
कानपुर। उत्तर प्रदेश शासन ने कानपुर के चर्चित वकील अखिलेश दुबे के मददगार पुलिस उपाधीक्षक (क्षेत्राधिकारी) ऋषिकांत शुक्ला को निलंबित कर दिया है। उनकी आय से अधिक संपत्ति की जांच विजिलेंस को सौंपी गई है।
एसआईटी की ओर जारी किए गए पत्र के मुताबिक, पुलिस उपाधीक्षक ऋषिकांत शुक्ला वर्ष 1998 में दारोगा के पद पर पुलिस विभाग में नियुक्ति हुए। नौकरी में आने के बाद कानपुर में 10 साल से अधिक समय तक रहे। इस दौरान अखिलेश दुबे से उनकी और परिवार की घनिष्ठता रही। अखिलेश दुबे एक गिरोह बनाकर सुनियोजित तरीके से कार्य कर रहा है। इसमें लोगों काे फर्जी मुकदमें में फंसाना, जबरन वसूली, जमीन कब्जेदारी जैसे कई मामले हैं। वह पुलिस, केडीए और अन्य विभागों में उसकी अच्छी पैठ रही। इस दौरान पुलिस उपाधीक्षक ऋषिकांत शुक्ल ने अपनी आय से अधिक और परिवार के नाम 100 करोड़ की अकूत बेनामी संपत्ति बना ली है। इनमें 12 स्थानों पर उपलब्ध संपत्ति की वर्तमान बाजार कीमत 92 करोड़ और इसके अतिरिक्त तीन अन्य स्थानों पर संपत्तिया मिली हैं, जिनके अभिलेख नहीं मिले हैं। इनकी 11 दुकानें आर्यनगर में स्थित हैं जो इनके पड़ोसी साथी देवेंद्र दुबे के नाम पर हैं, जो ऋषिकांत शुक्ला की बेनामी संपत्ति है।
दारोगा से सीओ तक के सफर में कानपुर नगर में ही ऋषिकांत शुक्ला तैनात रहे। वर्तमान में वह मैनपुरी जिले में क्षेत्राधिकारी भोगांव के पद पर तैनात थे। उन पर अखिलेश दुबे से मिलकर सौ करोड़ से अधिक टर्नओवर वाली कंस्ट्रक्शन कंपनी चलाने का आरोप है। कानपुर पुलिस की जांच में उनके पास आय से अधिक लगभग 100 करोड़ रुपये की आकूत और बेनामी संपत्ति होने का दावा किया गया है। जेल में बंद अखिलेश दुबे के गिरोह का सहयोग करने का भी आरोप सीओ ऋषिकांत शुक्ला पर लगे हैं। इसी प्रकरण की जांच शुरू होने के बाद शासन के आदेश के बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया है। उधर इस मामले में क्षेत्राधिकारी ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को निराधार बताया है।










