
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार (25 अक्टूबर 2025) को दावा किया कि भारत ने रूस से तेल आयात पूरी तरह बंद कर दिया है। ट्रंप ने कहा कि यह कदम अमेरिका के साथ रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम है।
हालांकि भारत ने इन दावों को खारिज किया और स्पष्ट किया कि तेल खरीद का फैसला राष्ट्रीय हितों पर आधारित है, बाहरी दबावों पर नहीं।
अमेरिका ने रूस की तेल कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया
ट्रंप प्रशासन ने रूस की रोसनेफ्ट और लुकोइल कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की। इसके तहत:
- अमेरिका में इन कंपनियों की संपत्ति फ्रीज होगी।
- अमेरिकी नागरिक इनके साथ किसी भी वित्तीय लेन-देन से प्रतिबंधित रहेंगे।
- वैश्विक साझेदारों से भी इन कंपनियों से दूर रहने का आग्रह किया गया है।
यह कदम रूस की अर्थव्यवस्था पर असर डाल सकता है क्योंकि ये कंपनियां रूस के कुल तेल निर्यात का लगभग 45% नियंत्रित करती हैं।
भारत का रुख
ट्रंप के दावे के तुरंत बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने दोहराया कि भारत रूस से कच्चा तेल खरीदना जारी रखेगा, क्योंकि यह ऊर्जा सुरक्षा और सस्ती आपूर्ति के लिए अहम है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हमारी प्राथमिकता है कि भारत को सस्ता और स्थिर तेल मिले। हमारे राष्ट्रीय हितों से समझौता नहीं किया जा सकता।”
वास्तव में, रूस अब भी भारत का सबसे बड़ा कच्चा तेल आपूर्तिकर्ता है, जो सऊदी अरब और इराक से आगे है। ट्रंप इससे पहले भी दावा कर चुके हैं कि भारत धीरे-धीरे रूस से तेल खरीद बंद करेगा, लेकिन आंकड़े इसे खारिज करते हैं।
ट्रंप की अगली कूटनीतिक चाल
ट्रंप ने कहा कि वह दक्षिण कोरिया में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करेंगे और पूर्ण व्यापार समझौते की उम्मीद रखते हैं। इसमें फेंटेनाइल और कृषि व्यापार पर भी चर्चा होगी। यह बैठक ऐसे समय हो रही है, जब अमेरिका और चीन के बीच तकनीकी, व्यापार और कच्चे माल की आपूर्ति श्रृंखला को लेकर तनाव चरम पर है।















