Gonda : भ्रष्टाचार में जीरो टालरेंस, बीएसए समेत तीन पर मुकदमा का आदेश

Gonda : उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भ्रष्टाचार के प्रति अपनी ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति को अमल में ला रही है। ताजा मामला गोंडा जिले से सामने आया है, जहां जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) अतुल कुमार तिवारी सहित तीन वरिष्ठ अधिकारियों पर 15 करोड़ रुपये के टेंडर में 15 प्रतिशत कमीशन मांगने का गंभीर आरोप लगा है। भ्रष्टाचार निरोधक न्यायालय (एंटी करप्शन कोर्ट) ने तीनों अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और गहन जांच के आदेश दिए हैं।

आरोपी अधिकारी

अतुल कुमार तिवारी – जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए)
विद्याभूषण मिश्रा – जिला समन्वयक (निर्माण)
प्रेम शंकर मिश्रा – जिला समन्वयक (जेम पोर्टल)

आरोप की जड़: 15 करोड़ का टेंडर
सूत्रों के अनुसार, मामला शिक्षा विभाग से जुड़े निर्माण कार्यों और जेम पोर्टल के माध्यम से खरीदे जाने वाले सामान के टेंडर से संबंधित है। शिकायतकर्ता ठेकेदार ने आरोप लगाया कि टेंडर आवंटन के बदले इन अधिकारियों ने कुल राशि का 15 प्रतिशत कमीशन (लगभग 2.25 करोड़ रुपये) मांगा था। जब ठेकेदार ने कमीशन देने से इनकार किया, तो उसका टेंडर रद्द करने की धमकी दी गई।
न्यायालय ने दिया सख्त आदेश
मामला सामने आने पर भ्रष्टाचार निरोधक न्यायालय के न्यायाधीश विपिन कुमार तृतीय ने ठेकेदार की शिकायत को गंभीरता से लिया। अदालत ने न केवल एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया, बल्कि पुलिस को तत्काल जांच शुरू करने और सबूत जुटाने के भी आदेश दिए। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि भ्रष्टाचार के किसी भी मामले में कोई रियायत नहीं बरती जाएगी।
बीएसए का पक्ष: आरोप निराधार
आरोपों पर अपनी सफाई देते हुए बीएसए अतुल कुमार तिवारी ने कहा,

“ये सभी आरोप पूरी तरह निराधार और झूठे हैं। मैंने न तो कभी किसी से कमीशन मांगा और न ही किसी से कोई पैसा लिया। यह मेरी छवि खराब करने की साजिश है। मैं जांच में पूरा सहयोग करूंगा और कानूनी कार्रवाई का सामना करने को तैयार हूं।”

पुलिस ने शुरू की कार्रवाई
घटना की जानकारी मिलते ही गोंडा पुलिस हरकत में आई है। स्थानीय थाने में एफआईआर दर्ज कर ली गई है और तीनों अधिकारियों के खिलाफ धारा 7/13 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि जल्द ही आरोपियों से पूछताछ और दस्तावेजी साक्ष्य जुटाए जाएंगे।


योगी सरकार का संदेश साफ
यह मामला योगी सरकार के उस दावे को मजबूती देता है कि अब अधिकारी ईमानदार होंगे और ठेकेदार बेईमान नहीं चलेंगे। पिछले कुछ महीनों में कई जिलों में अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोपों में एफआईआर और निलंबन की कार्रवाई हो चुकी है।
गोंडा जिले में यह पहला मौका है जब बीएसए स्तर के अधिकारी पर इस तरह का मुकदमा दर्ज हुआ हो। शिक्षा विभाग में पारदर्शिता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने की दिशा में यह कदम मील का पत्थर साबित हो सकता है।

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