Basti : खाद्य सुरक्षा में बड़ा खुलासा, मिलावटी पनीर और मिठाइयों से चल रहा मौत का कारोबार

Basti : सावधान! लखनऊ में खाद्य सुरक्षा टीम की जांच में नामचीन दुकानदारों के यहां चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। इन दुकानों पर मानव स्वास्थ्य से खिलवाड़ का घिनौना खेल खेला जा रहा था। आशंका जताई जा रही है कि यही खेल बस्ती में भी खुलेआम जारी है। अधिकारियों और दुकानदारों की सांठगांठ के कारण आम लोगों की सेहत से खिलवाड़ का यह जानलेवा खेल निर्भय होकर चल रहा है, जबकि जिम्मेदार अधिकारी कार्रवाई के बजाय अपनी जेबें भरने में लगे हुए हैं। कार्रवाई के नाम पर केवल कागजी कोरम पूरा कर ‘पॉकेट गर्म’ कर ली जाती है। मौत का यह धंधा करने वाले दूध, पनीर और मिठाई जैसे खाद्य पदार्थों के नाम पर आम आदमी से भारी रकम ऐंठ रहे हैं।

शहर से लेकर गांव तक सेहत के लिए नुकसानदायक और जहरीले खाद्य पदार्थ खुलेआम बड़ी-बड़ी दुकानों और ठेलों पर बेचे जा रहे हैं। इसे रोकने के लिए शासन स्तर पर कई आदेश और निर्देश जारी होते हैं, मगर पालन करने वाले अधिकारी और कर्मचारी धन उगाही के चक्कर में आम आदमी की सेहत की कोई परवाह नहीं करते। घटिया और जहरीले किस्म के पदार्थ मिलाकर खाद्य सामग्री धड़ल्ले से बेची जा रही है।

डॉक्टरों का कहना है कि खराब क्वालिटी की पनीर और मिठाई आम आदमी की किडनी, लीवर और हृदय को गंभीर नुकसान पहुंचाती हैं। बाजार में ऊंची दुकानों से लेकर ठेलों तक ये मिलावटी सामान खुलेआम बिक रहा है। चिकित्सकों के मुताबिक लोग स्वयं भी सतर्क रहें, क्योंकि सब जानते हैं कि जितना पनीर बाजार में बिक रहा है, उतना दूध उत्पादन होता ही नहीं। मिठाइयों की दुकानों पर चमकदार और महकती मिठाइयां स्वास्थ्य के लिए खतरा बनी हुई हैं। अधिकारियों की चुप्पी मिलावटखोरों का मनोबल और बढ़ा रही है।

अब सवाल यह है कि इसकी जिम्मेदारी किसकी है यह बाद में तय होगा, परंतु जो लोग अब तक इन दुकानों के खाद्य पदार्थों का सेवन कर चुके हैं, उनकी सेहत को कितना खतरा है और उन्हें इससे कैसे बचाया जाएगा?

जांच के नाम पर सिर्फ त्योहारों और पर्वों के दौरान औपचारिकता निभाई जाती है। कुछ दुकानदार दबी जुबान बताते हैं कि जिन अधिकारियों को जिम्मेदारी मिली है, उन्हें हर महीने ‘महीना’ दिया जाता है। खबर यह भी है कि हर वर्ष 5 से 8 करोड़ रुपए की वसूली पनीर, मिठाई और अन्य खाद्य पदार्थों से खाद्य सुरक्षा विभाग के माध्यम से होती है। हालांकि इसकी पुष्टि अखबार नहीं करता, मगर अधिकारियों की चुप्पी बहुत कुछ इशारा करती है।

सहायक आयुक्त खाद्य सुरक्षा विनीत कुमार पांडे ने कहा कि जांच का निर्देश ऊपर से आता है, और वहीं से आदेश मिलेगा तभी जांच शुरू की जाएगी। जहां तक धन उगाही के आरोपों की बात है, वे पूरी तरह निराधार हैं।

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