दीपावली पर प्रसाद में मिलेंगे पैसे…! नोटों की गड्डियों से सजा रतलाम का महालक्ष्मी मंदिर

MP News : मध्य प्रदेश के रतलाम के महालक्ष्मी मंदिर में इस वर्ष दीपावली के शुभ अवसर पर खास सजावट देखने को मिली है। इस बार मंदिर को नोटों से सजाया गया है, जो श्रद्धालुओं की श्रद्धा और आस्था का प्रतीक बन गई है। भक्तों द्वारा दान में दिए गए नोटों से मंदिर का आकर्षक रूप तैयार किया गया है, जो न केवल श्रद्धालुओं के बीच चर्चा का विषय बना है, बल्कि यह देशभर में अपनी अनूठी परंपरा के लिए भी प्रसिद्ध है।

नोटों से सजी महालक्ष्मी मंदिर

मंदिर परिसर में खासी उत्साह के साथ नोटों की सजावट की गई है। भक्तों ने अपनी श्रद्धा दिखाने के लिए नोटों का दान किया, जिन्हें मंदिर प्रबंधन ने खास तरीके से सजावट में इस्तेमाल किया है। माणकचौक स्थित इस प्रसिद्ध मंदिर में शनिवार से ही भक्तों को कुबेर पोटली का वितरण भी शुरू हो गया है। यह पोटली भगवान कुबेर की कृपा के प्रतीक के रूप में दी जा रही है।

ऑनलाइन व्यवस्था और सुरक्षा इंतजाम

इस बार नोटों की व्यवस्था बेहद आधुनिक तरीके से की गई है। भक्तों की ऑनलाइन एंट्री ली जा रही है, ताकि उनके दान का रिकॉर्ड सुरक्षित और पारदर्शी रहे। नोट देने के लिए श्रद्धालुओं को ई-मेल पर टोकन नंबर भेजा जाता है। टोकन प्राप्त करने के बाद, श्रद्धालुओं को ओटीपी के माध्यम से राशि की पुष्टि करनी होती है। इसके साथ ही, उनके मोबाइल नंबर और आधार नंबर जैसी जानकारी भी ली गई है, ताकि पूरी प्रक्रिया सुरक्षित और ट्रेसबल हो सके। इन सभी कदमों का मकसद श्रद्धालुओं की सुविधा के साथ-साथ सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

कालिका माता मंदिर में भी सजावट

इसी तरह, कालिका माता मंदिर में भी इस दीपोत्सव पर विशिष्ट सजावट की गई है। दोनों ही मंदिरों में इस बार केवल नोटों से ही सजावट की गई है। भक्त इस नजारे को दीपोत्सव तक निहार सकते हैं और अपनी श्रद्धा के साथ इस अनूठी परंपरा का आनंद ले सकते हैं।

दरअसल, माणकचौक स्थित महालक्ष्मी मंदिर अपने आभूषण और नोटों की सजावट के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है। हर वर्ष यहां श्रद्धालु अपनी श्रद्धा और आस्था का प्रदर्शन करते हैं। इस बार भी, मंदिर को केवल नोटों से सजाकर श्रद्धालुओं ने अपनी श्रद्धा का अनूठा प्रदर्शन किया है।

नोट दान करने वाले श्रद्धालुओं को मंदिर प्रबंधन की ओर से प्रसाद के रूप में कुबेर पोटली भी दी जा रही है। यह प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी और सुरक्षित है, ताकि श्रद्धालु बिना किसी परेशानी के अपनी श्रद्धा व्यक्त कर सकें।

यह अनूठी परंपरा न केवल श्रद्धालुओं के बीच लोकप्रिय है, बल्कि यह मंदिर की भव्यता और श्रद्धालु भावना को भी नए आयाम देती है। दीपोत्सव के इस शुभ अवसर पर यह सजावट और व्यवस्था श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत खास बन गई है।

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