
- रक्षा निर्यात दस साल में एक हजार करोड़ रुपये से बढ़कर रिकॉर्ड 23,500 करोड़ रुपये तक पहुंचा
New Delhi : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने घरेलू रक्षा उद्योग में निजी क्षेत्र का योगदान दोगुना करने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि अभी घरेलू रक्षा विनिर्माण में हमारे निजी क्षेत्र का योगदान लगभग 25 फीसदी है, जबकि आने वाले 3 वर्षों में इस योगदान को कम से कम 50 फीसदी तक ले जाने का लक्ष्य होना चाहिए। निजी क्षेत्र की बढ़ती भागीदारी का ही परिणाम है कि भारत का रक्षा निर्यात दस साल में एक हजार करोड़ रुपये से बढ़कर रिकॉर्ड 23,500 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।
सोसाइटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स (एसआईडीएम) के वार्षिक सत्र में रक्षा मंत्री ने यहां कहा कि घरेलू विक्रेताओं को बढ़ावा देने के लिए सरकार भी अपने स्तर पर प्रयास कर रही है। हमने तय किया है कि हमारे प्लेटफॉर्म, सिस्टम और सब-सिस्टम को धीरे-धीरे स्वदेशी बनाया जाए। जो चीजें हम नहीं बना सके, उनके लिए भी कम से कम 50 फीसदी स्वदेशी सामग्री का प्रस्ताव दिया गया है। कई क्षेत्रों में अपनी स्वदेशी सामग्री को बढ़ाने में सफलता मिली है, लेकिन अभी भी काफी काम बाकी है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि आज के समय में जब हम कोई बड़ा उपकरण विदेशों से खरीदते हैं, तो उसके पूरे जीवन चक्र के दौरान रखरखाव, मरम्मत, ओवरहाल और स्पेयर पार्ट्स प्रबंधन आदि का भी एक बड़ा वित्तीय निहितार्थ होता है। यह न केवल हमारे संसाधन पर बोझ डालता है, बल्कि दूसरे देशों पर हमारी निर्भरता भी बनाए रखता है। इसलिए हमें केवल पूर्ण प्लेटफार्मों की ओर नहीं, बल्कि व्यक्तिगत उप-प्रणालियों और घटकों के स्वदेशी निर्माण पर भी ध्यान केंद्रित करना है। हमारा उद्देश्य सिर्फ भारत में असेंबल करने पर नहीं होना चाहिए, बल्कि सही मायनों में हमें अपने देश के अंदर तकनीक आधारित निर्माण करना होगा।
रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि किसी भी युद्ध जैसी स्थिति के लिए हमें न केवल तैयारी रखनी है, बल्कि हमारी तैयारी अपनी खुद की बुनियाद पर होनी चाहिए। मेरे लिए यह खुशी की बात है कि हमारा रक्षा उद्योग इस दिशा में मजबूती से कदम आगे बढ़ा चुका है। ऑपरेशन सिन्दूर की सफलता का श्रेय हमारे सैनिकों के साथ-साथ उन सैनिकों को भी जाता है, जो पीछे-पीछे उस मिशन को सफल बनाने में लगे थे। आकाश मिसाइल प्रणाली, ब्रह्मोस, आकाश तीर वायु रक्षा नियंत्रण प्रणाली और अन्य कई प्रकार के स्वदेशी उपकरणों ने ऑपरेशन सिन्दूर के दौरान अपना स्वरूप दिखाया। हमारे स्वदेशी हथियारों ने न केवल क्षेत्रीय, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत की साख को बढ़ाया है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि हमारे लिए रक्षा क्षेत्र केवल आर्थिक विकास का विषय नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय संप्रभुता का आधार है। जब राष्ट्रीय संप्रभुता की बात आती है, तो यह सिर्फ सरकार की नहीं, बल्कि हर नागरिक, हर संगठन और हर उद्योग की साझा जिम्मेदारी बनती है। आज यह बात ऑपरेशन सिन्दूर के बाद और भी महत्वपूर्ण हो गई है। सरकार ने निजी क्षेत्र पर भरोसा किया है और इसका परिणाम यह है कि आज हम सेमी-कंडक्टर निर्माण जैसे महत्वपूर्ण और महत्वपूर्ण क्षेत्र में भी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। आत्मनिर्भरता का विचार हमारी सरकार के लिए सिर्फ एक स्लोगन भर नहीं है, बल्कि भारत की ही पुरानी परंपरा का आधुनिक रूप है। विनिर्माण और उच्च प्रौद्योगिकी में स्वदेशीकरण को प्राथमिकता देते हुए हमने उसी परंपरा को आधुनिक रूप देने का प्रयास किया है।















