
President Donald Trump : अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा, जो पिछले 13 सालों से लगातार सरकारी विभागों में ‘सर्वश्रेष्ठ काम करने की जगह’ का खिताब हासिल करती आ रही है। लेकिन अब, जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दूसरी बार व्हाइट हाउस की कुर्सी संभाली है, तो नासा का परिदृश्य बदलता नजर आ रहा है। यहां काम करने वाले हजारों वैज्ञानिकों और कर्मचारियों की संख्या में तेजी से कमी आ रही है। यह कमी सिर्फ आंकड़ों तक सीमित नहीं, बल्कि यह अंतरिक्ष अनुसंधान के भविष्य को झकझोर रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड़ ट्रंप ने नासा के बजट में 25 प्रतिशत की भारी कटौती का ऐलान किया. बता दें कि प्रस्तावित 18.8 बिलियन डॉलर का यह बजट, पिछले साल की तुलना में न सिर्फ कम है, बल्कि 1961 में मानव अंतरिक्ष उड़ान की शुरुआत के बाद से नासा का यह सबसे छोटा बजट है।
वहीं इस कटौती का सीधा पडने वाला है विज्ञान , सैटेलाइट डेवलपमेंट और क्लाइमेट रिसर्च जैसे क्षेत्रो पर. जरा आप सोच कर देखिए ये वो एजेंसी है जो मंगल ग्रह पर रोवर उतारती है व चंद्रमा के सतह पर पैरों के निशान छोड़ती है, साथ ही जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लडाई लड़ती है, और आज स्थिति ये है की उसके ही पास संसाधन कम पड़ रहे हैं. और नतीजा दो हजार से अधिक वरिष्ठ वैज्ञानिकों और कर्मचारियों की छंटनी।
बता दें कि ये वो लोग हैं जिन्होंने दशकों तक नासा को ऊंचाइयों पर पहुंचाया। जुलाई के अंत तक, नासा ने खुद स्वीकार किया कि कम से कम 4,000 सिविल कर्मचारी एजेंसी को अलविदा कह चुके हैं। अगर ठेकेदारों को जोड़ लें, तो यह संख्या और भी भयावह हो जाती है।
एक अनुमान के हिसाब से 1960 के बाद से नासा ने कभी इतने कम कर्मचारी नहीं देखे। लेकिन सवाल ये है की आखिर इतनी बड़ी कटौती क्यों हो रही है?
दरअसल ट्रंप प्रशासन का तर्क है कि यह कदम सरकारी खर्च को कम करने और निजी अंतरिक्ष कंपनियों को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है। लेकिन आने वाले समय में इसका बड़ा प्रभाव दिखने को मिलेगा। अंतरिक्ष मिशनों पर ब्रेक लग सकता है, अनुसंधान रुका हुआ सा नजर आ सकता है।
गैर-लाभकारी संस्था प्लैनेटरी सोसाइटी के सरकारी संबंधों के निदेशक जैक किराली ने अपनी चिंता खुलकर जताई है। उन्होंने कहा, “ऐसे लोग हैं जो एजेंसी, अपने ठेकेदारों और अपनी कंपनियों के साथ अपने भविष्य को लेकर सवाल उठा रहे हैं। उन्हें डर सता रहा है कि उनका काम किसी भी समय ठप हो सकता है।
दरअसल 360 से अधिक पूर्व और वर्तमान कर्मचारियों ने एक संयुक्त पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें चेतावनी दी गई है कि ये कटौतियां और बड़े पैमाने पर छंटनी अंतरिक्ष मिशनों के लिए सुरक्षा जोखिम बढ़ा रही हैं। एक अनाम नासा कर्मचारी ने अपनी पीड़ा बयां की: “मुझे लगता है कि नासा हमेशा से एक असाधारण एजेंसी रही है, जिसमें असाधारण लोग असाधारण काम करते रहे हैं। फिर भी हम लगातार बर्बाद होते जा रहे हैं। आखिर ऐसा क्या हुआ कि हमें इस मुकाम तक पहुंचना पड़ा?” यह शब्द दिल को छू जाते हैं, है ना? ये वो लोग हैं जो रॉकेट लॉन्च करते हैं, डेटा एनालाइज करते हैं, और मानवता के लिए इतिहास रचते हैं। आज वे असुरक्षा के घेरे में हैं। संसद ने अभी तक किसी बजट को मंजूरी नहीं दी है, लेकिन कई पूर्व और वर्तमान कर्मचारियों का कहना है कि नासा का नेतृत्व ऐसे काम कर रहा है मानो राष्ट्रपति का प्रस्ताव ही अंतिम हो। कर्मचारियों ने शिकायत की कि चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्रियों को वापस भेजने के मिशन पर अत्यधिक फोकस हो रहा है, जबकि राष्ट्रपति के बजट में 40 से अधिक मौजूदा और नियोजित मिशनों को बंद करने की चेतावनी दी गई है।
नासा की ओर से सफाई भी आई है। एजेंसी की प्रवक्ता बेथानी स्टीवंस ने कहा, “एजेंसी में बदलाव और कटौतियों को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है। कोई भी सुरक्षा को कमतर नहीं आंक रहा है। नासा अपने मिशन के प्रति प्रतिबद्ध है क्योंकि हम एक अधिक प्राथमिकता वाले बजट के भीतर काम कर रहे हैं।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि संसद की कार्रवाई के आधार पर एजेंसी विभिन्न परिदृश्यों के लिए तैयार रहती है, और राष्ट्रपति के अनुरोध पर पहले से ही परिचालन योजना बनाने का कोई दिशानिर्देश नहीं है।
ट्रंप प्रशासन निजी कंपनियों को बढ़ावा देना चाहता है, लेकिन क्या सरकारी निवेश के बिना नवाचार रुक जाएगा? संसद का फैसला इंतजार कर रहा है, लेकिन तब तक नासा के वैज्ञानिक चुपचाप संघर्ष कर रहे हैं।
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