
क्या आने वाले युद्धों में इंसानों की जगह मशीनें लड़ेंगी? चीन ने इस सवाल का जवाब अपनी नई तकनीकी रणनीति से देना शुरू कर दिया है। डीपसीक एआई (DeepSeek AI) से लैस रोबोट डॉग्स और ड्रोन स्वॉर्म्स के जरिए चीन ने युद्ध के भविष्य की दिशा ही बदल दी है।
एआई से लैस नई युद्ध रणनीति
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) अब केवल टेक्नोलॉजी की दुनिया तक सीमित नहीं है — चीन ने इसे सीधे अपने रक्षा तंत्र में शामिल कर लिया है। देश की सरकारी रक्षा कंपनी नोरिन्को (Norinco) ने इस साल फरवरी में एक ऐसा सैन्य वाहन पेश किया है जो डीपसीक एआई मॉडल से संचालित होता है और अपने मिशन खुद तय कर सकता है। यह वाहन चीन की उस बड़ी रणनीति का हिस्सा है जिसके तहत पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) को पूरी तरह एआई-आधारित युद्ध प्रणालियों से लैस किया जा रहा है।
युद्ध में वरदान बन रहा DeepSeek
डीपसीक को चीन की तकनीकी क्रांति का गर्व माना जा रहा है। अब यही मॉडल सेना के लिए भी रणनीतिक हथियार बन गया है। पीएलए ने डीपसीक का इस्तेमाल कर स्वचालित लक्ष्य पहचान, रियल-टाइम युद्ध निर्णय, और ड्रोन नेटवर्किंग जैसी क्षमताओं पर काम शुरू कर दिया है। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट बताती है कि चीन अब सैकड़ों पेटेंट और सैन्य टेंडर के जरिए एआई को युद्ध में निर्णायक ताकत के रूप में उपयोग करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
रोबोट डॉग्स और ड्रोन स्वॉर्म्स: भविष्य की फौज
2024 में जारी पीएलए के एक टेंडर ने दुनिया का ध्यान खींचा, जिसमें एआई-संचालित रोबोट डॉग्स की मांग की गई थी जो समूह में काम करते हुए दुश्मन के ठिकानों की पहचान और विस्फोटक खतरों को खत्म करने का काम कर सकें। इसके अलावा, बीहांग यूनिवर्सिटी ने डीपसीक का इस्तेमाल करके ऐसे ड्रोन स्वॉर्म्स विकसित किए हैं जो खुद निर्णय ले सकते हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, डीपसीक-आधारित यह सिस्टम सिर्फ 48 सेकंड में 10,000 युद्ध परिदृश्यों का विश्लेषण कर सकता है — जबकि पहले इसमें 48 घंटे लगते थे।
‘एल्गोरिदमिक सॉवेरेनिटी’ की ओर चीन
अमेरिका द्वारा NVIDIA A100 और H100 चिप्स के निर्यात पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद चीन ने Huawei Ascend चिप्स पर निर्भरता बढ़ा दी है। अब पीएलए और उसकी सहयोगी कंपनियां अपने सभी एआई मॉडल इन्हीं स्वदेशी चिप्स पर ट्रेन कर रही हैं। चीन ने इस नीति को नाम दिया है — ‘Algorithmic Sovereignty’, यानी पश्चिमी तकनीक पर निर्भरता खत्म कर अपनी डिजिटल ताकत बढ़ाना।
एआई-निर्भर युद्ध का दौर
हालांकि चीनी अधिकारी दावा करते हैं कि मानव नियंत्रण बना रहेगा, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि अब युद्ध का भविष्य पूरी तरह एआई-संचालित सिस्टम्स की ओर बढ़ चुका है। इसी बीच, अमेरिका भी 2025 तक हजारों स्वायत्त ड्रोन तैनात करने की योजना बना रहा है ताकि चीन की तकनीकी बढ़त को चुनौती दी जा सके।
कोड और डाटा से लड़े जाएंगे भविष्य के युद्ध
डीपसीक की सफलता ने यह साफ कर दिया है कि आने वाले समय में युद्ध सिर्फ तोपों और गोलियों से नहीं, बल्कि कोड और डाटा से भी लड़े जाएंगे। चीन जिस तरह एआई और स्वदेशी चिप्स के सहारे अपनी सैन्य क्षमता बढ़ा रहा है, उससे यह निश्चित है कि भविष्य के युद्ध के मैदान में इंसानों से ज्यादा मशीनें दिखाई देंगी।















