
भास्कर ब्यूरो
Sonauli, Maharajganj : भारत के उत्तराखंड स्थित गंगोत्री धाम से लाया गया पवित्र गंगाजल नेपाल के काठमांडू स्थित पशुपतिनाथ मंदिर में भगवान शिव की पूजा-अर्चना में पूरे वर्ष उपयोग किया जाता है। यह परंपरा भारत-नेपाल के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संबंधों की गहराई को दर्शाती है।गंगा नदी का उद्गम स्थल गंगोत्री समुद्र तल से लगभग 3,100 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। मान्यता है कि यहीं से भगवती गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं। हर वर्ष श्रद्धालु और विशेष प्रतिनिधि दल गंगोत्री से शुद्ध गंगाजल लेकर विशेष पात्रों में भरकर सोनौली मार्ग से होते हुए काठमांडू के पशुपतिनाथ मंदिर तक पहुँचाते हैं।
पशुपतिनाथ मंदिर भगवान शिव के स्वयंभू लिंग रूप को समर्पित है। मंदिर के गर्भगृह में प्रतिदिन भगवान शिव का अभिषेक गंगोत्री से लाए गए गंगाजल से किया जाता है। यह जल महाशिवरात्रि, तीज, हरितालिका और सोमवारी जैसे विशेष पर्वों में भी प्रयोग होता है। भक्तों का विश्वास है कि इस जल से अभिषेक करने से जीवन के पाप धुल जाते हैं और आत्मा को शांति प्राप्त होती है।गंगोत्री की गंगा और नेपाल की बागमती नदी का प्रतीकात्मक संगम एक आस्था दो राष्ट्र का संदेश देता है। मंदिर प्रशासन के अनुसार यह परंपरा सदियों पुरानी है और आज भी श्रद्धा व अनुशासन के साथ निभाई जाती है। यह धार्मिक यात्रा न केवल पवित्रता का प्रतीक है, बल्कि भारत-नेपाल की आध्यात्मिक एकता का जीवंत उदाहरण भी है।










