
चंडीगढ़ : पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने का धुआँ अब पाकिस्तान से दिल्ली तक पहुँचकर गंभीर प्रदूषण का कारण बन रहा है। पाकिस्तान के पंजाब में इस सीजन में पराली जलाने के 12,688 मामले दर्ज किए गए हैं। हवा करीब 16 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही है, जिससे धुआँ दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों तक पहुँच रहा है।
पंजाब यूनिवर्सिटी (पीयू) और पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (पीजीआई), चंडीगढ़ की संयुक्त टीम की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। हालांकि पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने के मामले पहले के मुकाबले थोड़े कम हुए हैं, लेकिन हाल के दिनों में मामलों में अचानक वृद्धि दर्ज की गई है। पंजाब में अब तक 4,662 मामले सामने आए हैं, जबकि हरियाणा में 464 स्थानों पर पराली जली है।
पराली और प्रदूषण से संबंधित आंकड़े पीयू की पर्यावरण अध्ययन विभाग की प्रोफेसर सुमन मोर और पीजीआई के सामुदायिक चिकित्सा विभाग के प्रोफेसर डॉ. रविंद्र खैवाल जुटा रहे हैं। प्रो. खैवाल के अनुसार पाकिस्तान के पंजाब में पराली जलाने के अधिक मामले हैं और हवा का रुख दिल्ली की ओर होने के कारण इसका प्रदूषण सीधे राजधानी और आसपास के क्षेत्रों को प्रभावित कर रहा है। दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) गुरुवार को 404 दर्ज किया गया, जो गंभीर श्रेणी में आता है। पंजाब के मंडी गोबिंदगढ़, खन्ना और जालंधर में वायु गुणवत्ता खराब श्रेणी में रही, जबकि लुधियाना, पटियाला और अमृतसर यलो जोन में दर्ज किए गए।
सरकार ने इस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए 1,185 अधिकारियों को ड्यूटी में लापरवाही पर कारण बताओ नोटिस जारी किए हैं। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग अधिनियम की धारा 14 के तहत 56 अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन कार्रवाई शुरू की गई, और आठ जिलों के डीसी व एसएसपी को नोटिस दिए गए। पराली जलाने पर किसानों के राजस्व रिकॉर्ड में 1,920 रेड एंट्री दर्ज की गई है।
इस बार किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए 10,000 अधिकारियों को ड्यूटी पर लगाया गया और 1,48,451 सीआरएम मशीनें उपलब्ध कराई गईं। बावजूद इसके पराली जल रही है। किसान जत्थेबंदियों का आरोप है कि सभी किसानों तक निपटारे की मशीनें नहीं पहुँच रही हैं।










