MP : पेसा एक्ट के फेर में फंसी अडानी कंपनी, प्रशासन ने दिए जांच के निर्देश

अनूपपुर : मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले में अडानी समूह की अनूपपुर थर्मल एनर्जी परियोजना को लेकर विरोध के सुर उठने लगे हैं। परियोजना के प्रारंभिक चरण में ही पडौर गांव के ग्रामीणों ने कंपनी प्रबंधन पर ‘पेसा एक्ट’ (अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायत विस्तार अधिनियम) के उल्लंघन का गंभीर आरोप लगाया है। ग्रामीणों ने शुक्रवार को जिला कलेक्टर हर्षल पंचोली से मुलाकात कर शिकायत दर्ज कराते हुए परियोजना से जुड़ी गतिविधियों पर रोक लगाने की मांग की है।

ग्रामीणों का आरोप है कि अडानी समूह द्वारा संचालित थर्मल पावर प्लांट तक पानी पहुंचाने के लिए भूमिगत पाइपलाइन बिछाने का कार्य ग्रामसभा की अनुमति लिए बिना शुरू किया जा रहा है। उनका कहना है कि ‘पेसा कानून’ के अनुसार, अनुसूचित क्षेत्रों में किसी भी विकास कार्य या औद्योगिक परियोजना को आरंभ करने से पहले ग्रामसभा की पूर्व सहमति अनिवार्य होती है, परंतु कंपनी ने इस कानूनी प्रक्रिया की अनदेखी की है।

पडौर पंचायत के सरपंच बाल सिंह, उपसरपंच उमाकांत उइके और पंच प्रेम सिंह सहित अन्य जनप्रतिनिधियों ने बताया कि पाइपलाइन बिछाने के कार्य की तैयारियों के तहत भूमि का चिन्हांकन किया जा रहा है और सरकारी एवं निजी जमीनों पर मुनारे (पत्थर के निशान) लगाए जा रहे हैं। उनका कहना है कि यह कार्य न तो पंचायत से स्वीकृति लेकर किया गया है, न ही ग्रामसभा में कोई चर्चा हुई। सरपंच बाल सिंह ने कहा, “कंपनी प्रबंधन ने ग्रामसभा को पूरी तरह दरकिनार कर काम शुरू कर दिया है। पेसा कानून के तहत ग्रामसभा की अनुमति के बिना कोई भी परियोजना शुरू नहीं की जा सकती। यह स्थानीय अधिकारों का खुला उल्लंघन है।”

ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने कई बार कंपनी अधिकारियों से इस विषय में जानकारी लेने की कोशिश की, पर उन्हें कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला। गांव के लोगों का यह भी आरोप है कि चिन्हांकन के दौरान खेतों और निजी भूमि पर निशान लगाए जा रहे हैं, जिससे भविष्य में भूमि अधिग्रहण को लेकर विवाद की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इस मामले में जब अडानी थर्मल एनर्जी, छतई के प्रबंधक आशीष तेंगे से संपर्क किया गया, तो उन्होंने कहा कि वे केवल पावर प्लांट से संबंधित गतिविधियों की देखरेख करते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया, “भूमिगत पाइपलाइन बिछाने का कार्य कौन कर रहा है, इसकी जानकारी मुझे नहीं है।” उनके इस बयान से ग्रामीणों में असंतोष और बढ़ गया है। ग्रामीणों का कहना है कि यह जवाब प्रशासनिक और प्रबंधन स्तर पर पारदर्शिता की कमी को दर्शाता है।

उधर, कलेक्टर हर्षल पंचोली ने इस संबंध में कहा कि ग्रामीणों की शिकायत प्राप्त हुई है और मामले की जांच के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने आश्वस्त किया कि जिला प्रशासन यह सुनिश्चित करेगा कि कंपनी प्रबंधन पंचायत नियमों और निर्धारित शर्तों के तहत ही कार्य करे। उन्होंने कहा, “अगर पेसा एक्ट का उल्लंघन पाया गया, तो आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।”

स्थानीय राजनीतिक और सामाजिक संगठनों ने भी इस मुद्दे पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि यदि ग्रामीणों की सहमति के बिना कार्य जारी रहा, तो विरोध और तेज हो सकता है। गांव के वरिष्ठ नागरिकों का कहना है कि वे विकास के विरोधी नहीं हैं, परंतु विकास की प्रक्रिया कानूनी और सहभागी होनी चाहिए। अनूपपुर थर्मल एनर्जी परियोजना, जो अडानी समूह की एक महत्त्वपूर्ण औद्योगिक योजना मानी जा रही है, प्रदेश में बिजली उत्पादन बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू की गई है। हालांकि, अब ग्रामीणों की आपत्तियों के बाद यह परियोजना प्रारंभिक दौर में ही विवादों में घिरती दिख रही है।

ग्रामीणों का स्पष्ट कहना है कि वे तब तक किसी भी कार्य की अनुमति नहीं देंगे, जब तक ग्रामसभा में परियोजना के सभी पहलुओं पर पारदर्शी चर्चा न हो और ग्रामसभा की स्वीकृति औपचारिक रूप से प्राप्त न की जाए। इस प्रकार, अडानी समूह की अनूपपुर परियोजना पर अब प्रशासन की निगरानी बढ़ने की संभावना है। आने वाले दिनों में जांच रिपोर्ट और प्रशासनिक निर्णय यह तय करेंगे कि यह मामला शांत होगा या विरोध की लपटें और तेज होंगी।

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें