
नई दिल्ली। दिल्ली नगर निगम विभाग को भ्रष्टाचार मुक्त कराने के उद्देश्य से केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा 18 जून 2024 को एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अश्विनी कुमार को नियुक्त किया गया था। बता दें कि आईएएस अधिकारी अश्विनी कुमार तेज तर्रार और स्वच्छ छवि वाले अधिकारी माने जाते हैं। निगम आयुक्त भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति को अपनाने हुए कार्य करते हैं। विभागों में बैठे भ्रष्ट अधिकारियों पर आयुक्त ने अपना कड़ा रुख अपनाते हुए निलंबित कर चुके हैं।
आज के दौर में भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों के दिलो-दिमाग में आयुक्त के नाम का भय बैठा हुआ है, क्योंकि आयुक्त ने भ्रष्टाचार में लिप्त एक अधिकारी को नौकरी से बर्खास्त कर दिया था। सूत्रों के अनुसार, निगम आयुक्त अश्विनी कुमार ने करीबन 61 साल के बाद किसी एक अधिकारी को बर्खास्त कर विभाग में हड़कंप मचा दिया था। आलम यह है कि अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए आयुक्त अश्विनी कुमार विशेष रूप से यमराज माने जाते हैं। बता दें कि निगम की स्थाई समिति बैठक में आयुक्त अश्विनी कुमार ने सभी उपायुक्तों को स्पष्ट निर्देश दिए थे कि अगर तीन बार से ज्यादा कोई कम्प्लेंट बाजी करता है, तो तुरंत सीबीआई और पुलिस को अवगत कराया जाए, क्योंकि कम्प्लेंट की आड़ की ब्लैकमेलिंग के खेल-खेला जाता है, जोकि नियमों के विपरीत है। निगम आयुक्त की बातो पर अमल करते हुए शाहदरा उत्तरी जोन उपायुक्त कर्नल अभिषेक मिश्रा ने विभाग को बदनामी से बचाने के लिए एक ब्लैकमेलिंग शिकायत कर्ता पर थाने में एक शिकायत दर्ज कराई गई,
उपायुक्त कर्नल अभिषेक मिश्रा ने बताया कि विभाग में कार्यरत एक कर्मचारी पर फर्जी तरीके से अलग-अलग ठिकानों से कम्प्लेंट बाजी कर उगाई की मांग के लिए दवाब बनाया जा रहा था, जब विभाग द्वारा दिए गए शिकायत वाले ठिकानों की जांच की गई, तो प्रत्येक व्यक्तियों के ठिकाने फर्जी पाए गए, लेकिन एक शिकायत कर्ता पर घर का पता सही पाया गया। विभाग द्वारा उस शिकायतकर्ता से शिकायतों का स्पष्टीकरण मांगा गया, लेकिन शिकायत कर्ता सबूत देने में असमर्थ रहा, इस बात से साफ प्रतीत होता है कि शिकायतकर्ता द्वारा विभाग को बदनाम करने की पूरी कोशिश की गई थी, जिसको ध्यान में कर्मचारी द्वारा शिकायतकर्ता के खिलाफ थाने में शिकायत दर्ज कराई गई है। उपायुक्त कर्नल मिश्रा ने कहा कि इस तरह ब्लैकमेलिंग के खेल में कुछ विभागीय कर्मचारियों के लिप्त होने की आशंका जताई जा रही है। निगम आयुक्त अश्विनी कुमार के नेतृत्व में उन भ्रष्ट अधिकारियों की जांच की जा रही है, जो ब्लैकमेलिंग के खेल में हिस्सेदार हैं।ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों पर विभाग द्वारा विरुद्ध कार्रवाई जाएगी, क्योंकि सरकारी विभागों की सूचना किसी अंजान व्यक्ति को देना नियमों के विरुद्ध है। प्रशासनिक अधिकारी रामाशंकर ने बताया कि जब शिकायतकर्ताओं द्वारा प्रत्येक कम्प्लेंटो जांच की गई, तो लिखाई में एक जैसे शब्दों का प्रयोग किया गया था, जिसके आधार पर विभाग को शिकायतकर्ता पर संदेय हो गया था।
शिकायतकर्ता द्वारा विभाग को बदनाम करने के उद्देश्य से अलग-अलग ठिकानों से एक ही तरीके की लगातार शिकायते अधिकारियों को भेजी जा रही थी । शिकायतकर्ताओं ने विभाग को बदनाम करने की पूरी साजिश रची हुई थी, जोकि पूरी तरह से असफल रही, क्योंकि अंजान व्यक्तियों को विभाग की तमाम जानकारी आसानी से हासिल नहीं हो पाती है। विभाग द्वारा किसी लापवराह कर्मचारियों द्वारा गुप्त सूचना बाहर दी गई है। उपायुक्त द्वारा उन लापरवाह कर्मचारियों की पहचान की जा रही है। हालाकि आशंका जताई गई है कि इस खेल में दूसरे जोन कार्यालय का एक कर्मचारी शामिल है। ऐसे भ्रष्ट कर्मचारियों पर विभागीय द्वारा कार्रवाई की जाएगी।















