Lucknow : चावल मिलों को नॉन हाइब्रिड धान की कुटाई हेतु रिकवरी प्रतिशत में मिली एक प्रतिशत की छूट

  • राइस मिलों में कार्यरत लगभग 2 लाख लोगों के रोजगार में आएगी सुदृढ़ता
  • मिलों से जुड़े अनुमानित 13 से 15 लाख किसान होंगे लाभान्वित

Lucknow : प्रदेश सरकार द्वारा राइस मिलर उद्योग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से तथा नॉन हाइब्रिड धान की कुटाई को प्रोत्साहित करने के लिए इसके रिकवरी प्रतिशत में 01 प्रतिशत की छूट प्रदान की है। इस छूट से चावल मिलें सरकारी क्रय केन्द्रों पर खरीदे गए नान हाइब्रिड धान की कुटाई करने हेतु प्रोत्साहित होंगी तथा चावल मिलों में आपसी प्रतिस्पर्धा बढ़ेंगी।

प्रदेश के वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने मंगलवार को लोकभवन स्थित मीडिया सेंटर में प्रेस प्रतिनिधियों से वार्ता करते हुए यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि इस प्रकार चावल मिल उद्योग को नई ऊर्जा प्राप्त होगी व चावल मिल उद्योग सुदृढ़ होगा तथा उद्यमियों द्वारा चावल मिल उद्योग लगाने के प्रति विश्वास भी बढ़ेगा। इससे राइस मिलों में कार्यरत लगभग 2 लाख लोगों के रोजगार में सुदृढ़ता आएगी तथा राइस मिलों से जुड़े अनुमानित 13 से 15 लाख किसान लाभान्वित होंगे। नॉन हाइब्रिड की कुटाई में रिकवरी प्रतिशत की छूट की मात्रा के समतुल्य धनराशि की प्रतिपूर्ति राज्य सरकार द्वारा अपने बजट से इस वर्ष से किया जाएगा, जिसके लिए अनुमानित रू166.51 करोड़ धनराशि आंकलित की गई है।

उन्होंने बताया कि विगत वर्षों में कतिपय चावल मिलें ऐसी थीं, जो नान हाइब्रिड धान की रिकवरी प्रतिशत कम होने के कारण सरकारी क्रय केन्द्रों के धान की कुटाई में रूचि नहीं लेती थी। चावल मिलों के पास पर्याप्त पूंजी न होने के कारण वे अपनी मशीनों को समय से आधुनिकीकृत नहीं कर पाती थी। अब छूट की प्रतिपूर्ति से प्राप्त धनराशि को वे अपनी क्षमता को बढ़ाने में व्यय कर सकेंगी, जिससे प्रदेश में धान कुटाई की अतिरिक्त क्षमता सृजित होगी। प्रदेश के राइस मिलर्स धान खरीद प्रक्रिया की रीढ़ ही नहीं है बल्कि इनमें भारी संख्या में लोगों को रोजगार भी मिलता है।

राइस मिलों की संख्या बढ़े, इस उद्देश्य से प्रदेश सरकार द्वारा उनकी समस्याओं का समाधान किया जा रहा है। विगत वर्षों में प्रदेश में चावल मिल उद्योग की संख्या में प्रतिवर्ष कमी परिलक्षित हो रही है, जिसका प्रमुख कारण धान कुटाई में रिकवरी प्रतिशत कम प्राप्त होना था। राइस मिलर द्वारा 67 प्रतिशत मानक का चावल तैयार कर भा०खा०नि० को सम्प्रदानित करने से उन्हें आर्थिक हानि होती थी।
श्री खन्ना ने बताया कि पूरे देश में धान से चावल निर्मित करने हेतु 67 प्रतिशत रिकवरी निर्धारित की गई है। जब प्रदेश सरकार को इस समस्या से अवगत कराया गया कि हाइब्रिड धान की कुटाई में ब्रोकन राइस का प्रतिशत ज्यादा होने के कारण रिकवरी कम प्राप्त होती है तो सरकार द्वारा इसका संज्ञान लेते हुए वर्ष 2018-19 से चावल मिलर्स को कुटाई में 3 प्रतिशत रिकवरी की प्रतिपूर्ति राज्य सरकार के बजट से की जा रही है। विगत वर्ष इस मद में लगभग रू० 94.79 करोड़ की प्रतिपूर्ति चावल मिलर्स को की गयी। इस वर्ष सरकार के संज्ञान में लाया गया कि नॉन-हाइब्रिड धान में भी अपेक्षित रिकवरी प्राप्त नहीं हो रही है, जिससे राइस मिलों के अस्तित्व पर संकट आ सकता है।

प्रदेश की चावल मिलों को प्रोत्साहित करने के लिए इस वर्ष से नॉन हाइब्रिड धान की कुटाई में भी रिकवरी में 01 प्रतिशत की छूट की मात्रा के समतुल्य धनराशि की प्रतिपूर्ति राज्य सरकार द्वारा अपने बजट से की जायेगी, जिसमें लगभग रू0 166.51 करोड़ की धनराशि व्यय होगी।
चूंकि प्रदेश में सीएमआर की अग्रिम लॉट के सापेक्ष धान दिए जाने का प्राविधान है, अतः चावल मिले यथाशीघ्र सीएमआर का सम्प्रदान भारतीय खाद्य निगम को करके धान प्राप्त करने हेतु इच्छुक रहेंगी। इसका लाभ यह होगा कि जून तक सम्प्रदानित होने वाले सीएमआर के अप्रैल माह तक ही केन्द्रीयपूल में शत-प्रतिशत सम्प्रदान होने की सम्भावना बढ़ जायेगी। रिकवरी प्रतिशत में छूट के कारण कुटाई में चावल मिलों की प्रतिस्पर्धा होने से किसानों द्वारा लाये गये किसी भी प्रकार की धान की प्रजाति को सरकारी क्रय केन्द्रों पर खरीदा जा सकेगा। किसानों द्वारा हाइब्रिड धान के अतिरिक्त अन्य प्रजातियों के धान की फसल को भी लगाये जाने में प्रोत्साहन मिलेगा।

इससे धान की देशी प्रजातियों की बुआई को बढ़ावा भी मिलेगा। केन्द्रों पर खरीद बढ़ जाने के फलस्वरूप बाहर के प्रदेशों से भारतीय खाद्य निगम द्वारा पीडीएस योजना में वितरण हेतु चावल की रैक प्रदेश के बाहर से नहीं मंगानी पड़ेगी, जिससे केन्द्र सरकार की इन रैकों पर व्यय होने वाली धनराशि की बचत होगी।
वित्त मंत्री ने बताया कि खरीफ विपणन वर्ष 2025-26 में प्रस्तावित 4000 धान क्रय केन्द्रों के सापेक्ष अब तक पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जनपदों में 1244 केन्द्र एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश के जनपदों में 2856 केन्द्र कुल 4100 क्रय केन्द्रों संचालित हैं।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 01.10.2025 से एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश में दिनांक 01.11.2025 से खरीद प्रारम्भ हो गयी है। समस्त जनपदों के क्रय केन्द्रों पर खरीद सम्बन्धी समस्त व्यवस्थाएं एवं कृषकों की सुख-सुविधा की व्यवस्थाएं पूर्ण हैं। प्रदेश में अब तक 2,53,339 कृषकों द्वारा धान विक्रय हेतु पंजीकरण कराया गया है।

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