
दिल्ली हाईकोर्ट ने व्यभिचार मामले में अहम टिप्पणी करते हुए कहा है कि शादी टूटने पर पत्नी तीसरे व्यक्ति से हर्जाना मांग सकती है। यह मामला एक पत्नी द्वारा पति की प्रेमिका के खिलाफ दायर शिकायत से जुड़ा है। अदालत अब यह तय करेगी कि क्या प्रेमिका ने जानबूझकर शादी तोड़ी। यदि साबित होता है, तो यह भारत में पहला मामला होगा जिसमें विवाहेतर संबंध में शामिल तीसरे व्यक्ति को हर्जाना देने का आदेश दिया जा सकता है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने पिछले महीने व्यभिचार (Adultery) यानी एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर से जुड़े एक मामले पर ऐसी टिप्पणी की थी, जिससे देश में वैवाहिक विवादों के कानून को लेकर बहस छिड़ गई है। जस्टिस पुरुषेन्द्र कुमार कौरव ने कहा था, “अगर किसी तीसरे व्यक्ति के कारण शादी टूटती है, या पत्नी को उसके अधिकारों से वंचित रखा जाता है, तो पत्नी सिविल कोर्ट में हर्जाना (damages) मांग सकती है।”
न्यायमूर्ति पुरुषेन्द्र कुमार कौरव ने यह टिप्पणी पिछले महीने एक महिला की याचिका पर की थी, जिसमें उसने अपने पति का किसी अन्य महिला के साथ संबंध होने का आरोप लगाते हुए उसकी प्रेमिका से 4 करोड़ रुपये मुआवजे की मांग की थी। इसके बाद से देशभर में बहस छिड़ गई है कि एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर से जुड़े मामलों में क्या पीड़ित महिला अपने पति के प्रेमी से या पति अपनी पत्नी के प्रेमी से हर्जाना मांग सकता है। एक्सपर्ट का क्या कहना है, आइए जानते हैं…
पूरा मामला क्या है, जिससे यह सवाल उठा?
दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस पुरुषेन्द्र कुमार कौरव ने जिस याचिका पर टिप्पणी की है, वह एक पत्नी की पति की प्रेमिका के खिलाफ दर्ज शिकायत से जुड़ी है।
याचिका दायर करने वाली महिला ने आरोप लगाया, “साल 2012 में मेरी शादी हुई। 2018 में जुड़वां बच्चे हुए। पति व्यवसाय करते हैं। मेरी शादीशुदा जिंदगी अच्छी चल रही थी। मगर, 2021 में मेरे पति के बिजनेस में एक अन्य महिला भी शामिल हुई। वह दोनों यात्राओं पर जाती थी, और दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ गईं। 2023 में मैंने पति और उसकी प्रेमिका की अंतरंग बातें सुनीं। पति के लैपटॉप से इस रिश्ते के सबूत भी मिले। परिवार के दखल के बावजूद यह सब जारी रहा। महिला का पति भी सार्वजनिक स्थलों पर प्रेमिका के साथ दिखाई दिया, और बाद में उसने तलाक की अर्जी दे दी।”
इस पूरे घटनाक्रम के बाद, पीड़ित महिला ने पति और उसकी प्रेमिका के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की। उसका कहना है कि उस महिला ने जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण इरादे से उसकी शादी को तोड़ा, जिससे उसे मानसिक और भावनात्मक क्षति पहुंची। इसलिए उसने अदालत में ‘एलीनेशन ऑफ अफेक्शन’ के तहत हर्जाने की मांग की।
पति और उसकी प्रेमिका की दलीलें क्या हैं?
पति ने कोर्ट में कहा कि वह एक स्वतंत्र व्यक्ति है और अपने निजी जीवन के फैसले खुद ले सकता है। हर वयस्क को यह अधिकार है कि वह किससे रिश्ता रखे या दोस्ती करे, जब तक वह कानूनन अपराध न हो। प्रेमिका ने भी कहा कि उसका उस शादी से कोई लेना-देना नहीं है, इसलिए उसकी जिम्मेदारी नहीं बनती। दोनों ने यह भी तर्क दिया कि यदि विवाद है, तो उसे फैमिली कोर्ट में सुलझाना चाहिए, न कि हाईकोर्ट में। साथ ही, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का हवाला भी दिया, जिसमें व्यभिचार को अपराध नहीं माना गया।
हालांकि, वर्तमान मामले में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या ऐसी स्थिति में तीसरे पक्ष को हर्जाना मिल सकता है।
हाईकोर्ट का क्या कहना है?
जस्टिस पुरुषेन्द्र कुमार कौरव ने न केवल याचिका को स्वीकार किया, बल्कि पति और उसकी कथित प्रेमिका दोनों को नोटिस भी भेजने का आदेश दिया। उन्होंने कहा कि यदि किसी तीसरे व्यक्ति के कारण शादी टूटती है, तो महिला सिविल कोर्ट में हर्जाना मांग सकती है। हालांकि, व्यभिचार (Adultery) अब अपराध नहीं है, लेकिन इसके नुकसान के लिए हर्जाना लिया जा सकता है। यह मामला पूरी तरह से सिविल कानून से जुड़ा है, इसलिए इसे फैमिली कोर्ट के बजाय सिविल कोर्ट में ही सुना जाएगा।
जस्टिस ने यह भी कहा कि यह ‘एलीनेशन ऑफ अफेक्शन’ (Alienation of Affection) सिद्धांत को लागू करने का पहला उदाहरण हो सकता है। यह सिद्धांत कहता है कि शादी में विश्वास और प्यार को जानबूझकर तोड़ने वाले को कानूनी जिम्मेदारी निभानी पड़ती है। यह सिद्धांत इंग्लैंड-अमेरिका के कॉमन लॉ से लिया गया है और भारत में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसलों में इसे स्वीकार किया है।
आगे क्या होगा?
अब इस मामले में सुनवाई होगी, जिसके बाद हाईकोर्ट तय करेगा कि क्या पति की कथित प्रेमिका ने जानबूझकर गलत आचरण कर महिला की शादी तोड़ी है। यदि यह साबित हो जाता है, तो भारत में यह पहला ऐसा मामला होगा जिसमें अदालत किसी विवाहेतर संबंध में शामिल तीसरे व्यक्ति को हर्जाना देने का आदेश दे सकती है।














