड़ दिया। 2014 के लोकसभा चुनाव में जदयू को केवल दो सीटें मिलीं और नीतीश मुख्यमंत्री पद छोड़कर जीतन राम मांझी बने। 2015 में नीतीश वापस मुख्यमंत्री बने और जदयू-राजद-कांग्रेस ने महागठबंधन बनाकर 178 सीटें जीतीं।

2015-2020: गठबंधन में पलटी, फिर सत्ता कायम
नीतीश ने महागठबंधन तोड़ा और भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री बने। 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए ने मजबूत प्रदर्शन किया। 2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए को 125 सीटें मिलीं जबकि महागठबंधन 110 सीटों पर सिमट गया। जदयू को 43 और भाजपा को 74 सीटें मिलीं। नीतीश कुमार फिर से मुख्यमंत्री बने, जबकि महागठबंधन के दलों में राजद 75, कांग्रेस 19, भाकपा-माले 12, भाकपा 2 और माकपा 2 सीटों पर सिमट गया।


कम सीटें और वोट प्रतिशत के बावजूद नीतीश कुमार लगातार सत्ता में बने रहे। उनकी रणनीति, गठबंधन और जनकल्याणकारी योजनाओं ने बिहार में उन्हें किंगमेकर और कई बार मुख्यमंत्री बनाए रखा। एनडीए और महागठबंधन के बीच सत्ता का यह संघर्ष बिहार की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है।

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