
नई दिल्ली। तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ललित नारायण मिश्रा हत्याकांड के 50 साल बाद भारतीय जनता पार्टी नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने कोर्ट को बताया कि सीबीआई ने पूर्व में जांच सही तरीके से नहीं की गई है। पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता ललित नारायण मिश्रा की हत्या को करीब 50 साल से ज्यादा हो चुके हैं। इस बीच भाजपा नेता अश्विनी कुमार चौबे ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर मामले की नई और कोर्ट- निगरानी में जांच की मांग की। इस संदर्भ में पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने बताया कि मिश्रा की हत्या के मामले में गलत लोगों को तब दोषी ठहराया गया था।
सीबीआई ने इस हत्याकांड में जांच ठीक से नहीं की थी। लिहाजा वह इसी कारण से दोबारा उन्होंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। ज्ञात हो कि 2 जनवरी 1975 को बिहार के समस्तीपुर स्टेशन पर रेल परियोजना उद्घाटन करते समय ग्रेनेड विस्फोट में एल.एन मिश्रा की मौत हो गई थी। तत्कालीन जांच में सीबीआई ने आनंद मार्ग संगठन के 4 सदस्यों संतोषानंद सुबेदानंदऔर रंजन द्विवेदी को आरोपी ठहराया था। जिसमें लगभग 4 दशक बाद 2014 में दिल्ली की एक अदालत ने इन चारों को दोषी ठहराया और सजा सुनाई थी।
अश्विनी चौबे ने अदालत में डाली याचिका में कहा कि ललित नारायण मिश्र की हत्या सिर्फ एक साजिश नहीं बल्कि एक बड़ी राजनीतिक साजिश का भी हिस्सा थी, ताकि उस समय कि इंदिरा गांधी सरकार के लिए चुनौती बनने वाले तब के देश के लोकप्रिय नेता ललित नारायण मिश्र को रास्ते से हटाया जा सके। चौबे ने अपनी याचिका में कहा कि ललित बाबू जेपी आंदोलन में शामिल होने वाले थे, उन्होंने तब इसके लिए जयप्रकाश नारायण से मुलाकात भी की। इनका दावा है कि अगर वे तब आंदोलन में शामिल हो जाते तो सरकार के खिलाफ बड़ा राजनीतिक खतरा बन सकते थे। चौबे ने अपनी याचिका में कई पुराने दस्तावेजों का हवाला भी दिया है जिसमें बिहार के सीआईडी की 1978 की रिपोर्ट और जस्टिन बीएस तारकुंडे की रिपोर्ट भी शामिल है।
इस रिपोर्ट में कहा गया था कि सीबीआई ने असली गुनाहगारों को बचाने के लिए आनंद मार्गी संगठनों पर झूठा आरोप लगाया ताकि दिल्ली की सत्ता से जुड़े लोगों की भूमिका को छिपाया जा सके। दिल्ली हाई कोर्ट की दो न्यायाधीश की पीठ के सामने आई इस याचिका पर कोर्ट ने चौबे से पूछा कि इतने सालों बाद अब फिर से दोबारा जांच की मांग क्यों की जा रही है। कोर्ट ने चेतावनी दी है कि अगर याचिका में ठोस आधार नहीं मिला, तो चौबे पर भारी जुर्माना भी लगाया जा सकता है। अब इन मामलों में अगली तारीख 11 नवंबर को है। बहरहाल आगे चाहे जो कुछ भी हो किंतु बिहार में अभी चुनाव के बीच एक बड़े लीडर के पचास वर्ष पूर्व हुए हत्याकांड से के मामलों में दुबारा फिर से भाजपा नेता की जांच की याचिका एक चर्चा की विषय बन गई है।















