Maharajganj : नेपाल सरकार ने 11 राजदूतों को वापस बुलाया, सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, राजनीतिक नियुक्तियों पर उठे सवाल

Sonauli, Maharajganj : नेपाल की अंतरिम सरकार ने हाल ही में 11 देशों में तैनात राजदूतों को तत्काल प्रभाव से वापस बुलाने का फैसला किया था।इनमें चीन, अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, कतर, सऊदी अरब, जर्मनी, स्पेन और रूस जैसे देशों में कार्यरत राजदूत शामिल हैं।सरकार ने यह कदम यह कहते हुए उठाया कि इन राजदूतों की नियुक्तियाँ “पूर्व सरकार के राजनीतिक प्रभाव” में की गई थीं, और कई राजदूत अपने कार्य-दायित्वों को प्रभावी ढंग से नहीं निभा रहे थे।

हालाँकि, विपक्षी दलों और विदेश नीति विशेषज्ञों ने इस फैसले को राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताया है। उनका कहना है कि अंतरिम सरकार के पास इतना बड़ा राजनयिक निर्णय लेने का अधिकार नहीं होना चाहिए।नेपाल के सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए सरकार के फैसले पर अस्थायी रोक लगा दी है।अदालत ने कहा कि “अंतरिम सरकार का कार्य सीमित होता है; उसे ऐसे निर्णय लेने से बचना चाहिए जो विदेश नीति और कूटनीतिक संबंधों को प्रभावित करें।अदालत ने आगे यह भी टिप्पणी की कि राजदूतों को बिना स्पष्ट कारण वापस बुलाना संवैधानिक मर्यादा का उल्लंघन हो सकता है।

राजनीतिक सूत्रों का कहना है कि अधिकांश राजदूत पिछली सरकार के समय नियुक्त हुए थे — खासकर उन दलों से जो वर्तमान अंतरिम सत्ता गठबंधन में शामिल नहीं हैं।इसलिए माना जा रहा है कि नई सरकार अपने नज़दीकी अधिकारियों को विदेश में भेजने की तैयारी कर रही थी।विदेश मंत्रालय के भीतर भी इस निर्णय को लेकर असहमति बताई जा रही है। सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद यह फैसला अब ठंडे बस्ते में जाता दिख रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला नेपाल में सत्ता परिवर्तन के बाद होने वाली

“राजनीतिक नियुक्तियों” की परंपरा को फिर से उजागर करता है —
जहाँ हर नई सरकार अपने लोगों को राजनयिक पदों पर भेजना चाहती है।अदालत का यह हस्तक्षेप नेपाल की विदेश नीति में संस्थागत स्थिरता और संवैधानिक अनुशासन को बनाए रखने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।

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