
देहरादून : उत्तराखंड पुलिस किसी भी देशविरोधी तत्व को राज्य में पनाह नहीं लेने देना चाहती। इसी कारण पुलिस और खुफिया एजेंसियां लगातार मिलकर इन पर नजर रख रही हैं। 1980 के दशक में ऊधमसिंह नगर जिला खालिस्तानी आतंकवाद से प्रभावित रहा था। उस दौर में पुलिस और आतंकियों के बीच कई मुठभेड़ हुईं। बाद में 1990 के दशक में सक्रिय नेटवर्क तो खत्म हो गया, लेकिन कई आतंकी वारदातों के बाद यहां शरण लेते रहे। नाभा जेल ब्रेक के आरोपी भी देहरादून में छिपे थे। 2015 में मास्टरमाइंड परमिंदर उर्फ पेंदा और उसके साथी को देहरादून पुलिस ने गिरफ्तार किया था।
गढ़वाल क्षेत्र में हरिद्वार और रुड़की में भी कई बार आतंकियों के ठिकाने उजागर हुए। 2016 में एनआईए और दिल्ली पुलिस ने हरिद्वार से आईएसआईएस के चार संदिग्ध आतंकियों को पकड़ा, जो अर्धकुंभ में बड़ा हमला करने की साजिश रच रहे थे।
कब-कब पकड़े गए संदिग्ध आतंकी –
- 06 फरवरी 2018: लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा अब्दुल समद हवाला नेटवर्क के साथ गिरफ्तार।
- 20 अप्रैल 2018: डीडीहाट से रमेश सिंह कन्याल, आईएसआई को सूचना देने के आरोप में पकड़ा गया।
- 10 सितंबर 2018: ऊधमसिंह नगर से खालिस्तानी मूवमेंट से जुड़े दो संदिग्ध गिरफ्तार।
- 17 सितंबर 2018: धारचूला से संदिग्ध गिरफ्तार, रक्षा मंत्री की हत्या की साजिश का आरोप।
- 06 जून 2019: बब्बर खालसा इंटरनेशनल के लिए हथियार जुटाने वाले हरचरण सिंह को पकड़ा गया।
- 21 जुलाई 2019: हल्द्वानी के 52 लोग खालिस्तानी मूवमेंट से जुड़े पाए गए।
- 01 फरवरी 2020: रुड़की से खालिस्तानी लिबरेशन फोर्स के सदस्य आशीष सिंह की गिरफ्तारी।
- 03 नवंबर 2022: ज्वालापुर से गजवा-ए-हिंद मॉड्यूल से जुड़ा संदिग्ध पकड़ा गया।
उत्तराखंड पुलिस और एजेंसियों की सतर्कता के चलते राज्य आतंकवादियों की शरणस्थली नहीं बन पाया है।















