New Delhi : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संसदीय सत्र प्रस्ताव को दी मंजूरी

नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में संसद का शीतकालीन सत्र अगले महीने दिसंबर माह से शुरू होने जा रहा है। इस संबंध में संसदीय कार्यमंत्री किरने रिजिजू द्वारा जानकारी अवगत कराई गई हैं। कार्यमंत्री रिजिजू ने कहा कि संसद का शीतकालीन सत्र आगामी 1 दिसंबर से शुरू हो जाएगा, जो 19 दिसंबर तक चलेगा। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने एक्स पर बताया कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 1 दिसंबर से 19 दिसंबर तक संसदीय कार्य की अनिवार्यताओं के अधीन संसदीय सत्र के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, उन्होंने ने एक्स पर इसकी जानकारी देते हुए कहा कि हम आशा करते हैं कि यह सत्र रचनात्मक और सार्थक साबित होगा, जो हमारे लोकतंत्र को मजबूत करेगा, साथ ही लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करेगा। इससे पहले संसद का मानसून सत्र जो 21 जुलाई से 21 अगस्त तक चला था। इस दौरान संसद में कुल 21 बैठकें हुईं थीं। हालांकि दोनों सदनों, राज्य सभा और लोकसभा में विपक्ष नेता द्वारा प्रदर्शन कर हंगामा कर दिया था। बता दें कि मानसून सत्र में ऑपरेशन सिंदूर पर भी चर्चा हुई थी, जिसमें 130 से ज्यादा सासंदों ने हिस्सा लिया था। लोकसभा में 14 बिल पेश किए गए थे, जिनमें से 12 बिल पास हो गए थे, साथ ही राज्यसभा में 15 बिलों को मंजूरी मिली थी। इस लिस्ट में आयकर बिल 2025 भी शामिल था, जिसे केंद्र सरकार ने वापस ले लिया था।

संसद का मानसून सत्र आज 21 अगस्त को समाप्त हो गया था। दोनों सदनों की कार्यवाही अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई, जिसके बाद 21 जुलाई को शुरू हुआ था। दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही सत्र की अंतिम बैठक सुबह 11 बजे शुरू हुई थी, लेकिन विपक्षी सांसदों के हंगामे के चलते कार्यवाही कुछ देर के लिए स्थगित कर दी गई, सत्र के दौरान विपक्ष द्वारा लगातार विरोध प्रदर्शन के कारण कई बार सदन की कार्यवाही स्थगित हुई, क्योंकि बिहार में मतदाता सूची संशोधन पर विस्तृत चर्चा की मांग को लेकर विपक्षी सांसदों का सदन के भीतर और बाहर हंगामा पूरे सत्र के दौरान जारी रहा। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सत्र के दौरान महत्वपूर्ण विधेयक पेश किए, जिसमें एक ऐसा विधेयक भी शामिल है, जो गंभीर आपराधिक आरोपों में फंसे निर्वाचित प्रतिनिधियों को हटाने का प्रावधान करता है। यदि यह कानून लागू हो जाता है, तो प्रधानमंत्री व केंद्रीय मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों और केंद्र शासित प्रदेशों के मंत्रियों पर लागू होगा। विपक्ष ने इस बिल का कड़ा विरोध किया।

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