
- ‘फुलझड़ी बेचने वाले हो रहे गिरफ्तार’, ‘बड़े कारोबारियों का प्रशासन बना ढाल’
- ‘दीपावली पर ‘अतिक्रमण’ की जंग: फुलझड़ी वाले गिरफ्तार, लाइसेंसधारी मालामाल’
Atria, Sitapur : जनपद में दीपावली के पावन पर्व पर आतिशबाजी की बिक्री को लेकर प्रशासन की कथित दोहरी नीति ने छोटे दुकानदारों की कमर तोड़ दी है। फुलझड़ी, मस्तब (माचिस वाली आतिशबाजी) और अनार जैसे छोटे, बच्चों के लोकप्रिय आइटम बेचने वाले ग्रामीण क्षेत्र के दुकानदारों पर पुलिस और प्रशासन ने जिस सख्ती से कार्रवाई की है, उससे उनकी रोजी-रोटी छिन गई है। वहीं, बड़े कारोबारी, जो विधिवत लाइसेंस लेकर कारोबार कर रहे हैं, उन पर नियमों की अनदेखी का आरोप लगने के बावजूद कोई खास असर देखने को नहीं मिल रहा है। स्थानीय लोगों का मानना है कि इस कार्रवाई से जहाँ एक ओर प्रशासन ने वाहवाही बटोरी है, वहीं छोटे व्यापारियों को आर्थिक संकट में धकेल दिया गया है।
‘केवल छोटे दुकानदारों पर ही क्यों बरपा कहर?’ अटरिया और सिधौली क्षेत्र समेत पूरे जनपद में दीपावली से पहले आतिशबाजी के अवैध भंडारण और बिक्री के खिलाफ एक बड़ा अभियान चलाया गया। इस दौरान पुलिस ने ग्रामीण बाजारों और कस्बों में छोटी-छोटी मात्रा में बच्चों के आइटम जैसे फुलझड़ी और अनार बेच रहे कई दुकानदारों को पकड़कर कानूनी कार्रवाई की और उन्हें जेल भेज दिया। कई मामलों में इन छोटे विक्रेताओं पर विस्फोटक अधिनियम की धाराओं के तहत मुकदमे दर्ज किए गए। छोटे दुकानदारों का कहना है कि वे केवल पर्व के कुछ दिनों के लिए थोड़ी-सी आतिशबाजी बेचकर अपने परिवार के लिए कुछ अतिरिक्त आय जुटाना चाहते थे। लेकिन प्रशासन की इस त्वरित और सख्त कार्रवाई ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया। उनकी शिकायत है कि प्रशासन की नजर सिर्फ उन पर पड़ी, जबकि नियमों का उल्लंघन करने वाले बड़े कारोबारी खुलेआम कारोबार कर रहे हैं।
‘बड़े दुकानदारों की चाँदी: मनमाने दाम और मानकों को ताक पर रखने का आरोप’ छोटे दुकानदारों पर हुई कार्रवाई का सीधा फायदा लाइसेंसधारी बड़े दुकानदारों को मिल रहा है। बाजार में प्रतिस्पर्धा कम होने के कारण अब ये बड़े विक्रेता ग्राहकों से मनमाने दाम वसूलते नजर आ रहे हैं। ग्राहकों की मजबूरी है कि वे ऊँचे दामों पर पटाखे खरीदें, क्योंकि छोटे बाजार बंद हो चुके हैं। आरोप यह भी है कि कई बड़े लाइसेंसधारी दुकानदार भी सुरक्षा मानकों को पूरी तरह से दरकिनार कर रहे हैं। नियमानुसार, पटाखों के भंडारण के लिए निर्धारित सुरक्षा उपकरण (जैसे अग्निशमन यंत्र और रेत) और पर्याप्त दूरी का पालन करना अनिवार्य है। हालाँकि, जमीनी हकीकत यह है कि कई जगहों पर अस्थायी लाइसेंस लेकर भी अधिक मात्रा में पटाखों का अवैध भंडारण किया जा रहा है। खुफिया रिपोर्ट्स और अन्य जिलों में हुई छापेमारी भी इस बात की पुष्टि करती है कि थोक कारोबारी और बड़े दुकानदार भी अवैध भंडारण में संलिप्त हो सकते हैं, लेकिन उन पर ऐसी तत्काल और कठोर कार्रवाई कम ही देखने को मिलती है, जैसी छोटे विक्रेताओं के साथ की गई है।