दिल्ली-NCR में प्रदूषण पर काबू पाने के लिए क्लाउड सीडिंग का दूसरा सफल ट्रायल, कुछ घंटों में हो सकती है कृत्रिम बारिश

New Delhi : दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए दिल्ली सरकार ने क्लाउड सीडिंग की तकनीक का सहारा लिया है। मंगलवार को दूसरा सफल ट्रायल पूरा किया गया, जिसमें सेसना विमान के जरिए मेरठ से दिल्ली के बीच बादलों में रसायनों का छिड़काव किया गया। पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि इस प्रक्रिया से अगले कुछ घंटों में कृत्रिम बारिश हो सकती है, जो प्रदूषण को धोने में मदद करेगी। यह कदम दिवाली के बाद बढ़े वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) को देखते हुए उठाया गया है, जहां AQI अभी भी ‘बहुत खराब’ श्रेणी में बना हुआ है।

ट्रायल की पूरी प्रक्रिया और इस्तेमाल की गई तकनीक
ट्रायल में कानपुर से आया सेसना 206H विमान इस्तेमाल किया गया, जो मेरठ से दिल्ली की ओर उड़ा। क्लाउड सीडिंग की इस प्रक्रिया में खेकड़ा, बुराड़ी, उत्तरी करोल बाग, मयूर विहार, सदकपुर और भोजपुर जैसे इलाकों को लक्ष्य बनाया गया। कुल 8 फ्लेयर्स (रसायनिक पटाखे) का उपयोग किया गया, जिनमें सिल्वर आयोडाइड और सोडियम क्लोराइड जैसे पदार्थ थे। ये रसायन बादलों में नमी को बढ़ाकर बारिश को प्रेरित करते हैं। पूरी प्रक्रिया लगभग आधे घंटे तक चली।
क्लाउड सीडिंग क्या है? यह एक वैज्ञानिक तकनीक है जिसमें विमानों या अन्य माध्यमों से बादलों में रसायन छोड़े जाते हैं, जिससे वर्षा को बढ़ावा मिलता है। दिल्ली सरकार ने इस प्रोजेक्ट के लिए आईआईटी कानपुर और भारतीय मौसम विभाग (IMD) के साथ साझेदारी की है। कुल बजट करीब 3 करोड़ रुपये है, और अगर सफल रहा तो AQI में 50-80 पॉइंट्स की कमी आ सकती है, हालांकि राहत कुछ दिनों तक ही रहेगी। मंत्री सिरसा ने कहा, ट्रायल के कारण 15 मिनट से 4 घंटे के बीच कभी भी बारिश हो सकती है। हम IMD से अनुमति मिलने पर तुरंत कार्रवाई करते हैं।

आज होगा तीसरा ट्रायल, आगे की योजनाएं
मंत्री सिरसा ने आगे बताया कि क्लाउड सीडिंग का तीसरा ट्रायल भी आज ही किया जाएगा। आने वाले दिनों में ऐसी कई छोटी उड़ानें (सॉर्टी) जारी रहेंगी, ताकि प्रदूषण पर लगातार नियंत्रण रखा जा सके। इससे पहले, विमान ने क्षेत्र की परिचितता के लिए 2-3 ड्राई ट्रायल किए थे, लेकिन वास्तविक छिड़काव अब शुरू हुआ है। मौसम की स्थिति अनुकूल होने पर 28-30 अक्टूबर के बीच और ट्रायल हो सकते हैं।

प्रदूषण की पृष्ठभूमि और जरूरत
दिवाली के बाद दिल्ली-NCR में प्रदूषण का स्तर खतरनाक रूप से बढ़ गया था। AQI 350 से ऊपर पहुंच गया, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है। पराली जलाने, वाहनों के धुएं और निर्माण कार्यों से स्थिति और बिगड़ी। विशेषज्ञों का कहना है कि क्लाउड सीडिंग एक अस्थायी समाधान है, लेकिन यह स्मॉग और धूल को कम करने में प्रभावी हो सकता है। हालांकि, लंबे समय के लिए स्टबल बर्निंग पर रोक और ग्रीन ट्रांसपोर्ट जैसे कदम जरूरी हैं।

दिल्ली सरकार का यह प्रयास दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी को साफ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अगर सफल रहा, तो यह अन्य शहरों के लिए मिसाल बन सकता है। मौसम विभाग की हरी झंडी का इंतजार है, और निवासियों को जल्द ही राहत मिलने की उम्मीद है।

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