
नाहन (सिरमौर) : हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में एक अनोखी और प्रेरणादायक शादी देखने को मिली। यहां शिलाई विधानसभा क्षेत्र के नैनीधार के कलोग गांव के दो सगे भाइयों ने बिना पंडित, बिना मंत्रोच्चारण और बिना सात फेरों के शादी की। दोनों भाइयों — सुनील कुमार बौद्ध और विनोद कुमार आजाद — ने संविधान को साक्षी मानकर शपथ ली और इसी के साथ विवाह संपन्न किया।
दोनों भाइयों ने बताया कि वे डॉ. भीमराव आंबेडकर के विचारों से प्रेरित हैं और मानते हैं कि विवाह दो दिलों का मिलन है, जिसके लिए पारंपरिक कर्मकांड जरूरी नहीं। यह दोनों भाई सरकारी सेवा में हैं और लंबे समय से सामाजिक सुधार के कार्यों में सक्रिय हैं।

संविधान की शपथ लेकर हुई शादी
शादी के दौरान दोनों दूल्हों और उनकी दुल्हनों ने संविधान की शपथ लेकर जीवनभर समानता और आदर्शों के साथ चलने का संकल्प लिया। शादी के कार्ड भी बिल्कुल अलग थे — इनमें महात्मा बुद्ध, डॉ. भीमराव आंबेडकर और संत कबीर के चित्र प्रकाशित किए गए, ताकि समाज में जागरूकता का संदेश दिया जा सके।
बिना पंडित, लेकिन रस्में पूरी
हालांकि पारंपरिक वैदिक विवाह नहीं हुआ, फिर भी मामा स्वागत, वरमाला, बरात और नेवदा जैसी रस्में निभाई गईं।
25 अक्तूबर की शाम मामा स्वागत हुआ, जबकि 26 अक्तूबर को सुबह बरातें निकलीं। दोपहर बाद दोनों भाई अलग-अलग गांवों — सुनील ने कटाड़ी गांव की रितु और विनोद ने नाया गांव की रीना वर्मा — से दुल्हनें लाए। शाम को दोनों परिवारों ने नेवदा रस्म और भोज का आयोजन किया।
गांव में उमड़ी भीड़, पहल की सराहना
इस अनोखे विवाह समारोह में गांव के लोग बड़ी संख्या में शामिल हुए और नवविवाहित जोड़ों को आशीर्वाद दिया। दोनों भाइयों ने कहा कि वे आगे भी सामाजिक सुधार और जागरूकता के लिए काम करते रहेंगे और युवाओं को भी समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रेरित करेंगे।
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