
हुमा कुरैशी और सनी सिंह की उपस्थिति से सजा महोत्सव
लखनऊ। उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग के सहयोग एवं एमरेन फ़ाउंडेशन द्वारा प्रायोजित लखनऊ शॉर्ट फ़िल्म फ़ेस्टिवल के अंतिम दिन का शुभारंभ विशेष प्रदर्शनों के साथ हुआ, जिसमें एफ़टीआईआई (FTII) के विद्यार्थियों और स्वतंत्र फ़िल्म निर्माताओं द्वारा बनाई गई दस उत्कृष्ट लघु फ़िल्मों का प्रदर्शन किया गया। इन फ़िल्मों को उनके सशक्त विषयों और महोत्सव की थीम ‘शांति और सद्भाव’ (Peace and Harmony) से जुड़ाव के आधार पर चुना गया था।
इन फ़िल्मों ने डिमेंशिया, आध्यात्मिक जागरण, सामाजिक रूढ़ियों को तोड़ना, बाल श्रम, वर्गभेद, पहचान की खोज, प्रवासी जीवन की जद्दोजहद और मानव करुणा जैसे विषयों को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया।
सितारों की मौजूदगी से सजा महोत्सव
महोत्सव की चमक उस समय और बढ़ गई जब मशहूर अभिनेत्री हुमा कुरैशी और प्रसिद्ध अभिनेता व निर्देशक सनी सिंह ने अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम को गरिमा प्रदान की।
फेस्टिवल की संस्थापक रेणुका टंडन के संचालन में हुए संवाद सत्र में दोनों कलाकारों ने भाग लिया, जिसमें भारतीय सिनेमा में महिलाओं की बदलती भूमिका, लघु फ़िल्मों की बढ़ती अहमियत, और मीडिया की भूमिका जैसे विषयों पर चर्चा हुई।
हुमा कुरैशी ने कहा कि
“सिनेमा हमारे समाज का आईना है। बदलाव हो रहे हैं — और आज महिलाएँ नए रास्ते बना रही हैं। लेकिन अभी भी बहुत दूर जाना बाकी है। मुझे ख़ुशी है कि आज एक महिला कलाकार के रूप में मुझे महारानी जैसे शो या अन्य फ़िल्मों को अपने कंधों पर उठाने का विश्वास दिया जा रहा है। फिर भी, उद्योग में असमानता बहुत ज़्यादा है — हमें और आगे बढ़ने की ज़रूरत है।”
सनी सिंह, जो सिंगल सलमा फ़िल्म में नज़र आएंगे, ने कहा:
“हमने लखनऊ में कई जगह शूट किया — रेलवे स्टेशन से लेकर कई मशहूर लोकेशन्स तक। हुमा क़ुरैशी और मैं लंबे समय से साथ काम करना चाहते थे, और सिंगल सलमा का लखनऊ में शूट होना इसे और ख़ास बना गया। यहाँ के लोग बहुत ही मिलनसार हैं और खाना तो लाजवाब है। हमने इस बार भी इतना लखनऊई खाना खाया कि फिर से आने का मन बना लिया है।”
प्रसिद्ध पटकथा लेखिका ज्योति कपूर दास एवं एमरेन फाउंडेशन की संस्थापक रेणुका टंडन ने पूर्व विजेताओं के साथ एक प्रेरक चर्चा सत्र का संचालन किया, जिसमें फ़िल्म निर्माण की चुनौतियों और रचनात्मक प्रक्रिया पर गहन बातचीत हुई।
दिन का समापन बहुप्रतीक्षित पुरस्कार समारोह के साथ हुआ, जहाँ उत्साह और तालियों के बीच विजेताओं की घोषणा की गई।
• सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म (Best Film): थुनई — निर्देशक विग्नेश परमासिवम
• सर्वश्रेष्ठ डॉक्यूमेंट्री (Best Documentary): गंगा पुत्र — निर्देशक जय प्रकाश
