
Mainpuri : उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग में एक बड़ा घोटाला सामने आया है। मैनपुरी के भोगांव सर्किल में तैनात डिप्टी एसपी (PPS) ऋषिकांत शुक्ला को आय से अधिक संपत्ति के मामले में निलंबित कर दिया गया है। विजिलेंस जांच में खुलासा हुआ है कि शुक्ला ने महज दस वर्षों की सेवा में 100 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति खड़ी कर ली।
10 साल में 100 करोड़ की अवैध कमाई का आरोप

मनोहर शुक्ला शिकायतकर्ता
सूत्रों के मुताबिक, ऋषिकांत शुक्ला की तैनाती लंबे समय तक कानपुर में रही। इसी दौरान उन्होंने और उनके करीबी लोगों ने मिलकर करोड़ों की संपत्तियां खरीदीं। विजिलेंस जांच में पाया गया कि शुक्ला ने 12 बीघे जमीन,11 दुकानें, और कई आलीशान मकान कानपुर और आसपास के इलाकों में खरीदे। बताया जा रहा है कि इन संपत्तियों का मूल्य 100 करोड़ रुपये से अधिक है।
अखिलेश यादव का BJP पर एक्स पर तीखा हमला
मामला सामने आते ही सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने BJP सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा जिस अफसर के पास 100 करोड़ की अवैध संपत्ति मिली है, सोचिए उसके राजनीतिक आकाओं के पास कितनी दौलत होगी। बीजेपी राज मतलब भ्रष्टाचार का भंडार है। अखिलेश के इस बयान ने यूपी की राजनीति में हलचल मचा दी है।

सौरभ भदोरिया अधिवक्ता
भर्ती से लेकर CO बनने तक विवादित सफर
ऋषिकांत शुक्ला ने पुलिस करियर की शुरुआत उप निरीक्षक (SI) के रूप में की थी। प्रमोशन दर प्रमोशन पाकर वे सर्किल ऑफिसर (CO) तक पहुंचे। लेकिन उनके खिलाफ लगातार भ्रष्टाचार, बिल्डरों से सांठगांठ, और अपराधियों से वसूली के आरोप लगते रहे।स्थानीय सूत्र बताते हैं कि उन्होंने सरकारी पद का दुरुपयोग कर करोड़ों की अवैध संपत्ति खड़ी की।
गृह विभाग की बड़ी कार्रवाई
भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों की पुष्टि के बाद गृह विभाग ने कड़ा कदम उठाया। गृह विभाग के सचिव IAS जगदीश ने आदेश जारी करते हुए कहा प्रारंभिक जांच में डिप्टी एसपी ऋषिकांत शुक्ला के खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं की पुष्टि हुई है। उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है, और विस्तृत जांच विजिलेंस विभाग को सौंपी जाती है। अब विजिलेंस टीम शुक्ला की
बैंक खातों, संपत्तियों,और निवेशों की गहन जांच करेगी।
कानपुर से मैनपुरी तक फैला ‘नेटवर्क ऑफ करप्शन’
विजिलेंस सूत्रों के अनुसार, शुक्ला का नेटवर्क कानपुर, मैनपुरी, औरैया और फतेहपुर तक फैला हुआ था। उन्होंने अपनी काली कमाई को प्लॉट डीलिंग, निर्माण कारोबार और दुकान किराया के जरिये सफेद किया। इतना ही नहीं, कई संपत्तियां रिश्तेदारों और दोस्तों के नाम पर भी खरीदी गईं। एसआईटी जांच में सामने आया है कि शुक्ला की कानपुर तैनाती के दौरान उनकी करीबी एक विवादित कारोबारी अखिलेश दुबे से अनबन हो गई थी। माना जा रहा है कि उसी विवाद के बाद विजिलेंस को अहम सुराग मिले।
सिस्टम में फिर उठा भरोसे का सवाल
यह मामला न सिर्फ पुलिस विभाग बल्कि पूरे प्रशासनिक तंत्र पर सवाल खड़ा करता है। 10 साल की नौकरी में 100 करोड़ की संपत्ति का मतलब है या तो सिस्टम आंखें मूंदे रहा, या फिर किसी ने जानबूझकर उन्हें बचाए रखा। अब नजर विजिलेंस रिपोर्ट पर विजिलेंस टीम अब शुक्ला की संपत्तियों की बेनामी जांच में जुटी है। रिपोर्ट आने के बाद यह तय होगा कि मामला केवल निलंबन तक सीमित रहेगा या गिरफ्तारी तक जाएगा।















