कैसे मनाएं यातायात माह : न जाम पर लगाम लगी न बढ़ते वाहनों का सिलसिला रूका

  • सड़कों पर बढ़ता जा रहा वाहनों का बोझ, राजधानी में 37 लाख से अधिक वाहन रजिस्टर्ड
  • क्या यातायात माह के शुभारम्भ हो जाने से सूबे की ट्रैफिक व्यवस्था बेदाग हो जायेगी

लखनऊ। सूबे की यातायात पुलिस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जनता से गुज़ारिश करते हुए लिखती है…’यातायात माह में सबका यही अभियान, सड़क सुरक्षा बनें हमारी पहचान।’ सोमवार 3 नवम्बर से यातायात माह शुरू हो गया है। हर बार की तरह राजधानी की यातायात पुलिस व्यवस्था दुरुस्त करने की मुहिम में जुट गई है। साथ ही यातायात पुलिस एक्स हैंडल पर आम जन से अपील कर रही है कि सोशल मीडिया माध्यम से उससे जुड़ें। इसी क्रम में वो आगे लिखते हैं, ‘ यातायात पुलिस के बनें आंख और कान, यातायात सुधार में दें अपना योगदान। ‘ काव्यात्मक शैली में सूबे की ट्रैफिक पुलिस द्वारा आम आदमी से यातायात व्यवस्था को सुचारू रूप से मजबूत करने हेतु सहयोग मांगना सराहनीय क़दम कहा जा सकता है।


नवम्बर महीने में यातायात माह चल रहा है तो ऐसे में ट्रैफिक पुलिस की ओर से सड़क सुरक्षा को लेकर लगातार जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इस कड़ी में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की भूमिका भी अहम हो जाती है। पर सवाल अभी भी जस का तस है कि क्या यातायात माह के शुभारम्भ हो जाने से सूबे की ट्रैफिक व्यवस्था बेदाग हो जायेगी? क्या सड़क सुरक्षा के नियमों की धज्जियां उड़ाने वाले इससे कोई सबक लेंगे? क्या यातायात सिस्टम में वीआईपी कल्चर और काफिला सिस्टम भी आम राहगीरों की तरह ट्रैफिक रूल्स को मानने के लिये तैयार होगा? ऐसे कई सारे छोटे-छोटे सवाल मुंह बाए खड़े हैं, जिनके कारण न सिर्फ सूबे की यातायात व्यवस्था के नियमों की धज्जियां उड़ाई जाती है, बल्कि इसके जद में आकर आम आदमी पीड़ित बन जाता है।


आइये जानते हैं उन कारणों को जिनकी वज़ह से यातायात व्यवस्था चरमराई हुई है बल्कि सड़क दुर्घटनाएं तो इतनी हो रही हैं जिन्हें रोकना नामुमकिन सा हो गया है।


1- अनियमित पार्किंग सिस्टम : सड़कों का निर्माण छोटी-बड़ी गाड़ियों के साथ-साथ राहगीरों की सुविधा के लिए किया है। लेकिन, बाजार से लेकर सड़क गली-मोहल्लों में बेतरतीब ढंग से खड़ी गाड़ियों के कारण यातायात व्यवस्था प्रभावित हो रही है। इसका कोई इलाज भी नहीं दिख रहा। आखिर लोग वाहन खड़े करें भी तो कहां?

2- नहीं मानेंगे यातायात नियम : ज्यादातर तेज गति से गाड़ी चलाने, लालबत्ती होने की परवाह नहीं करते । नियम कानून तोड़कर भाग निकलना उनका शौक है। चालान कटने का भी डर नहीं होता। कभी-कभी यही लापरवाही दुर्घटना का कारण बन जाती है। अक्सर चौराहों पर यह दिख जाता है। गली मोहल्ले और हाइवे पर रोजाना ही नियम तोड़े जा रहे।

3- वाहनों की संख्या में बेशुमार वृद्धि : राजधानी लखनऊ में 37 लाख से अधिक वाहन रजिस्टर्ड हैं। हर साल दस फीसदी से भी अधिक की दर से वाहन बढ़ रहे हैं। जबकि सड़कें तो वही हैं। इससे सड़कों पर दबाव बढ़ता जा रहा है और यही दबाव जाम का कारण है।

4- गाड़ी चलाएंगे मोबाइल फोन लगाएंगे : आये दिन खबरें आती हैं कि ड्राइवरों द्वारा गाड़ी चलाते हुए मोबाइल फोन का इस्तेमाल किया जा रहा जिससे दुघर्टना हो गई। ड्राइविंग के समय फोन और ईयर फोन प्रयोग करने वालों पर कार्रवाई क्यों नहीं करता यातायात विभाग?

5- पीते हैं तो चलते हैं : शराब पीकर गाड़ी चलाना तो अब अति आत्म विश्वास होने वाला हो गया है। नशे में चूर होने से ड्राइवरों को ध्यान केंद्रित करने में समस्याएं आती हैं। नींद और थकान व झपकी आने के चलते दुर्घटनाएं भी रोज ही हो रही हैं।

6- फुटपाथ पर कब्ज़ा : सरकार ने सड़कों किनारे पटरियां बनाई हैं ताकि पैदल राहगीर आसानी से चल सकें। लेकिन यह सब बेरोजगारों के कब्जे में है ताकि वो रोजी रोटी चला सकें। अब विभाग या तो इन बेरोजगारों पर दया करे या इसे खाली कराये। आसान नहीं है फैसला लेना..?

7- बिन हेलमेट मेरा सिर : सड़क सुरक्षा के नियमों की अवहेलना कर कुछ बाइक सवार बिना हेलमेट के बाइक चलाते हैं और इसके अलावा उनके द्वारा सड़क पर गाड़ियों को ओवरटेक करने की कोशिश भी की जाती है। यही लापरवाही कभी-कभी जानलेवा साबित हो जाती है।

8- रिफ्लेक्टर की अनदेखी : यातायात पुलिस सड़क सुरक्षा और दुर्घटना से बचाव हेतु सुझाव देती है कि हर गाड़ी पर रिफ्लेक्टर होना चाहिये। इससे रात में सड़क दुघर्टना से बचाव किया जा सकता है।

9- ओवर स्पीड पर लगाम लगा के दिखाओ : सड़कों पर तेज गति से वाहनों को भगाने वालों की वज़ह से सड़क दुघर्टना सबसे ज्यादा होती। किशोर और युवा पीढ़ी अपने जोश पर काबू नहीं रख पा रही। कह सकते हैं यह यातायात पुलिस की मेहरबानी है।

10- रात में हाई बीम का प्रयोग : यातायात नियमों के तहत रात में सड़क पर वाहन चलाते समय हाई बीम का इस्तेमाल करने से सड़क दुघर्टना की गुंजाइश बढ़ जाती है। इसलिए सड़क सुरक्षा नियमों का पालन करते हुए रात को वाहन चलाते वक्त हल्के बीम के साथ-साथ डीपर का भी प्रयोग करना उचित रहता है।

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