‘आई लव मोहम्मद’ को लेकर दर्ज मामलों की जांच की मांग वाली याचिका दिल्ली हाई कोर्ट में खारिज

 New Delhi : दिल्ली उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में आई लव मोहम्मद पोस्टर को लेकर दर्ज मामलों की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच करने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी है। चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय दूसरे राज्यों में दर्ज एफआईआर को लेकर कोई दिशा-निर्देश कैसे जारी कर सकती है। कोर्ट ने कहा कि जिनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गयी है वे कानूनी विकल्प आजमा सकते हैं।

याचिका रजा एकेडमी के प्रतिनिधि और मुस्लिम स्टूडेंट आर्गनाइजेशन ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष शुजात अली ने दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में शांतिपूर्ण धार्मिक अभिव्यक्ति को लेकर झूठे एफआईआर दर्ज की गयी हैं। जो लोग आई लव मोहम्मद का पोस्टर लिए हुए थे वे केवल अपने धार्मिक त्योहार पर अपने विश्वास को दर्शा रहे थे, लेकिन बिना किसी स्वतंत्र साक्ष्यों के हाथों में पोस्टर लेने वालों के खिलाफ दंगे भड़काने, आपराधिक साजिश और शांति भंग करने का मामला दर्ज कर दिया गया।

याचिका में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश के कानपुर और बहराइच और उत्तराखंड के उधमसिंह नगर में आई लव मोहम्मद का पोस्टर रखने वालों पर जो एफआईआर दर्ज की गयी वो बराबरी, धार्मिक स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है। ऐसा करना संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 19, 21 और 25 का उल्लंघन है।

उल्लेखनीय है कि मिलादुन-नबी के मौके पर आई लव मोहम्मद का पोस्टर लेकर रैली निकाली गई थी जिसके बाद एफआईआर दर्ज की गयी थी।

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