किसानों के लिए सम्मान और समृद्धि का प्रतीक बनी भावांतर योजना- मुख्यमंत्री डॉ. यादव

  • मुख्यमंत्री ने 1.33 लाख किसानों के खातों में 233 करोड़ रुपये की भावांतर राशि अंतरित की

देवास : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि भावांतर भुगतान योजना अन्नदाता के सम्मान और समृद्धि का प्रतीक बन चुकी है। अन्नदाता को एमएसपी की गारंटी देते हुए राज्य सरकार ने सोयाबीन भावांतर योजना के अंतर्गत 1 लाख 33 हजार किसानों के खातों में 233 करोड़ रुपये की राशि अंतरित की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह हमारी प्रतिबद्धता का प्रमाण है जो कहा था, वह कर दिखाया।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में प्रदेश में अनेक किसान हितैषी योजनाएँ लागू की जा रही हैं। मध्यप्रदेश किसानों को उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए भावांतर योजना शुरू करने वाला देश का पहला राज्य है।

पिछले वर्ष सोयाबीन का भाव 4,800 रुपये प्रति क्विंटल था, जबकि इस वर्ष किसानों को 500 रुपये प्रति क्विंटल का अतिरिक्त लाभ देकर 5,300 रुपये से अधिक की दर पर खरीद की जा रही है। प्रदेश में 9 लाख से अधिक किसानों ने योजना के लिए पंजीकरण कराया है।

कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने 183.25 करोड़ रुपये लागत के विभिन्न विकास कार्यों का भूमि-पूजन भी किया तथा विभिन्न योजनाओं के हितलाभ वितरित किए। उन्होंने कृषि यंत्रों और जैविक खेती को बढ़ावा देने वाली प्रदर्शनी का उद्घाटन और अवलोकन भी किया।

प्रदेश में 220 से अधिक मुख्य मंडियों और 80 उपमंडियों में सोयाबीन की खरीदी की जा रही है। पूरी प्रक्रिया ई-मंडी पोर्टल के माध्यम से पारदर्शी तरीके से की जा रही है। किसानों का डेटा स्वतः प्रदर्शित होता है और राशि सीधे ऑनलाइन खातों में जमा की जा रही है। प्रत्येक चरण की रियल टाइम एंट्री और सीसीटीवी निगरानी की व्यवस्था की गई है। किसानों की सहायता के लिए भावांतर कॉल सेंटर भी स्थापित किया गया है।

मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि वर्ष 2026 को ‘कृषि आधारित उद्योग वर्ष’ के रूप में मनाया जाएगा। किसानों की समृद्धि के लिए सरकार खेती के साथ गोपालन और प्राकृतिक खेती को भी प्रोत्साहित कर रही है। प्राकृतिक खेती अपनाने पर किसानों को 4,000 रुपये प्रति एकड़ की अनुदान राशि दी जा रही है।

प्रदेश में दूध उत्पादन बढ़ाने के उद्देश्य से डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना शुरू की गई है। 40 लाख रुपये तक की डेयरी इकाई स्थापित करने वाले किसानों को 10 लाख रुपये की सब्सिडी दी जाएगी।

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