काला चश्मा, बेखौफ अंदाज़ और बेशुमार मुकदमे…यही है अनंत सिंह की पहचान

Anant Kumar Singh : ये कहानी है मोकामा के अनंत सिंह की… उस शख्स की, जिसकी ज़िंदगी अपराध और राजनीति का अनोखा संगम है। काला चश्मा, ठेठ अंदाज़ और बेखौफ चाल… यही उसकी पहचान बन चुकी है। हत्या, अपहरण, फिरौती, डकैती से लेकर AK-47 और बम जैसी घातक हथियारों की बरामदगी तक, अनंत सिंह के नाम पर दर्ज हैं दर्जनों संगीन मुकदमे। फिर भी उसका रसूख ऐसा कि कानून भी उसके सामने बेबस नज़र आता है।

अनंत सिंह की ज़िंदगी किसी फ़िल्मी किरदार से कम नहीं …एक तरफ़ अपराध का अंधेरा, तो दूसरी तरफ़ सियासत की. हम बात कर रहे हैं बिहार की राजनीति की… जहां एक बार फिर वही पुराना चेहरा, वही अंदाज़ और वही डर का माहौल लौट आया है। मोकामा—जहाँ कभी ‘छोटे सरकार’ के नाम से मशहूर बाहुबली नेता अनंत सिंह का दबदबा था, जहां एक बार फिर गोलियों और सियासत की कहानियाँ गूंज रही हैं। रविवार देर रात पटना पुलिस ने पूर्व विधायक अनंत सिंह को गिरफ्तार किया है। उन पर मोकामा के टाल इलाके में 75 वर्षीय बाहुबली नेता दुलारचंद यादव की हत्या करवाने का आरोप लगा है। इस हत्या के बाद मोकामा में तनाव फैल गया और इलाके को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया।..

दुलारचंद यादव का नाम मोकामा की राजनीति में दशकों से जाना जाता रहा है। कभी वे लालू यादव और नीतीश कुमार दोनों के क़रीबी रहे, तो अब जनसुराज पार्टी के उम्मीदवार पीयूष प्रियदर्शी के साथ खड़े दिखाई दिए। लेकिन अगले ही दिन गोलियों की गूंज ने सबकुछ बदल दिया। पुलिस जांच में शक की सुई सीधे अनंत सिंह की ओर गई—वही ‘छोटे सरकार’, यानि की अनंत सिंह…जिन पर पहले से ही 28 आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें हत्या, धमकी, अपहरण और आर्म्स एक्ट जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं।..वहीं इस पूरे प्रकरण पर अनंत सिंह ने अपनी गिरफ्तारी को राजनीति की साजिश बताया है, जबकि पुलिस का कहना है कि सबूत साफ़ तौर पर उन्हें साजिश में शामिल दिखा रहे हैं।

बता दें कि अनंत सिंह ने अपने ऊपर लगे आरोपों को ख़ारिज करते हुए इसे सूरजभान सिंह की साजिश भी बताया था. वहीं चुनाव आयोग को सौंपे गए एफ़िडेविट के मुताबिक़ उनका पूरा नाम अनंत कुमार सिंह है. उनके पिता का नाम चंद्रदीप कुमार सिंह है. उनका पैतृक घर लदमा गांव में है, जो बाढ़ विधानसभा क्षेत्र में पड़ता है. अनंत सिंह की पत्नी का नाम नीलम देवी है जो ख़ुद भी मोकामा सीट से विधानसभा चुनाव जीत चुकी हैं.

उनकी जीत को भी मोकामा इलाक़े में अनंत सिंह की छवि और उनकी ताक़त से जोड़ा जाता है.. हालांकि किसी भी मामले में अब तक उनको दोषी नहीं ठहराया गया है..इससे पहले जनवरी महीने में भी अनंत सिंह ने एक आपराधिक मामले में सरेंडर किया था. बाढ़ कोर्ट में सरेंडर के बाद अनंत सिंह को न्यायिक हिरासत में पटना के बेऊर जेल भेज दिया था. बाढ़ कोर्ट परिसर से बाहर निकलते हुए अनंत सिंह ने मीडिया से कहा था, “नियम सरकार का होता है, नियम पालन करना होता है. हमारे ख़िलाफ़ एफ़आईआर किया गया तो हम सरेंडर किए और जेल जा रहे हैं.” ये मामला सोनू-मोनू गिरोह से जुड़ा हुआ था. दरअसल 22 जनवरी की शाम राजधानी पटना से 110 किलोमीटर दूर नौरंगा जलालपुर गांव में दो गुटों के बीच गोलीबारी की एक घटना हुई थी, जिसका आरोप अनंत सिंह पर लगा था. इन दोनों गुटों के बीच पुरानी दुश्मनी रही है. 22 जनवरी को हुई गोलीबारी की घटना के बाद 23 जनवरी को अनंत सिंह और सोनू दिन भर मीडिया इंटरव्यू के जरिए एक-दूसरे को ललकारते रहे. इससे पहले अनंत सिंह अगस्त 2024 में ही आर्म्स एक्ट में बरी होकर जेल से बाहर आए थे. एडीआर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में अनंत सिंह द्वारा दाखिल एफ़िडेविट के अनुसार उन पर 38 आपराधिक मामले दर्ज हैं.

बिहार की मोकामा विधानसभा सीट पर कई साल से अनंत सिंह के परिवार का दबदबा रहा है. 1990 और 1995 में अनंत सिंह के बड़े भाई दिलीप सिंह इस सीट से चुनाव जीते.

साल 2005 में अनंत सिंह यहां से चुनाव जीते. वो यहां से लगातार पांच बार चुनाव जीत चुके हैं. अनंत सिंह के जेल जाने के बाद साल 2022 के उपचुनाव में अनंत सिंह ने अपनी पत्नी नीलम देवी को इस सीट से खड़ा किया. उन्होंने भी इस सीट पर जीत हासिल की. उनकी हैसियत का अंदाज़ा इसी बात से लग सकता है कि हाल ही में नीतीश कुमार अपने बाढ़ दौरे के दौरान अनंत सिंह से मिलने के लिए उनके पैतृक गांव लदमा पहुंच गए थे.

बात करेंगे उनकी गिफ्तारी की तो…पटना पुलिस ने देर रात मोकामा से जेडीयू उम्मीदवार और बाहुबली पूर्व विधायक अनंत सिंह को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के बाद मोकामा में उनके समर्थकों में नाराज़गी है और सोशल मीडिया पर उनकी फेसबुक आईडी से की गई भावुक अपील वायरल हो रही है “अब मोकामा की जनता लड़ेगी चुनाव।”

अनंत की पत्नी और मौजूदा विधायक नीलम देवी व बेटे ने चुनावी कमान संभाल ली है। मोकामा में 6 नवंबर को मतदान होना है।

अनंत सिंह पहले भी जेल में रहते हुए चुनाव जीत चुके हैं, लेकिन इस बार उनकी गिरफ्तारी से चुनावी समीकरण बदलने की संभावना जताई जा रही है।

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