
- प्रोफेसर (डॉ.) वेद प्रकाश ने कहा कि निमोनिया एक गंभीर बीमारी, बच्चे बुजुर्ग हैं आसान शिकार
लखनऊ। निमोनिया एक गंभीर बीमारी है जो विश्वभर में लाखों लोगों को प्रभावित करती है, खासकर बच्चों और बुजुर्गों को। इस बीमारी के कारण हर साल बड़ी संख्या में लोगों की मृत्यु होती है, जो कि एक बड़ी चुनौती है।
केजीएमयू में विश्व निमोनिया दिवस पर प्रोफेसर (डॉ.) वेद प्रकाश ने कहा कि निमोनिया एक गंभीर बीमारी है जो बच्चों और बुजुर्गों को प्रभावित करती है। इस बीमारी से निपटने के लिए हमें टीकाकरण और समय पर निदान और उपचार पर जोर देना होगा।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, हर साल पांच साल से कम उम्र के 14 लाख बच्चों की निमोनिया के कारण मृत्यु हो जाती है, जो दुनिया भर में पांच साल से कम उम्र के बच्चों की कुल मृत्यु का 18% है। भारत में हर साल पांच साल से कम उम्र के बच्चों में गंभीर निमोनिया के लगभग 26 लाख मामले सामने आते हैं, जिनमें से लगभग 8,00,000 मामलों में अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है। अनुमान है कि पांच साल से कम उम्र के लगभग 43 लाख बच्चे, ठोस ईंधन के साथ खाना पकाने के कारण होने वाले घरेलू वायु प्रदूषण के हानिकारक स्तर के संपर्क में हैं, जो निमोनिया के लिए एक प्रमुख जोखिम कारक है।
इस मौके पर डॉ. सचिन कुमार, डॉ. मोहम्मद आरिफ, डॉ. अनुराग त्रिपाठी और डॉ. यश जगधारी ने भी इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त किए और निमोनिया प्रबंधन में केजीएमयू की पहल और टीकाकरण के महत्व पर जोर दिया।
वक्ताओं ने कहा है कि निमोनिया को रोकने में टीके महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। बच्चों में निमोनिया के मामलों को कम करने के लिए न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन (पीसीवी) और हेमोफिलस इन्फ्लुएंजी, टाइप बी वैक्सीन एवं खसरा (Measles) का टीका सबसे प्रभावी प्रयासों में से एक हैं।
निमोनिया एक गंभीर समस्या है जो विश्वभर में लाखों लोगों को प्रभावित करती है। इस बीमारी से निपटने के लिए हमें टीकाकरण, स्वच्छ हवा और समय पर निदान और उपचार पर जोर देना होगा। हमें इस बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इसके प्रभाव को कम करने के लिए काम करना होगा।










