नेपाल में फिर गूँजा ‘जय राजतन्त्र’, सोशल मीडिया पर राजावादी लहर

  • ‘आजको टेलर मात्र हो’ जैसे स्लोगन ने नेपाली सोशल मीडिया पर मचाई हलचल
  • पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र शाह फिर सुर्खियों में, हैशटैग अभियान के जरिए समर्थकों को लामबंद करने की कोशिश

Maharajganj : नेपाल की राजनीति एक बार फिर राजतन्त्र समर्थक नारों से गर्मा रही है। सोशल मीडिया पर “राजावादी आन्दोलन रोकिँदैन, आजको टेलर मात्र हो” जैसे नारे तेजी से वायरल हो रहे हैं, जिसका अर्थ है राजावादी आंदोलन रुकने वाला नहीं, यह तो केवल आज का ट्रेलर है। इसके साथ ही “जय राजतन्त्र”, “जय हिन्दु अधिराज्य नेपाल”, “जय स्वाभिमान” जैसे भावनात्मक और धार्मिक-राजनीतिक नारों को भी व्यापक समर्थन मिल रहा है, जिसकी गूँज एक बार फिर नेपाल की फिजाओं में सुनाई देने लगी है।

पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र शाह से जुड़े हैशटैग्स की पुनः सक्रियता यह संकेत देती है कि राजतन्त्र समर्थकों का बड़ा समूह एक बार फिर संगठित रूप में ऑनलाइन अभियान चला रहा है। इन गतिविधियों का उद्देश्य समर्थकों को लामबंद करना और राजतन्त्र बहाली की मांग को पुनर्जीवित करना प्रतीत होता है।

नेपाल में पिछले कुछ वर्षों से राजनीतिक अस्थिरता, बार-बार सरकार परिवर्तन और आर्थिक चुनौतियों ने आम जनता में असंतोष को जन्म दिया है। विश्लेषकों का मानना है कि ऐसे माहौल में राजतन्त्र समर्थक विचारधारा को पुनः स्थान मिलता है। यही कारण है कि सोशल मीडिया पर उभरे ये नारे सामान्य राजनीतिक बहस को नई दिशा दे रहे हैं, जिससे राजतन्त्र बहाली की चर्चा फिर से तेजी से नेपाली जनमानस में उभरने लगी है।

सोशल मीडिया पर भावनाओं की लहर या सोच-समझकर उठाया कदम?

नेपाल की सियासत पर अच्छी पकड़ रखने वाले विशेषज्ञों के अनुसार, इन नारों का अचानक वायरल होना किसी संगठित डिजिटल अभियान का हिस्सा हो सकता है। कुछ ही दिनों में हजारों पोस्ट एक जैसे स्लोगन और हैशटैग्स के साथ सामने आए हैं। युवाओं और धार्मिक-सांस्कृतिक समूहों ने भी इन नारों को साझा कर समर्थन जताया है।

हालाँकि यह स्पष्ट नहीं है कि यह किसी वास्तविक आंदोलन की शुरुआत है या केवल सोशल मीडिया पर उभरी एक अस्थायी लहर। नेपाल सरकार और प्रमुख राजनीतिक दलों की ओर से अब तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। कुछ नेताओं ने अनौपचारिक रूप से कहा है कि सोशल मीडिया ट्रेंड ज़रूरी नहीं कि जमीनी आंदोलन को दर्शाता हो, लेकिन यह जनभावनाओं का संकेत अवश्य हो सकता है।

लोकतंत्र बनाम राजतंत्र: नेपाल की नई बहस

नेपाल के राजनीति जानकारों का मानना है कि ऐसे नारे अक्सर किसी बड़ी राजनीतिक घटना से पहले उभरते हैं और यह असंतोष की अभिव्यक्ति भी हो सकते हैं। नेपाल की राजनीति में राजतन्त्र का मुद्दा पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है; समय-समय पर नई ऊर्जा के साथ उठता रहता है।

सोशल मीडिया पर उभरी यह नई लहर दर्शाती है कि नेपाल में राजतन्त्र और हिन्दू अधिराज्य की बहस अभी भी जीवित है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह केवल डिजिटल ट्रेंड है या इसके पीछे कोई बड़ा राजनीतिक आंदोलन आकार ले रहा है।

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