दोनों विजेताओं को ₹45,000 की नकद राशि से सम्मानित किया गया।
अन्य पुरस्कारों में शामिल रहे:
• सर्वश्रेष्ठ निर्देशक: डड्डू ज़िंदाबाद — समर जैन
• सर्वश्रेष्ठ महिला अभिनेत्री: लीला सैमसन
• सर्वश्रेष्ठ पुरुष अभिनेता: साजू एम जॉन
• सर्वश्रेष्ठ बाल कलाकार: देवांशमिश्रा
• सर्वश्रेष्ठ पटकथा: विग्नेश
• सर्वश्रेष्ठ सिनेमाटोग्राफ़ी: शरमीन दारूवाला
• सर्वश्रेष्ठ संपादन:प्रशांथ
• सर्वश्रेष्ठ साउंड डिज़ाइन:प्रणय
• क्रिटिक्स चॉइस – सर्वश्रेष्ठ निर्देशक: कसदारु (टी. रवि चंद्रन) और मुआवज़ा (रोहित रावत)
• क्रिटिक्स चॉइस – सर्वश्रेष्ठ पटकथा: घुसपैठिया कौन — सुधीर मिश्रा
• विशेष उल्लेख (आध्यात्मिक विषय): नैमिषारण्य — राज स्मृति
• विशेष उल्लेख (बेटी बचाओ बाल कलाकार): डॉट द डॉटर — जुनैद इमाम शेख
दिन की मुख्य स्क्रीनिंग्स: एकता और मानवीय संवेदना की कहानियों को समर्पित
10 फिल्मों को दिखाया गया।जिनमे
आठवां (रेणुका शहाणे),
नैमिषारण्य (राज स्मृति),
द वेल बेक्ड केक (नंदू घाणेकर,कसदारु (टी. रवि चंद्रन),
मुआवज़ा (रोहित रावत),
डॉट द डॉटर (जुनैद इमाम शेख), गंगा पुत्र (जय प्रकाश),रिज़ॉल्व: चाइल्ड लेबर (अमित
कुमार शुक्ला),डड्डू ज़िंदाबाद,थुनई (विग्नेश परमासिवम),और उस पार (FTII) प्रदर्शित की गई।
इस अवसर पर रेणुका टंडन अध्यक्ष एमरेन फाउंडेशन और संस्थापक, लखनऊ शॉर्ट फ़िल्म फ़ेस्टिवल ने कहा कि“लखनऊ शॉर्ट फ़िल्म फ़ेस्टिवल (LSFF) हमेशा से एक ऐसा मंच रहा है जहाँ संवेदना और सृजनशीलता का संगम होता है।
इस वर्ष हमें गर्व है कि हम ऐसे कलाकारों, फ़िल्मकारों और विचारकों को एक साथ ला रहे हैं जो मानते हैं कि सिनेमा सिर्फ़ मनोरंजन नहीं, बल्कि समाज को बदलने का दम रखता है।
हम हमेशा से इस विश्वास के साथ आगे बढ़े हैं कि कहानियों में वह शक्ति होती है — जो घावों को भर सकती है, दिलों को जोड़ सकती है, और हमें हमारी साझा मानवता की याद दिला सकती है।”
फ़ेस्टिवल के समापन समारोह में प्रसिद्ध नृत्यांगना संजुक्ता सिन्हा और उनकी टीम द्वारा सेक्रेड बेल्स की मंत्रमुग्ध कर देने वाली प्रस्तुति ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया।
घुँघरुओं की लय, गति और स्थिरता के मेल ने मंच पर ऐसा वातावरण रचा जिसमें ध्वनि आत्मा में परिवर्तित होती नज़र आई — एक ध्यानपूर्ण अनुभव जिसने एकता और शांति का संदेश दिया।
इस शानदार आयोजन की सफलता के पीछे कई लोगों की निष्ठा और मेहनत रही।
विशेष रूप से ऋचा जोशी, देव वर्मा, अम्ब्रिश टंडन, अनुश्का डालमिया, विपुल वी. गौर, उषा विश्वकर्मा, रेड ब्रिगेड टीम, गौरव द्विवेदी, रिया अग्रवाल, विभु कौशिक, वंदना अग्रवाल, रचना टंडन, विभा अग्रवाल, श्रेया रंजन और नितीश गर्ग आदि प्रमुख हैं। जिनकी सामूहिक प्रतिबद्धता से यह आयोजन संभव हो सका।














