
हरिद्वार। माता-पिता को बुढ़ापे में छोड़ने वाले दस कलयुगी बेटों को एसडीएम कोर्ट ने करारा झटका दिया है। सभी को माता-पिता की संपत्ति से बाहर निकालने के आदेश जारी कर दिए। यह आदेश उन मामलों में दिए गए हैं, जिनमें बेटों ने न सिर्फ माता-पिता के साथ अभद्रता की, बल्कि उन्हें घर से बाहर निकालने की कोशिश भी की थी और उनकी संपत्ति पर हक जताने लगे थे।
एसडीएम कोर्ट के अनुसार, संबंधित 13 मामलों में बेटों ने अपने माता-पिता को भोजन-पानी तक से वंचित कर दिया था। परेशान होकर इन्हें माता पिता ने एसडीएम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर न्याय की गुहार लगाई थी। सुनवाई के दौरान बुजुर्ग माता-पिता ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने अपनी जिंदगी की पूरी कमाई लगाकर मकान बनाया, लेकिन अब उनके अपने ही बेटे उन्हें उस घर से निकालने पर आमदा है।
दोनों पक्षों की विस्तृत सुनवाई के बाद हरिद्वार एसडीएम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए दस मामलों में बेटों को तुरंत संपत्ति से बाहर करने का आदेश जारी किया। सभी मामले हरिद्वार क्षेत्र के हैं। साथ ही पुलिस को भी निर्देश दिए हैं कि आदेश का अनुपालन सख्ती से कराया जाए और माता पिता को किसी भी तरह की परेशानी न होने दी जाए।
कोर्ट ने कहा कि वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए सरकार ने स्पष्ट प्रावधान किए हैं। कोई भी संतान यदि अपने माता पिता के साथ दुर्व्यवहार करती है, तो उसे उनकी संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं है।
आरोप है कि कई मामलों में बेटों ने न केवल आर्थिक रूप से माता पिता का शोषण किया, बल्कि मानसिक रूप से भी उन्हें प्रताडि़त किया। एक मामले में बेटे ने अपने पिता को खाना तक देने से इनकार कर दिया। दो मामले सरकारी कर्मचारियों से जुड़े हैं, जिन्होंने सरकार की नौकरी के दौरान घर बनाए। अब बेटे उन्हें बाहर निकाल रहे थे।
एसडीएम कोर्ट के इस फैसले के बाद शहर में चर्चा का विषय बन गया है। लोग इसे उन वृद्ध माता पिता के लिए राहत भरा कदम बता रहे हैं, जो अपने ही बच्चों के अत्याचारों से परेशान होकर दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं।
उल्लेखनीय है कि कोर्ट में 13 मामलों की सुनवाई चल रही थी, जिनमें से दस कलयुगी बेटों को माता पिता की संपत्ति से बाहर कर दिया।
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