लोक आस्था का महान पर्व छठ आज से प्रारंभ, पटना में गूंजे ‘छठ मैया’ के जयकारे

पटना : बिहार की धरती पर लोक आस्था का सबसे बड़ा पर्व छठ महापर्व आज (शनिवार) से नहाय-खाय के साथ आरंभ हो गया। श्रद्धालु आज से सूर्यदेव और छठी मैया की आराधना में लीन हो गए हैं। यह चार दिवसीय पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से शुरू होकर सप्तमी को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के साथ सम्पन्न होता है।

इस पर्व में व्रती महिलाएं और पुरुष 36 घंटे का कठिन निर्जला व्रत रखकर सूर्यदेव से सुख-समृद्धि और मनोकामना पूर्ति की कामना करते हैं। छठ व्रत में पवित्रता, अनुशासन और समर्पण का विशेष महत्व है।

छठ पर्व का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व

ज्योतिषाचार्य पंडित अरुण कुमार मिश्रा के अनुसार, यह पर्व लोक आस्था और सूर्य उपासना का प्रतीक है। यह न केवल देवी कात्यायनी से आशीर्वाद प्राप्त करने का अवसर है, बल्कि यह संदेश देता है कि “जिसका अस्त है, उसका उदय भी निश्चित है।” यह पर्व प्रकृति, जल और सूर्य की ऊर्जा के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक माना जाता है।

पटना में छठ की भव्य तैयारी

पटना में दानापुर से पटना सिटी तक 109 छठ घाटों पर श्रद्धालु अर्घ्य देंगे। इसके अलावा 63 तालाबों और 45 पार्कों में भी महापर्व का आयोजन होगा। प्रमुख घाटों — दीघा घाट, जेपी सेतु घाट, कलेक्ट्रेट घाट, मीनार घाट और गाय घाट पर लाखों श्रद्धालुओं के जुटने की संभावना है।

जिला प्रशासन ने लगभग 25 लाख श्रद्धालुओं के आगमन को ध्यान में रखते हुए व्यापक इंतज़ाम किए हैं।

  • 🚻 अस्थायी शौचालय – 552
  • 🚰 नल व टैंकर व्यवस्था – 185 नल, 50 टैंकर
  • 🧺 चेंजिंग रूम – 400
  • 🏕️ वाच टावर – 171
  • 💡 नियंत्रण कक्ष – 112 मुख्य व 13 सहायक
  • 🧭 आपदा प्रबंधन दल – एनडीआरएफ की 9, एसडीआरएफ की 9 टीमें, 444 गोताखोर, 323 नावें, 149 वॉलंटियर

सुरक्षा व्यवस्था कड़ी

जिलाधिकारी त्याग राजन और एसएसपी कार्तिकेय शर्मा स्वयं घाटों का निरीक्षण कर रहे हैं। पुलिस बल, पैदल गश्त, पेट्रोलिंग पार्टी और सीसीटीवी के ज़रिए निगरानी की जा रही है। लोगों से अपील की गई है कि किसी भी अफवाह पर ध्यान न दें और किसी परेशानी की स्थिति में तुरंत पुलिस या कंट्रोल रूम से संपर्क करें।

550 घाटों पर होगा अर्घ्य अर्पण

पटना जिले में गंगा और उसकी सहायक नदियों के लगभग 550 घाटों पर छठव्रती सूर्यदेव को अर्घ्य देंगे। प्रशासन ने भीड़ प्रबंधन, आपदा राहत और श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए सभी तैयारियां अंतिम चरण में पूरी कर ली हैं।

यह पर्व न केवल श्रद्धा और भक्ति का, बल्कि सामाजिक एकता, अनुशासन और प्रकृति के प्रति सम्मान का भी अद्भुत उदाहरण है — जो बिहार और पूर्वांचल की लोक परंपराओं की आत्मा को जीवंत रखता है।

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