Basti : कार्तिक पूर्णिमा पर जिले के घाटों पर उमड़ा श्रद्धालुओं का जनसैलाब

  • आस्था की डुबकी लगाकर श्रद्धालुओं ने किया दीपदान, दान-पुण्य से मांगी जीवन में सुख-समृद्धि की कामना

Basti : कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर बुधवार को जिले के तमाम घाटों पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। सुबह चार बजे से ही श्रद्धालु सरयू नदी के नौरहनी घाट सहित अन्य पवित्र स्थलों पर पहुंचकर आस्था की डुबकी लगाने लगे। पूरे दिन घाटों पर स्नान, पूजा-अर्चना, दीपदान और दान-पुण्य का सिलसिला चलता रहा। हिंदू धर्म में कार्तिक मास को सबसे पवित्र महीनों में से एक माना जाता है। इस माह की पूर्णिमा को धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। इसी दिन त्रिपुरारी पूर्णिमा, देव दीपावली और भगवान विष्णु के मत्स्यावतार जैसे प्रमुख पर्वों का उत्सव मनाया जाता है।

त्रिपुरारी पूर्णिमा – भगवान शिव की विजय का पर्व
मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था, जिससे तीनों लोकों में शांति स्थापित हुई। इसी विजय के उपलक्ष्य में देवताओं ने दीप प्रज्ज्वलित कर हर्षोल्लास व्यक्त किया था। तभी से यह पर्व ‘त्रिपुरारी पूर्णिमा’ कहलाता है।

देव दीपावली – देवताओं का दीपोत्सव
भगवान शिव की विजय के आनंद में देवताओं ने कार्तिक पूर्णिमा को दीपावली के रूप में मनाया। कहा जाता है कि इस दिन सभी देवता पृथ्वी पर, विशेष रूप से काशी के घाटों पर, दीप जलाकर उत्सव मनाते हैं। इसी कारण नदी घाटों और मंदिरों में दीपदान का विशेष महत्व है।

भगवान विष्णु का मत्स्यावतार
धार्मिक ग्रंथों में वर्णन है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य रूप धारण कर प्रलय से सृष्टि की रक्षा की थी। उन्होंने वेदों को सुरक्षित किया और मनु को सृष्टि के पुनर्निर्माण का मार्ग दिखाया।

स्नान, दान और दीपदान का विशेष महत्व
श्रद्धालु मानते हैं कि कार्तिक पूर्णिमा पर पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। दीपदान से जीवन में सुख-समृद्धि और प्रकाश आता है, जबकि दान-पुण्य करने से आत्मिक शांति और पुण्य की प्राप्ति होती है।

सिख धर्म में भी विशेष महत्व
इसी दिन सिख धर्म के प्रथम गुरु, गुरु नानक देव जी का जन्म दिवस (गुरु पर्व) भी मनाया जाता है। इस अवसर पर गुरुद्वारों में विशेष कीर्तन और प्रकाश पर्व का आयोजन किया गया।

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