
इंदौर : मध्य प्रदेश के इंदाैर शहर में शुक्रवार देर रात रफ्तार का कहर देखने काे मिला। यहां बाइक सवार तीन इंजीनियरिंग छात्रों को तेज रफ्तार स्कॉर्पियो ने कुचल दिया। हादसे में दो छात्रों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि एक छात्र गंभीर रूप से घायल है। घटना लाइफ केयर हॉस्पिटल के सामने रात करीब 2 बजे की है। हादसे के बाद स्कॉर्पियो सवार चार युवक कार छोड़कर फरार हो गए। पुलिस ने वाहन जब्त कर लिया है और फरार आरोपियों की तलाश शुरू कर दी है।
जानकारी के अनुसार, मृतक छात्रों की पहचान कृष्णपाल सिंह तंवर (20) और आयुष राठौर (20) के रूप में हुई है। तीसरा छात्र श्रेयांश राठौर गंभीर रूप से घायल है। तीनों छात्र इंदौर के प्रेस्टीज कॉलेज में बीटेक सेकंड ईयर में पढ़ रहे थे और मूल रूप से खंडवा जिले के रहने वाले हैं। हादसा इतनी तेज रफ्तार में हुआ कि बाइक डिवाइडर में फंस गई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, स्कॉर्पियो लगभग 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से आ रही थी। गाड़ी नई थी और उस पर फूलों की माला लिपटी हुई थी, जिससे प्रतीत होता है कि हाल ही में खरीदी गई थी। नक्षत्र चौराहे से निकलकर यह स्कॉर्पियो तेज रफ्तार में पेट्रोल पंप के सामने बनी डिवाइडर के कट से निकले बाइक सवारों से जा टकराई। टक्कर इतनी जोरदार थी कि बाइक एमपी 09 क्यूजेड 0714 डिवाइडर में फंस गई और तीनों युवक कई फीट दूर जा गिरे। हादसे के बाद करीब आधे घंटे तक कृष्ण पाल और आयुष के शव अस्पताल के ठीक सामने सड़क पर पड़े रहे। बाद में टीआई केके शर्मा के साथ एडीसीपी आलोक शर्मा और एसीपी हिमानी मिश्रा मौके पर पहुंची, तब जाकर अस्पताल प्रबंधन बाहर आया। पुलिस ने मामला दर्ज कर फरार आरोपियों की तलाश शुरू कर दी है।
मृतक आयुष राठौर के पिता अजय राठौर बीजेपी से पार्षद रह चुके हैं। वे कंस्ट्रक्शन का काम करते हैं। वहीं छैगांवमाखन के रहने वाले कृष्णपाल के पिता जीवनसिंह तंवर पेशे से किसान हैं। इधर, घायल श्रेयांश राठौर के पिता नवीन राठौर भी कांग्रेस से पार्षद रह चुके हैं। श्रेयांश इकलौता बेटा है।पुलिस ने हादसे में शामिल स्कॉर्पियो को जब्त कर लिया है और फरार चारों युवकों की पहचान करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। प्रारंभिक जांच में गाड़ी किसी स्थानीय व्यक्ति के नाम पर पंजीकृत बताई जा रही है। पुलिस सीसीटीवी फुटेज के जरिए आरोपियों के बारे में सुराग जुटा रही है। घटना के बाद से इंदौर में आक्रोश है। स्थानीय लोगों ने सवाल उठाया है कि अगर अस्पताल प्रशासन ने तुरंत मदद की होती, तो शायद घायल छात्रों की जान बचाई जा सकती थी। नागरिकों ने प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग की है।














