बैंकिंग सेक्टर में हलचल : कई सरकारी बैंक होंगे मर्ज, कुछ का होगा निजीकरण, शेयरों में तेजी…जानिए क्या है तैयारी

सरकारी बैंकों के शेयरों में आज बड़ी तेजी देखी जा रही है। दरअसल, दो बड़े बैंकों के मर्जर की तैयारी हो रही है। यह खबर आते ही पीएसयू बैंकों के शेयर उछल गए। बैंक ऑफ बड़ौदा का शेयर सोमवार दोपहर 5.30 फीसदी की तेजी के साथ 293 रुपये पर ट्रेड करा दिखा। इसके अलावा, केनरा बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक, एसबीआई और पंजाब नेशनल बैंक के शेयर में भी तेजी देखने को मिली।

सरकारी बैंकों के मर्जर की तैयारी

ऐसी खबर है कि सरकार कुछ सरकारी बैंको के मर्जर की तैयारी कर रही है और छोटे बैंकों का निजीकरण करना चाहती है। मिंट अखबार में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार मुंबई बेस्ड यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ इंडिया के मर्जर की रणनीति पर काम कर रही है। यह कदम सरकार के हालिया बैंकिंग सुधार प्रयासों का हिस्सा है। यदि यह मर्जर सफल रहता है, तो विलय से बना बैंक देश का दूसरा सबसे बड़ा सरकारी बैंक होगा। देश का सबसे बड़ा सरकारी बैंक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) है।

कुछ बैंकों का निजीकरण भी

रिपोर्ट के अनुसार, वित्त मंत्रालय चेन्नई बेस्ड इंडियन ओवरसीज बैंक और इंडियन बैंक के विलय की संभावना की भी जांच कर रहा है। वहीं, पंजाब एंड सिंध बैंक (PSB) और बैंक ऑफ महाराष्ट्र, जिनकी संपत्ति अन्य प्रमुख सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की तुलना में कम है, को भविष्य में निजीकरण के लिए विचाराधीन रखा गया है।

क्यों होना है मर्जर?

कुछ दिन पहले मनीकंट्रोल ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि भारतीय बैंकिंग सेक्टर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में एक और दौर के एकीकरण के कगार पर है, जिसमें सरकार छोटे बैंकों को बड़े बैंकों के साथ मिलाकर एक बड़ा मर्जर करने की योजना बना रही है। इसका उद्देश्य सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकिंग ढांचे को परिष्कृत करना है, ताकि कम संख्या में लेकिन अधिक मजबूत संस्थान तैयार किए जा सकें, जो वित्तीय क्षेत्र में अगले चरण के सुधारों को आगे बढ़ा सकें।

इन बैंकों में हो सकता है विलय

रिपोर्ट में सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया गया कि इंडियन ओवरसीज बैंक (IOB), सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया (BOI) और बैंक ऑफ महाराष्ट्र (BOM) को पंजाब नेशनल बैंक (PNB), बैंक ऑफ बड़ौदा (BoB) और भारतीय स्टेट बैंक (SBI) जैसे बड़े बैंकों के साथ मिलाया जा सकता है। साल 2017 से 2020 के बीच सरकार ने 10 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को मिलाकर 4 बड़े बैंक बनाए थे, जिससे सरकारी बैंकों की संख्या 2017 में 27 से घटकर 12 रह गई थीं।

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