
New Delhi : तमन्ना भाटिया अपने शानदार करियर और स्टाइलिश अंदाज से साउथ भारतीय सिनेमा की स्टार बन चुकी हैं। साथ ही बॉलीवुड में भी उनकी मजबूत पकड़ दिखाई देती है। स्क्रीन पर उनकी मौजूदगी दर्शकों को आकर्षित करती है। हालांकि, इस मुकाम तक पहुंचने का सफर हमेशा आसान नहीं था। मुंबई में जन्मी होने के बावजूद, उन्हें खुद के ही शहर में अपनी पहचान साबित करने के लिए संघर्ष करना पड़ा। अभिनेत्री ने अपने शुरुआती संघर्ष का दिलचस्प किस्सा शेयर किया है।

तमन्ना का संघर्ष भरा दौरएक इंटरव्यू में तमन्ना ने खुलकर बताया कि साउथ में लगभग एक दशक तक काम करने के बाद, हिंदी सिनेमा में वापसी उनके लिए किसी नए सफर जैसा था। उन्होंने कहा, “मैं हिंदी फिल्मों को देखते हुए पली-बढ़ी हूं। उस संस्कृति को मैं बखूबी समझती हूं, लेकिन जब मैंने हिंदी फिल्मों की ओर कदम बढ़ाया, तो कई चुनौतियां सामने आईं।” अभिनेत्री ने आगे बताया कि साउथ में उनकी लोकप्रियता इतनी ज्यादा थी कि मुंबई वालों को उन्हें यह याद दिलाना पड़ता था कि वह यहीं की हैं।

तमन्ना के लिए बॉलीवुड और साउथ सिनेमा दोनों ही बेहद खास हैं। एक जहां उनकी जन्मभूमि है, वहीं दूसरी उनकी कर्मभूमि। अभिनेत्री ने 2005 में हिंदी फिल्म ‘चांद सा रोशन चेहरा’ से शुरुआत की थी और एक साल बाद तमिल फिल्म ‘केडी’ के साथ साउथ में कदम रखा था। फिर ‘हैप्पी डेज’ और ‘कल्लूरी’ जैसी फिल्मों ने उन्हें दर्शकों का चहेता बना दिया। इसके बाद ‘बाहुबली’ जैसी ऐतिहासिक सफलता ने उन्हें पैन-इंडिया स्टार बना दिया। फिलहाल काम की बात करें तो तमन्ना आखिरी बार ‘ओडेला 2’ में नजर आई थीं। उनकी कहानी उस कलाकार की है, जो चाहे किसी भी मंच पर क्यों न पहुंचे, अपनी मेहनत और जड़ों से हमेशा जुड़ा रहता है।















