
भारत अपने डिफेंस सिस्टम को निरंतर मजबूत और उन्नत बनाने की दिशा में कदम उठा रहा है। देश ने देसी तकनीकों से मिसाइल और फाइटर जेट बनाने की मुहिम को तेज कर दिया है। इसी क्रम में, भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने चीनी पीएल-15 मिसाइल का विश्लेषण करने के बाद उसकी कुछ उन्नत विशेषताओं को देश में विकसित हो रही Astra-II मिसाइल परियोजना में शामिल करने का निर्णय लिया है।
दरअसल, यह कदम ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान द्वारा दागी गई पीएल-15ई मिसाइल के विश्लेषण के बाद उठाया गया है। यह मिसाइल पाकिस्तान की वायुसेना के JF-17 और J-10C लड़ाकू विमानों से दागी गई थी। पंजाब के होशियारपुर के पास एक खेत में मिली इस मिसाइल ने अपने टारगेट को हिट करने में विफलता हासिल की थी।
पीएल-15ई मिसाइल को 9 मई को पंजाब के होशियारपुर के निकट एक खेत से सुरक्षित बरामद किया गया, जो भारतीय रक्षा वैज्ञानिकों के लिए एक महत्वपूर्ण खुफिया अवसर था। इस मिसाइल में आत्म-विनाश का तंत्र नहीं था, इसलिए यह बिना विस्फोट के ही मिली। इसके विश्लेषण के बाद, भारत ने इसकी विशेषताओं को अपने स्वदेशी एस्ट्रा मार्क-2 मिसाइल में शामिल करने का निर्णय लिया है।
चीनी हथियारों में कई बेहतरीन विशेषताएं पाई गई हैं। सूत्रों के अनुसार, इस विश्लेषण में सामने आया है कि पीएल-15 में उन्नत प्रणोदक युक्त एक लघु सक्रिय इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड ऐरे (AESA) रडार मौजूद है, जो मैक 5 से अधिक गति बनाये रखने में सक्षम है। इसके अलावा, इसमें अत्याधुनिक एंटी-जैमिंग क्षमताएं भी हैं। इन उन्नतियों को भारत अपने स्वदेशी मिसाइल विकास कार्यक्रम में शामिल कर रहा है।
वहीं, पाकिस्तान कथित तौर पर चीन से लंबी दूरी की पीएल-17 मिसाइलें प्राप्त करने, तुर्की से 2,000 वाईआईएचए कामिकेज़ ड्रोन खरीदने और अमेरिका को उच्च तकनीक हथियारों की सूची सौंपने की कोशिश कर रहा है। इसके अतिरिक्त, भारतीय वायु सेना राफेल लड़ाकू विमानों के लिए अतिरिक्त मेटियोर मिसाइलें खरीदने की दिशा में भी आगे बढ़ रही है। इसके साथ ही, भारत 800 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली एक नई ब्रह्मोस मिसाइल का विकास कर रहा है, जो लगभग पूरे पाकिस्तान को अपने निशाने पर ले सकती है।
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