डीएसी का कबूलनामा….किंतु-परंतु के साथ ऋषिकांत ने सुनाई सच्चाई

    • मेहरबान सिंह पुरवा में बेटे के नाम जमीन का एग्रीमेंट
  • एल मैजिक कंपनी में बेटे ने स्टार्ट-अप शुरू किया था
  • मनोहर शुक्ला कभी मुखबिर था, बाद में उसे भगा दिया
  • पैतृक जायदाद को सौ करोड़ की बेनामी संपत्ति बताया है

कानपुर। अखिलेश दुबे सिंडिकेट के साथ रिश्तों तथा अवैध अकूत कमाई के आरोप में निलंबित किये गये डीएसपी ऋषिकांत शुक्ला ने आखिरकार कैमरे के सामने अपनी सच्चाई को परोसा है। वीडियो में एसआईटी को नोटिस को नकारते हुए दावा है कि, आरोप मनगढ़ंत हैं और विरोधियों की साजिश का शिकार हुए हैं। ऋषिकांत शुक्ला के वीडियो के कुछ तथ्यों पर संदेह हुआ तो दैनिक भास्कर ने डीएसपी से टेलीफोनिक संवाद किया। इस दरमियान, बेनामी संपत्तियों, अखिलेश दुबे के साथ रिश्तों, कंस्ट्रक्शन कंपनी में हिस्सेदारी और मनोहर शुक्ला के साथ पारिवारिक संबंधों और एसआईटी की नोटिस के सवालों पर किंतु-परंतु के साथ ऋषिकांत ने तमाम सच्चाई को स्वीकार किया।

एल मैजिक कंपनी में बेटा साइलेंट पार्टनर
दैनिक भास्कर ने पहला सवाल एसआईटी को नोटिस को नकारने पर किया तो ऋषिकांत शुक्ला ने स्वीकार किया कि, नोटिस मिली थीं, लेकिन बेनामी संपत्ति के संदर्भ में नहीं, बल्कि एल मैजिक कंपनी में हिस्सेदारी के संदर्भ में सवाल था। उन्होंने बताया कि, करीबी परिचित अशोक सिंह एल मैजिक कंपनी के कर्ता-धर्ता थे। लखनऊ में यूपीवीसी विंडो बनाने का काम कानपुर में शुरू किया तो बेटा साइलेंट पार्टनर बना था। दावा है कि, बेटे ने एल मैजिक कंपनी में सिर्फ चार लाख रुपए निवेश किया था। डेढ़-दो साल बाद कंपनी बंद हो गई, इस दरमियान, सालाना टर्नओवर 50-60 लाख रुपए ही था। निलंबित डीएसपी ने कंपनी के अन्य पार्टनर से खुद को अनजान बताते हुए कहाकि, महिला इंजीनियर प्रभा शुक्ला भी साझेदार थीं। मेहरबान सिंह पुरवा जमीन को लेकर मनोहर के साथ विवाद के सवाल पर ऋषिकांत शुक्ला ने बताया कि, विवादित जमीन का हाईकोर्ट में मुकदमा विचाराधीन है, ऐसे में चार लाख रुपए देकर एग्रीमेंट करने वाले मनोहर शुक्ला ने रजामंदी से अपनी हिस्सेदारी को समाप्त किया था। एवज में दस लाख रुपए मिले थे। चार करोड़ अदा करने का आरोप फर्जी है। ऋषिकांत ने स्वीकार किया कि, मनोहर शुक्ला के हटने कुछ दिन बाद उसी जमीन के लिए अधिवक्ता संजय सिंह और शशांक के साथ बेटे विशाल शुक्ला ने रजिस्टर्ड एग्रीमेंट किया है।

मनोहर की घेराबंदी में उलझे ऋषिकांत
बगावत पर आमादा शागिर्द प्रवीण शुक्ला उर्फ मनोहर शुक्ला के सवाल पर ऋषिकांत शुक्ला ने बताया कि, मनोहर के पिता से मधुर संबंध थे। बाद में मनोहर शुक्ला पुलिस के लिए मुखबिरी करने लगा तो निकटता थी, लेकिन वह रोजाना शराबखोरी करने लगा तो दूर भगा दिया था। मनोहर के श्रीप्रकाश शुक्ला से रिश्तों के दावे के साक्ष्य पर डीएसी ने कहाकि, कानपुर पुलिस कमिश्नरेट के गोपनीय विभाग की पुरानी फाइल खोली जाए तो स्पष्ट होगा कि, श्रीप्रकाश शुक्ला अक्सर मनोहर शुक्ला के घर आता-जाता था। गौरतलब है कि, यह दावा करते समय ऋषिकांत शुक्ला यह भूल गए कि, श्रीप्रकाश शुक्ला का 22 सितंबर 1998 में एनकाउंटर हुआ था, उस समय मनोहर शुक्ला सिर्फ 16 बरस का था, जबकि मनोहर शुक्ला के पिता का निधन 2017 में हुआ था। ऋषिकांत ने स्वीकार किया है कि, मनोहर शुक्ला के पिता से मधुर रिश्ते थे और अंतिम समय तक उनसे मुलाकात होती रहती थी।

ककंस्ट्रक्शन कंपनियों में हिस्सेदारी नकारी
मनोहर शुक्ला को अपराधी बताते हुए ऋषिकांत ने दावा किया कि, मनोहर शुक्ला के ऊपर 16-17 मुकदमे हैं और कानपुर के कुख्यात अपराधी-माफिया रोशन लारी, रफाकत, इजराइल आटेवाला के साथ रिश्ते हैं। बेनामी संपत्ति और अखिलेश दुबे परिवार की कंस्ट्रक्शन कंपनी में हिस्सेदारी के सवाल पर जवाब मिला कि, कानपुर में तैनाती के दरमियान, सख्ती के शिकार अपराधियों ने मनगढ़ंत आरोप लगाए हैं। किसी भी कंस्ट्रक्शन कंपनी में कोई हिस्सेदारी नहीं है, अखिलेश दुबे के साथ सिर्फ विधिक सलाह के संबंध थे। बेनामी संपत्ति का मामला फर्जी है। पुरखों की जायदाद को बेनामी बताकर बदनाम करने की साजिश है।

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