सीतापुर में झोलाछाप डॉक्टरी पर DM की ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ : ऑपरेशन से महिला की मौत के बाद अवैध अस्पताल का ‘संचालक’ गिरफ्तार!

​सीतापुर। अवैध रूप से संचालित निजी चिकित्सालयों और ‘झोलाछाप’ चिकित्सकों के गठजोड़ पर सीतापुर के जिलाधिकारी डॉ. राजागणपति आर. ने एक ऐतिहासिक और निर्णायक कार्रवाई की है। रेउसा क्षेत्र के लखनऊ सेवा हास्पिटल में उपचार के दौरान 7 नवंबर, 2025 को हुई पंछी नामक महिला की मौत के मामले में डीएम ने न केवल त्वरित जांच कराई, बल्कि खुद को डॉक्टर बताने वाले अस्पताल संचालक के विरुद्ध IPC की गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज करने का आदेश भी दिया है। ​जिले के इतिहास में यह पहली बार है, जब किसी जिलाधिकारी ने अवैध चिकित्सा और जालसाजी के इस कृत्य पर इतनी कठोर और सीधी कार्रवाई सुनिश्चित की है।

डीएम के आदेश पर ‘त्रि-सदस्यीय जांच समिति’ का खुलासा

​महिला की संदिग्ध मौत का संज्ञान लेते हुए, जिलाधिकारी ने मुख्य चिकित्साधिकारी के साथ मिलकर तत्काल प्रभाव से एक त्रि-सदस्यीय जांच समिति गठित की थी। इस उच्च-स्तरीय टीम में उप मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. मनोज देशमणि, स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. खुर्शीद जैदी, और उप जिलाधिकारी बिसवां श्रीमती शिखा शुक्ला शामिल थे। ​जांच टीम ने 8 नवंबर को स्थलीय और अभिलेखीय जांच की, जिसके निष्कर्ष चौंकाने वाले थे। ​जिसके तहत अस्पताल केवल OPD और IPD के लिए पंजीकृत था, लेकिन इसमें ऑपरेशन थिएटर अवैध रूप से चलाया जा रहा था, जिसकी अनुमति नहीं थी। ​यही नही सीसीटीवी फुटेज से साफ हुआ कि ओटी मानक विहीन थी, और पंजीकरण में कोई निश्चेतक या ओटी सहायक भी नियुक्त नहीं था।

​संचालक निकला ‘फर्जी डॉक्टर’

अस्पताल संचालक मो. रजा के पास मेडिकल से संबंधित कोई डिग्री नहीं थी। वही विधायक सेउता ज्ञान तिवारी के सामने मो. रजा ने दावा किया था कि बहराइच के डॉ. अफजल ने ऑपरेशन किया। लेकिन डॉ. अफजल ने लिखित बयान देकर स्पष्ट किया कि उन्होंने न तो ऑपरेशन किया और न ही वे उस समय अस्पताल में मौजूद थे।​जांच टीम ने पाया कि मृतका का ऑपरेशन मो. रजा पुत्र नूर मोहम्मद (निवासी बहराइच) द्वारा ही किया गया था, जो पूर्णतया अवैधानिक है।

DM का कड़ा निर्देश के तहत IPC की धारा 304 में हो FIR

​जांच समिति की विस्तृत रिपोर्ट और गहन साक्ष्यों के अध्ययन के बाद, जिलाधिकारी डॉ. राजागणपति आर. ने तत्काल प्रभाव से कड़ा निर्देश दिया। ​”प्रकरण का संज्ञान लेते हुए जिलाधिकारी डॉ. राजागणपति आर. ने सम्बंधित के विरुद्ध IPC की धारा 304 (बीएनएस धारा 105) सहित अन्य सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज कराते हुए कठोर कार्यवाही सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।”

​ मेहरबानी नहीं, अब ‘कठोरता’ चलेगी

यह कार्रवाई जिले के उन तमाम अवैध कुकरमुत्तों की तरह उग रहे अस्पतालों और तथाकथित चिकित्सकों के लिए चेतावनी है, जो चंद पैसों के लालच में आम जनता के स्वास्थ्य और जीवन से खिलवाड़ करते हैं।

​सीतापुर के स्वास्थ्य विभाग पर अक्सर लगने वाले ढिलाई के आरोपों के बीच, DM डॉ. राजागणपति आर. की यह कार्रवाई ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति को दर्शाती है। यदि इसी तरह की निर्णायक और कठोर कार्रवाई की जाती रही, तो वह दिन दूर नहीं जब अवैध रूप से चल रहे अस्पताल हमेशा के लिए बंद हो जाएंगे, और किसी भी चिकित्सक या अस्पताल को सील होने के कुछ दिनों बाद फिर से खुलने का दुस्साहस नहीं होगा।

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