
Banda : जुलाई से अक्टूबर तक जहां वर्षाकाल के चलते बालू खनन के कार्य पर रोक लगी रही, वहीं वर्षाकाल समाप्त होने के एक माह बाद भी नदियों में जलस्तर बढ़ा होने के कारण अभी तक जिले की गिनी-चुनी बालू खदानें ही चालू हो सकी हैं।
ऐसे में अवैध बालू कारोबारी नदियों की कोख छलनी करने पर आमादा हैं और प्रतिबंधित भारीभरकम मशीनरी से नदियों का सीना चीरने में जुट गए हैं। अवैध बालू खनन और परिवहन के चलते जहां सरकारी राजस्व को भारी नुकसान पहुंच रहा है, वहीं ओवरलोड वाहनों की धमाचौकड़ी से जिले की सड़कें बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो रही हैं। उधर, बालू कारोबार को मौन सहमति देकर जिम्मेदार अफसर भी चुप्पी साधे हुए हैं।
वैसे तो जनपद में केन, यमुना, बागेन और रंज नदियों में करीब दो दर्जन से अधिक बालू की खदानें स्वीकृत हैं, लेकिन नदियों के बढ़े जलस्तर के कारण फिलहाल कुछ ही खदानें संचालित हो रही हैं। नरैनी क्षेत्र के तेराब गांव में संचालित रंज नदी की बालू खदान में इन दिनों वैधता के नाम पर अवैध खनन का खुला खेल चल रहा है। खदान का पट्टा तेराब में है, लेकिन बालू कारोबारी खनन का कार्य पथरा गांव में करवा रहा है।
सूत्रों के अनुसार, खदान के प्रबंधन का कार्यचित्रकूट के एक पुराने बालू कारोबारी और सत्ताधारी दल के एक बड़े नेता के जिम्मे है। सत्ता की हनक और अनुभव का दुरुपयोग करते हुए खदान संचालक खुलेआम अवैध खनन कर सरकारी राजस्व को भारी क्षति पहुंचा रहा है। बीते कई दिनों से स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत से बालू कारोबारी भारीभरकम मशीनों के जरिए लाखों रुपये की बालू निकालकर अपनी जेब भर रहा है।
ग्राम प्रधान पथरा, ममता देवी ने मुख्यमंत्री समेत उच्चाधिकारियों को शिकायती पत्र भेजकर अवैध खनन पर रोक लगाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि तेराब में स्वीकृत खदान के नाम पर उनके गांव से अवैध रूप से बालू की निकासी की जा रही है, जिससे राजस्व को लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है। इसी तरह क्षेत्र के खलारी गांव में पुलिस की शह पर मजदूरों के जरिए अवैध खनन का खेल चलाया जा रहा है। दिन-रात ट्रैक्टरों और डग्गियों से बालू का अवैध परिवहन किया जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि यहां बिना स्वीकृत पट्टे के बालू की चोरी खुलेआम की जा रही है।










